कोरोना के दो नए टीके और गोली के बारे में सब जाने | Medtalks

कोरोना के दो नए टीके और गोली के बारे में सब जाने | Medtalks

कोरोना एक बार फिर से दुनिया भर में बढ़ता नज़र आ रहा है। भारत में भी कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, साथ ही कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन भी देश में तेजी से फ़ैल रहा है जिसकी वजह से सभी की चिंताए लगातार बढती जा रही है। कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए वैक्सीन कितनी जरूरी है इस बारे में हम सभी जानते हैं। इसी बीच कोरोना से लड़ने के लिए केंद्र सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए दो नई कोरोना रोधी वैक्सीन को आपातकाल के लिए मंजूरी दे दी है। केंद्र सरकार ने दो नई वैक्सीन के साथ-साथ एक दवा के इस्तेमाल को भी हरी झंडी दी है। इस बारे में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने जानकारी देते हुए कहा था कि सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने कोरोना की दो वैक्सीन कोवोवैक्स और कोर्बीवैक्स के साथ-साथ एंटी वायरल दवा मोलनुपिरवीर Molnupiravir के आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी है। 

चलिए इस लेख के जरिये जानते हैं कि कोरोना के लिए यह दोनों वैक्सीन कोवोवैक्स और कोर्बीवैक्स और मोलनुपिरवीर दवा कैसे काम करती है। 


मोलनुपिरवीर दवा Molnupiravir Medicine 

मोलनुपिरवीर क्या है? 

मोलनुपिरवीर (MK-4482, EIDD-2801) एक गोली है जिसे एंटी वायरल पिल के रूप में तैयार किया गया है। इस गोली को सामान्य रूप से पानी के साथ मुह से लेना होगा। इस दवा को शुरुआता में इन्फ्लूएंजा के इलाज के लिए विकसित किया गया था, लेकिन बाद में इसे कोविड-19 के लिए विकसित किया गया है। यह दवा कोरोना वायरस को शरीर में बढ़ने से रोकती है और वायरस को खत्म करती है, जिससे रोगी तेजी से ठीक होता है। 

मोलनुपिरवीर को किसने बनाया? 

मोलनुपिरवीर दवा को अमेरिकी फर्म रिजबैक बायोथेराप्यूटिक्स और मर्क के सहयोग से विकसित किया गया था। पहले इसे इन्फ्लूएंजा का इलाज करने के लिए बनाया गया था, लेकिन फिर इसे विकसित कर कोरोना रोगियों के इलाज के लिए एक मौखिक एंटीवायरल के रूप में तैयार किया गया है। भारत में इस दवा का निर्माण 13 निजी भारतीय दवा निर्मातायों कंपनियों द्वारा किया जायगा, जिसमे डॉ रेड्डीज, नैटको, एमएसएन, हेटेरो, ऑप्टिमस, अरबिंदो, माइलान, सिप्ला, सन फार्मा, टोरेंट, बीडीआर, स्ट्राइड और पुणे स्थित एमक्योर शामिल है।

मोलनुपिरवीर दवा की कितनी गोली लेनी होगी?

मोलनुपिरवीर 200 मिलीग्राम की गोलियों में आता है। भारत में 5 दिनों के लिए प्रतिदिन दो बार 800 मिलीग्राम की सिफारिश की गई है। फिलाहल यह भी कहा गया है कि कोरोना रोगी को कितनी दवा देनी है इस बारे में मौजूदा चिकित्सक की सलाह भी अनिवार्य है। मरीज को हर 12 घंटे में चार गोलियां लेनी होंगी। यह डोज पांच दिनों तक चलेगा। इस दवा को पांच दिनों से ज्यादा इस्तेमाल नहीं किया जा सकता और साथ ही यह दवा केवल 18 वर्ष से अधिक कोरोना रोगियों को दिए जाने की सिफारिश की गई है, क्योंकि इसके ज्यादा इस्तेमाल और कम उम्र वालों के लेने से हड्डियों के विकास से जुड़ी समस्या होने की आशंका है।

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कॉर्बेवैक्स वैक्सीन Corbevax Vaccine 

कॉर्बेवैक्स वैक्सीन क्या है? 

कॉर्बेवैक्स वैक्सीन कोरोना रोधी टिका है जो कि कोरोना के खिलाफ लड़ने में मदद करता है। कोरोना की इस वैक्सीन को हैदराबाद स्थित बायोलॉजिकल ई द्वारा निर्मित किया गया है। कोरोना कि यह नई कॉर्बेवैक्स वैक्सीन एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है जिसका अर्थ है कि यह वैक्सीन पुरे वायरस की बजाय यह प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को ट्रिगर करने के लिए इसके टुकड़ों का उपयोग करता है। इस मामले में, सबयूनिट वैक्सीन में एक हानिरहित एस प्रोटीन होता है। एक बार जब प्रतिरक्षा प्रणाली प्रोटीन को पहचान लेती है, तो यह वास्तविक संक्रमण से लड़ने के लिए एंटीबॉडी का उत्पादन करती है जिससे वायरस को हराया जा सकता है। 

वैज्ञानिकों के अनुसार जब कोरोनावायरस का ये स्पाइक प्रोटीन को लैब में बदलाव करके वैक्सीन के साथ इंसान के शरीर में डाला जाता है तो ये एक असरदार इम्यून सिस्टम तैयार करता है, जिससे वायरस को फैलाने वाले प्रोटीन का असर कम या ख़त्म कर देता है इससे मरीज गंभीर स्थिति में पहुंचने से बच जाता है। आपको बता दें कि इस वैक्सीन के लिए वायरस के एंटीजेनिक भागों को टेक्सास चिल्ड्रन हॉस्पिटल सेंटर फॉर वैक्सीन डेवलपमेंट द्वारा विकसित किया गया है और बीसीएम (बायलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन) वेंचर्स से लाइसेंस प्राप्त है। 


कॉर्बेवैक्स वैक्सीन कितनी असरदार है? 

बाकी वैक्सीन के मुकाबले कॉर्बेवैक्स वैक्सीन काफी असरदार बताई जा रही है। बायोलॉजिकल ई ने इस वैक्सीन के लिए पूरे भारत में 33 अध्ययन स्थलों पर 3,000 से अधिक विषयों पर III चरण के परीक्षण पूरे कर लिए हैं। III चरण के परीक्षण में कहा गया है कि यह वैक्सीन डेल्टा स्ट्रेन के खिलाफ एंटीबॉडी टाइट्स को बेअसर करता है। प्रकाशित अध्ययनों के आधार के अनुसार यह वैक्सीन रोगसूचक संक्रमण की रोकथाम के लिए >80 प्रतिशत प्रभावशीलता को दर्शाती है। 

यह मूल्यांकन करने के लिए III चरण के सक्रिय तुलनित्र नैदानिक ​​परीक्षण (Active Comparator Diagnostic Test) भी आयोजित किया है कि क्या यह टीका कोविशील्ड से बेहतर है। कंपनी ने अपनी रिपोर्ट्स में कहा है कि जब पैतृक-वुहान स्ट्रेन (Ancestral-Wuhan strain) और विश्व स्तर पर प्रमुख डेल्टा के खिलाफ एंटीबॉडी (nAb) जियोमेट्रिक मीन टाइटर्स (GMT) को बेअसर करने के लिए मूल्यांकन किया गया तो "प्रतिरक्षाजन्य श्रेष्ठता (immunogenic superiority) के समापन बिंदु के साथ किए गए निर्णायक III चरण के अध्ययन में, CORBEVAX ने COVISHIELD वैक्सीन की तुलना में बेहतर प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया का प्रदर्शन किया था।   

कॉर्बेवैक्स वैक्सीन के असर को देखते हुए भारत सरकार ने इस वैक्सीन के 30 करोड़ डोज का ऑर्डर 1500 करोड़ रुपये में इस साल अप्रैल में ही दे दिया था। इस हिसाब से वैक्सीन की एक डोज़ की कीमत करीब 500 रुपये हो सकती है। सबसे अच्छी बात ये है कि इस वैक्सीन को दो से आठ डिग्री सेल्सियस तक के तापमान पर भी रखा जा सकता है। जिससे इसे भारत के दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचाना आसान होगा। कॉर्बेवैक्स  भारत में 100 प्रतिशत टीकाकरण  के साथ बूस्टर डोज की जरूरतों को पूरा करने में अहम साबित होगी। फ़िलहाल बायोलॉजिकल ई ने प्रति माह 75 मिलियन खुराक पर उत्पादन शुरू करने की योजना तैयार की है और फरवरी से कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की प्रति माह 100+ मिलियन खुराक तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। 


कोवावैक्स वैक्सीन Covavax Vaccine 

कॉर्बेवैक्स वैक्सीन क्या है? 

कॉर्बेवैक्स वैक्सीन की ही तरह कोवावैक्स भी एक प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन है, लेकिन पुनः संयोजक नैनोपार्टिकल तकनीक का उपयोग करके बनाई गई है, इसका निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) द्वारा किया गया है। इस वैक्सीन को अमेरिका स्थित नोवावैक्स ने विकसित किया है। स्पाइक प्रोटीन की हानिरहित प्रतियां कीट कोशिकाओं में पैदा की जाती हैं, जिसके बाद प्रोटीन को निकाला जाता है और वायरस जैसे नैनोपार्टिकल में इकट्ठा किया जाता है। नोवावैक्स ने एक प्रतिरक्षा-बढ़ाने वाले यौगिक का उपयोग किया है। एचपीवी और हेपेटाइटिस बी के टीके में इसी तकनीक का उपयोग किया जाता है। 


कॉर्बेवैक्स वैक्सीन कितनी असरदार है? 

यह वैक्सीन भी बाकी कोरोना वैक्सीन के मुकाबले काफी असरदार बताई जा रही है। 17 नवंबर को, फिलीपींस FDA ने इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को देश में वैक्सीन के विपणन के लिए लाइसेंस प्रदान किया। वहीं, 20 दिसंबर को विश्व स्वास्थ्य संगठन WHO ने वैक्सीन के लिए इमरजेंसी इस्तेमाल की श्रेणी में रखा था। इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि कॉर्बेवैक्स वैक्सीन का मूल्यांकन दो 3 चरण परीक्षणों में किया गया है। यूनाइटेड किंगडम में एक परीक्षण जिसमे मूल वायरस स्ट्रेन के खिलाफ 96.4%, अल्फा के खिलाफ 86.3% और समग्र रूप से 89.7% असरदार पाई गई है। अमेरिका और मैक्सिको में PREVENT-19 परीक्षण जिसने मध्यम और गंभीर बीमारी के खिलाफ 100% सुरक्षा और कुल मिलाकर 90.4% असरदार है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस वैक्सीन की दो खुराक ही दी जायगी और दूसरी खुराक का समय केवल 21 दिन का होगा। दोनों खुराकों के बीच इतना कम समय होने के कारण इस वैक्सीन से बड़ी तेजी से सभी का टीकाकरण किया जा सकता है।


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