टीकाकरण के बाद भी क्यों हो रहा है ओमिक्रोन?
दुनिया भर में कोरोना की एक और लहर आ चुकी है और अभी कोरोना की जो नई लहर आई है उसका कारण कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन को माना जा रहा है. करीब एक साल पहले से ही दुनिया भर में कोरोना से बचाव के लिए टीकाकरण किया जा रहा है ताकि हम सभी कोरोना जैसे जानलेवा संक्रमण से बच सके. लेकिन सामने आए आकड़ों के अनुसार कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन उन लोगों को अभी अपनी चपेट में ले रहा है जिन लोगों ने अपना कोरोना टीकाकरण पूरा करवा लिया है. तो अब सवाल यह उठता है कि क्या ओमिक्रोन पर वैक्सीन का कोई असर नहीं होता? अगर वैक्सीन लगवाने पर भी ओमिक्रोन हो रहा है तो वैक्सीन क्यों लगवाई जाए? आपके अंदर भी कुछ ऐसे ही सवाल चल रहे होंगे, चलिए इन कुछ सवालों के जावाब तलाशते हैं.
वैक्सीन के बाद भी इन कारणों से बढ़ रहे हैं ओमिक्रोन के मामले :-
वैक्सीन का कम होता असर – कई शोधों के अनुसार समय के साथ-साथ कोरोना वैक्सीन का असर कम होता है जिसकी वजह से कोरोना हमें अपनी चपेट में ले सकता है, जिसका उदाहरण ओमिक्रोन है. इस बारे में बताते हुए ब्राज़ीलियन सोसाइटी ऑफ इम्युनाइजेशन के डायरेक्टर डॉक्टर कफोरी कहते हैं कि ''हमने देखा है कि समय बीतने के साथ वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा का स्तर कम होता जाता है. वैक्सीन से मिलने वाली सुरक्षा अलग-अलग उम्र वर्ग में अलग-अलग होगी. यह कम या ज्यादा हो सकती है. इसी वजह से पहले अधिक उम्र के लोगों या कम इम्युनिटी वाले लोगों और फिर पूरी आबादी को कोरोना वैक्सीन की तीसरे डोज़ की ज़रूरत महसूस हुई.''
ओमिक्रोन वेरिएंट ज्यादा खतरनाक है – ओमिक्रोन के आने के बाद हुए शोधों के अनुसार यह बात साबित हुई है कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन बाकी वेरिएंट से ज्यादा खरतनाक है. कोरोना के इस वेरिएंट पर वैक्सीन का भी असर काफी कम होता है. ओमिक्रोन वैक्सीन के असर को कम करता है, साथ ही इसमें कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों को संक्रमण से मिली प्रतिरोधक क्षमता को मात देने की शक्ति है. इसी लिए सभी देशों में बूस्टर डोज दी जा रही है, ताकि ओमिक्रोन से बचा जा सके. लापरवाही – हमने देखा ओमिक्रोन उस समय सबसे ज्यादा फैला जब दुनिया भर के लोग क्रिसमस और नए साल के जश्न की तैयारियों में खोए हुए थे. कोरोना के मामले लगातार कम होते जा रहे थे और उस दौरान लोग कोरोना को लेकर काफी लापरवाह होते जा रहे थे जिसकी वजह से कोरोना और ओमिक्रोन तेजी से फैला.
वैक्सीन क्यों लगवाई जाए?
हमें वैक्सीन क्यों लगवानी है इस बारे में दुनिया भर में बीते साल से ही बात की जा रही है. लेकिन अब ओमिक्रोन के आने के बाद यह सवाल फिर से उठ खड़ा हुआ है कि ओमिक्रोन होना ही है तो वैक्सीन क्यों लगवाई जाए? तो आपको बता दें कि जिन लोगों ने कोरोना की वैक्सीन नहीं ली थी उन्हें ओमिक्रोन के गंभीर लक्षणों का सामना करना पड़ रहा है. वैक्सीन सामान्य लक्षण वाले, हल्के लक्षण वाले या बिना लक्षण वाले कोरोना के मामलों के मुकाबले गंभीर मामलों में ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है. ज़ीलियन सोसाइटी ऑफ इम्युनाइजेशन के डायरेक्टर डॉक्टर कफोरी कहते हैं कि “वैक्सीन संक्रमण को रोकती नहीं है, लेकिन ये बच्चों, गर्भवती महिलाओं, वरिष्ठ नागरिकों या किसी ना किसी बीमारी से जूझते लोगों और हम सभी को कोरोना संक्रमण से हो सकने वाली गंभीरता को कम करती है.” हमें इस बात को भी ध्यान में रखना होगा कि आबादी के मुकाबले ओमिक्रोन बहुत ही कम लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है, क्योंकि तक़रीबन सभी योग्य लोगों को कोरोना की वैक्सीन लग चुकी है. आपको बता दें कि ओमिक्रोन से अब तक दुनिया भर में 5 लोगों की ही मौत हुई है और जिन लोगों की अब तक मौत हुई हैं उन्होंने वैक्सीन की पूरी खुराक नहीं ली थी और वह कई गंभीर समस्याओं से भी जूझ रहे थे.
कॉमनवेल्थ फंड के अनुसार अकेले अमेरिका में नवंबर तक कोरोना वैक्सीन की वजह से 11 लाख मौतों को रोकना मुमकिन हुआ. साथ ही 1 करोड़ 30 लाख मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की ज़रूरत नहीं पड़ी. यूरोपियन सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन (ECDC) और विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि अकेले अमेरिकी महाद्वीप के 33 देशों में वैक्सीनेशन शुरू होने के बाद से 60 साल से अधिक उम्र के 4,70,000 लोगों की जान बचाई जा चुकी है. अगर इन लोगों को भी वैक्सीन नहीं लगी होती तो ओमिक्रोन इन लोगों को भी अपनी चपेट में ले चूका होता और यह भी गंभीर लक्षणों से जूझ रहे होते. तो हमें इस बात को समझना होगा कि बिना वैक्सीन के ओमिक्रोन ही नहीं बल्कि कोरोना के किसी भी वेरिएंट से बचाव कर पाना काफी मुश्किल होने वाला है.
कोरोना की दूसरी लहर के दौरान हम सभी इस बारे में जान चुके हैं कि कोरोना के बाकी वेरिएंट कितने खतरनाक रहें हैं, ठीक उसी प्रकार कोरोना का नया वेरिएंट ओमीक्रोन भी काफी ज्यादा खतरनाक है। भारत के डॉक्टरों का मानना है कि ओमीक्रोन वेरिएंट कोरोना के डेल्टा वेरिएंट से 5 गुना ज्यादा संक्रामक है। जिस तेजी से यह दक्षिण अफ्रीका से निकलकर दुनियाभर के अन्य देशों में फैला है, उससे एक बात तो स्पष्ट है कि यह बेहद संक्रामक है। हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि यह वेरिएंट कितना घातक है। जब से भारत में इसके संक्रमित लोग सामने आने लगे तब से सरकार भी इसे लेकर चिंता में हैं, क्योंकि अगर ओमीक्रोन अगर लगातार ऐसे ही बढ़ना शुरू हो गया तो उसे काबू कर पाना मुश्किल हो सकता है, वहीं इससे अर्थव्यवस्था पर भी चोट लगेगी।
एम्स-दिल्ली में 'कम्युनिटी मेडिसिन' विभाग के प्रमुख डॉक्टर संजय राय ने एक प्रसिद्ध अख़बार को दिए अपने एक साक्षात्कार में कहा कि “अभी हमें यह देखना है कि क्या यह स्वरूप (ओमिक्रोन) स्वाभाविक रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बेअसर कर रहा है या नहीं? अब तक जितने भी स्वरूप आए हैं, वह इस 'इम्युनिटी' को बेअसर नहीं कर पा रहे थे। अगर यह स्वरूप स्वाभाविक इम्युनिटी को बेअसर नहीं कर पा रहा है तो फिर भारत के ज्यादातर लोग सुरक्षित होंगे”।
डॉक्टर संजय राय ने आगे कहा कि “मेरे हिसाब से देश में 60 से 70 फीसदी लोगों में स्वाभाविक इम्यूनिटी है। आईसीएमआर ने 68 फीसदी लोगों में स्वाभाविक इम्युनिटी के बारे में बात की है। जो लोग डेल्टा स्वरूप वाले वायरस के संक्रमण के बाद स्वस्थ हुए, उनमें सबसे ज्यादा प्रतिरोधक क्षमता है। सीरो-सर्वेक्षण में भी यह बात सामने आई थी कि दिल्ली में 90 फीसदी से अधिक लोगों में एंटीबॉडी हैं”।
भारत में ओमिक्रोन बड़ों की तुलना में बच्चों के लिए हानिकारक साबित हो सकता है, क्योंकि अभी तक बच्चों को कोरोना की वैक्सीन नहीं लगी है। फ़िलहाल वैक्सीन लगाने की घोषणा भले ही की जा चुकी है, लेकिन अभी केवल 15 से 18 साल तक के बच्चों को ही कोरोना की वैक्सीन दी जायगी। इसलिए भारत में ओमिक्रोन काफी खतरनाक साबित हो सकता है, ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चों का खास ख्याल रखें, ताकि उन्हें ओमिक्रोन ही नहीं बल्कि कोरोना का कोई भी वेरिएंट छू भी न सके। इसके साथ ही छोटे शहरों में भी ओमिक्रोन का खतरा ज्यादा है क्योंकि यहाँ पर सामाजिक दूरी बनाए रखना मुश्किल होता है।
अभी भी इस बारे में शोध जारी है कि मौजूदा वैक्सीन ओमिक्रोन से लड़ने में कितनी कारगर है। हाँ, लेकिन इतना टी है कि ओमिक्रोन से बचाव के लिए भी वैक्सीन अहम् रोल निभाने वाली है। अब तक ओमिक्रोन की वजह से हुई मौतों से यह सामने आया है कि जिन लोगो ने कोरोना की कोई भी वैक्सीन नहीं ली थी केवल उन्ही लोगो को ओमिक्रोन की वजह से जान से हाथ धोना पड़ा है। तो इससे स्पष्ट होता है कि ओमिक्रोन से लड़ने के लिए कोरोना वैक्सीन कितनी जरूरी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का भी यही कहना है कि कोरोना से लड़ने के लिए केवल और केवल वैक्सीन का ही सहारा है।
हाँ, लेकिन इसमें भी कोई शंका नहीं है कि ओमिक्रोन उन लोगो को भी अपनी चपेट में ले रहा है जो कि कोरोना की दोनों डोज ले चुके हैं। ऐसे में दुनिया भर में कोरोना की तीसरी डोज को लेकर मांग बढ़ रही है। ऐसे में भारत की सरकार ने जनवरी से कोरोना के नए वेरिएंट से बचाव के लिए बूस्टर दूज दिए जाने का ऐलान कर दिया है। फ़िलहाल यह डोज केवल 60 वर्ष से अधिक लोगो और फ्रंटलाइनर के लिए ही दिए जाने का ऐलान किया है। इस बारे में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जानकारी दी थी।
इसी बीच लोगो में यह जानने की इच्छा बढ़ गई कि मौजूदा दोनों वैक्सीन कोवैक्सिन और कोविशील्ड में से ओमिक्रोन के खिलाफ ज्यादा कारगर कौन सी वैक्सीन हैं, क्योंकि फ़िलहाल जिन लोगो ने वैक्सीन ली है उन्हें ओमिक्रोन अपनी चपेट में ज्यादा ले रहा है। इस बारे में जानकारी देते हुए पुणे की इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च की इम्युनोलॉजिस्ट डॉ. विनीता ने बताया कि कोवैक्सिन, कोविशील्ड समेत ज्यादातर वैक्सीन ट्रांसमिशन रोकने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने कहा, 'इंट्रामस्कुलर इंजेक्शन के तौर पर उन्हें (वैक्सीन) लगाया गया है। वायरस के प्रवेश वाली जगहों पर उनका प्रभाव तो रहता है लेकिन यह इतना ताकतवर नहीं है कि वहीं पर वायरस को नष्ट कर सके।' ऐसे में अगर किसी शख्स में एंटीबॉडी है तो भी कुछ वायरस प्रवेश कर सकते हैं।
इसी बात की गंभीरता को देखते हुए कोरोना के तीसरे टिके यानी बूस्टर डोज की मांग तेजी से बढ़ रही है।
ओमिक्रोन के क्या लक्षण है?
हाल के दिनों में हम यह जान चुके हैं कि कोरोना का नया वेरिएंट ओमिक्रोन कितनी तेजी से फैलता है और यह कितना गंभीर है। अब तक दुनिया भर के 90 से अधिक देशों में ओमिक्रोन के मामले सामने आ चुके हैं। भारत में अब कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका तेज होती होती जा रही है, कोरोना की पिछली लहर में कोरोना के डेल्टा वेरिएंट ने काफी कहर मचाया था। डेल्टा वेरिएंट में तेज बुखार, लगातार खांसी, सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और ऑक्सीजन लेवल अचानक कम होने जैसे लक्षण देखे गए थे। लेकिन ओमिक्रॉन के लक्षण कुछ अलग हैं और इन्हें बिल्कुल भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। चलिए जानते हैं ओमिक्रोन होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं :-
हल्का बुखार – हल्का या तेज बुखार कोरोना का यह सबसे आम लक्षण है। कोरोना के हर वेरिएंट में यह लक्षण दिखाई देता है। अब तक सामने आए ओमिक्रोन के मामलों को देखे तो संक्रमितों में हल्का बुखार देखा गया है, जिसमे बॉडी का तापमान सामान्य से 100 डिग्री तक ही बना रहता है। अगर आपको लगातार बुखार महसूस हो रहा है तो इसे हल्के में न लें।
खांसी और खारिश – फ़िलहाल सर्दियों का मौसम चल रहा है जिसमे खांसी और खारिश होना एक दम सामान्य बात है। कोरोना के बाकी वेरिएंट के साथ-साथ ओमिक्रोन में भी यह लक्षण दिखाई दे रहा है, इसलिए आप खांसी और खारिश को बिलकुल भी हल्के में न लें इस बारे में तुरंत डॉक्टर से बात करें।
गले में चुभन होना – खांसी और खारिश के अलावा ओमिक्रोन संक्रमित को गले में खराब की जगह गले में चुभन की समस्या हो सकती है। गले में खराश और चुभन काफी हद तक एक तरह ही हो सकते हैं। गले की चुभन में जलन या कुछ गड़ने जैसा महसूस होता है जबकि गले की खराश में दर्द ज्यादा होता है। इस बारे में जानकारी देते हुए दक्षिण अफ्रीकी डॉक्टर, एंजेलिक कोएत्जीका का कहना है कि ऐसी कोई समस्या होने पर तुरंत अपनी कोरोना की जाँच करवानी चाहिए।
गले का छिलना – ओमिक्रोन होने पर रोगी को गले से जुड़ी कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। गले से जुड़ी बाकि समस्याओं के अलावा ओमिक्रोन रोगी को गले में चुभन के साथ-साथ गला छिलने जैसी दिक्कत देखने का दावा किया था, जो कि असामान्य है। यह दोनों लक्षण लगभग एक जैसे हो सकते हैं। हालांकि गले में छिलने की समस्या ज्यादा दर्दनाक हो सकती है।
बहुत ज्यादा थकान – अगर आपको हाल के दिनों में बिना किसी वजह के लगातार ज्यादा थकान महसूस हो रही है और साथ ही आपको गले से जुड़ी कोई समस्या हो रही है तो आपको जल्द से जल्द अपनी कोरोना जांच करवाने की जरूरत है। कोरोना के पहले के वैरिएंट की तरह ही ओमिक्रॉन की वजह से बहुत ज्यादा थकान महसूस हो सकती है। थकान और कम एनर्जी के साथ हर समय आराम करने का मन होता है। इसकी वजह से रोजमर्रा के काम करने में दिक्कत आ सकती है। हालांकि, ये बात ध्यान देना जरूरी है कि ये थकान और भी वजहों से हो सकती है। अच्छा होगा कि आप इसकी सही वजह जानने के लिए कोरोना का टेस्ट करा लें।
बदन दर्द – दिन भर के काम के बाद बदन दर्द की समस्या होना आम बात है, लेकिन अब यह ओमिक्रोन का एक लक्षण है। अगर आपको लगातार बदन दर्द की समस्या हो रही है तो आपको इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए क्योंकि यह ओमिक्रोन का एक लक्षण है।
तेज सिरदर्द – अगर आपको लगातार तेज सिरदर्द की समस्या हो रही है तो आपको इस समय नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह ओमिक्रोन का संकेत हैं। ऐसा होने पर आप इस बारे में अपने डॉक्टर से संपर्क करें। इन सभी लक्षणों के साथ-साथ ओमिक्रोन में बाकी कोरोना के लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं, लेकिन फ़िलहाल सामने आए मामलों में कोरोना के पुराने लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं।
कोरोना के नए लक्षण सामने आए :-
दुनिया भर में ओमिक्रोन के मामले जंगल में लगी आग की तेजी से बढ़ते जा रहे हैं। ओमिक्रोन जैसे-जैसे बढ़ रहा है इसे लेकर नए तथ्य भी लगातार सामने आ रहे हैं, फ़िलहाल इसके तीन नए लक्षणों की पहचान की गई है। यूनाइटेड किंगडम के किंग्स कॉलेज लंदन में जेनेटिक एपिडेमियोलॉजी के प्रोफेसर टिम स्पेक्टर ने ओमिक्रोन के दो नए लक्षणों के बारे में जानकारी दी है और साथ ही यूनाइटेड किंगडम की ZOE COVID Study app ने भी एक अन्य लक्षण के बारे में जानकारी दी है, जो कि निम्नलिखित है :-
भूख न लगना – खाने खाने की इच्छा न होना एक सामान्य बात है, लेकिन अगर आप उपरोक्त लक्षणों के साथ-साथ भूख न लगने की समस्या से जूझ रहे हैं तो यह लक्षण ओमिक्रोन का हो सकता है। खास बात यह कि यह लक्षण केवल टिका लग चुके व्यक्ति में ही दिखाई देता है।
मितली आना – अगर आपको मितली आनी की समस्या होती है और साथ ही आपको ऊपर गई समस्याएँ भी हो रही है तो आपको अपनी कोरोना जांच करवाने की जरूरत है। यह समस्या ओमिक्रोन होने का लक्षण है। शोध के मुताबिक यह लक्षण भी केवल टिका लगवा चुके व्यक्ति में ही दिखाई देता है।
त्वचा संबंधित समस्या – अन्य दो नए लक्षणों के साथ-साथ ओमिक्रोन होने पर त्वचा संबंधित समस्या भी हो सकती है। इमसे आपको त्वचा पर लाल चकत्ते और लाल दाने दिखाई दे सकते हैं। इससे उंगलियों और पैर की उंगलियों पर लाल और बैंगनी रंग के धब्बे हो सकते हैं, जिससे दर्द और खुजली हो सकती है। इसके साथ ही ओमिक्रोन संक्रमित को त्वचा संबंधित अन्य समस्याएँ भी हो सकती है।
ओमिक्रोन से कैसे बचाव किया जाए हैं?
अगर आप खुद को और अपनों को ओमिक्रोन से बचा कर रखना चाहते हैं तो आपको कोरोना से बचने के हर संभव उपाय को अपनाना चाहिए। क्योंकि हमें यह ध्यान में रखना चाहिए कि कोरोना कोई आम संक्रमण नहीं है, यह एक से दुसरे व्यक्ति में बड़ी तेजी से फैलता है और यह काफी गंभीर भी हो सकता है, जिससे की व्यक्ति की जान भी जा सकती है। ओमिक्रोन या कोरोना के किसी भी वेरिएंट से बचने के लिए आप निम्नलिखित उपायों को अपना सकते हैं :-
आहार और दवाओं से जुड़ी विशेष जानकारी के लिए आप अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।
Dr. Sanjay Kalra is a globally recognized endocrinologist with extensive contributions to clinical care, research, and medical education. He currently serves as the Treasurer of the International Society of Endocrinology (ISE) and President of the Association of Longevity and Anti-ageing Medicine. He has previously held leadership positions as President of the Endocrine Society of India (ESI), South Asian Federation of Endocrine Societies (SAFES), and the Indian Professional Association for Transgender Health (IPATH). With a strong academic and research background, Dr. Kalra has served as Principal Investigator in over 50 international Phase 1–4 clinical trials. He is also the Principal Investigator for Haryana in the Indian Council of Medical Research’s INDIAB study. A prolific speaker, Dr. Kalra has delivered more than 1000 lectures on diverse endocrinology topics across five continents, including Europe, North America, Africa, Asia, and Australia.
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