सेल्फ मेडिकेशन क्या है? | Self-Medication in Hindi

सेल्फ मेडिकेशन क्या है? | Self-Medication in Hindi

दवाएं हमें बीमारियों से छुटकारा दिलाने के लिए प्रयोग की जाती है, लेकिन काफी बार यह नकारात्मक प्रभाव भी देती है। दवाओं से होने वाले नकारात्मक प्रभावों के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें सेल्फ-मेडिकेशन सबसे बड़ा कारण है। देखा जाए तो खुद से दवाएं लेने वालों की संख्या लाखों या करोड़ों में हो सकती है जो कि काफी घातक है और सबसे गंभीर तथ्य यह है कि लोग इस बारे में जागरूक नहीं है। इस लेख में सेल्फ-मेडिकेशन के बारे में बताया गया है, जिसकी मदद से आप इससे होने वाले नुकसान और अन्य समस्याओं के बारे में विस्तार से जान सकते हैं। 

सेल्फ मेडिकेशन क्या है? What is Self-Medication?

सेल्फ मेडिकेशन एक तरह का मानवीय व्यवहार है जिसमें व्यक्ति किसी बीमारी या अन्य सामान्य स्वास्थ्य समस्याओं का खुद से इलाज करने के लिए बिना किसी डॉक्टर या मेडिकल पेशवर की सलाह से दवाएं लेते हैं। इसमें व्यक्ति बिन प्रिस्क्रिप्शन के ही दवाएं खरीदते हैं और अपनी इच्छा या सामान्य जानकारी के अनुसार दवाएं लेते हैं। डॉक्टर की सलाह के बिना ली गई दवाओं में दवा लेने की मात्रा और साथ ही दवा से होने वाले नकारात्मक प्रभावों की जानकारी का अभाव होता है, जिसके चलते आपके स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक समस्या हो सकती है।  

खुद डॉक्टर बनने से बचे, हो सकता है खतरनाक! Avoid becoming a doctor by yourself, it can be dangerous!

छोटी-मोटी शारीरिक परेशानी जैसे कि बुखार, पेट दर्द, उलटी, दस्त, सर्दी-जुकाम आदि होने पर लोग खुद या फिर किसी से पूछकर दवा ले लेते हैं। यहां तक कि लक्षण बताकर दवा की दुकान से भी दवा लेकर खा लेते हैं जो कि भारत में बहुत ही आम है। लेकिन, आपको ऐसा करने से बचना चाहिए क्योंकि, सामान्य सी स्वास्थ्य समस्याएँ किसी गंभीर रोग का संकेत और लक्षण हो सकता हैं। उदाहरण के लिए हल्के से गंभीर सर दर्द ब्रेन हैमरेज या ब्रेन ट्यूमर का लक्षण हो सकता है। 

सेल्फ मेडिकेशन के कई नुकसान है जिनका असर लंबे समय में जाहिर हो सकता है। बुनियादी तौर पर जब दवाइयां आपके शरीर में प्रवेश करती हैं तो तेजी से अवशोषित हो जाती हैं और प्रतिक्रिया पैदा कर सकती हैं। दवाएं लेने के तुरंत बार आपको आराम मिल सकता है, लेकिन बाद में उसके साइड-इफेक्ट्स जाहिर होने की पूरी आशंका बनी रहती है। जिस तरह बार-बार बदन दर्द के लिए ली जाने वाली दवाएं आराम तो देती है, लेकिन एक समय ऐसा आता है कि उनके नकारात्मक प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। जैसे – दवा का असर कम या खत्म होना, उच्च रक्तचाप की समस्या और सबसे गंभीर किडनी संबंधित रोग। सेल्फ मेडिकेशन आपको गंभीर स्थिति में धकेल सकता हैं इसलिए इससे बचे और खुद डॉक्टर न बनकर डॉक्टर की सलाह से ही निर्धारित दवाएं ही लें। 

कौन सी दवाएं सबसे ज्यादा खुद से ली जाती है? Commonly consumed medicines 

वैसे तो सेल्फ मेडिकेशन में दवाओं की लिस्ट काफी लंबी है, लेकिन यहाँ नीचे वो दवाएं हैं जिन्हें सबसे ज्यादा लिया जाता है और यही गंभीर स्वास्थ्य जोखिम को सबसे ज्यादा बढ़ाती है :- 

  1. दर्द निवारक दवाएं (PainKillers)

  2. गैस संबंधित समस्याओं के लिए दवाएं 

  3. बर्थ कंट्रोल पिल्स (Birth Control Pills)

  4. खांसी के लिए सिरप और दवाएं 

  5. सेक्स के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं, जैसे वाईग्रा (Viagra)

  6. कब्ज के लिए दवाएं (Constipation)

  7. बुखार के लिए दवाएं आदि। 

इन दवाओं में आयुर्वेदिक, होम्योपैथी और यूनानी दवाएं भी शामिल है। यदि आपको लगता है कि इन उपचार पद्धतियों में कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता तो आपककी जानकारी बिलकुल गलत है। उदहारण के लिए, आयुर्वेद में किसी भी दवा को लेने के कई तरीके हो सकते हैं जो कि रोग, रोग की गंभीरता या चरण, और रोगी की शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। 

सेल्फ मेडिकेशन से क्या नुकसान हो सकते हैं? What are the disadvantages of self-medication?

सेल्फ मेडिकेशन की वजह से आपको निम्नलिखित कुछ सामान्य से लेकर गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है :- 

  1. कब्ज

  2. त्वचा पर लाल चकत्ते 

  3. सूजन

  4. दस्त

  5. चक्कर आना

  6. तंद्रा (Drowsiness)

  7. मुँह सुखना

  8. सिरदर्द

  9. अनिद्रा (Insomnia)

  10. जी मिचलाना

अधिक गंभीर प्रभावों के उदाहरणों में शामिल हैं:

  1. आत्मघाती विचार (Suicidal Thoughts)

  2. असामान्य हृदय ताल (Abnormal Heart Rhythm)

  3. आंतरिक रक्तस्राव (Internal bleeding)

  4. कैंसर (Cancer)

  5. किडनी संबंधित रोग (Kidney)

  6. उच्च रक्तचाप 

  7. मधुमेह संबंधित समस्याएँ 

  8. पेशाब से जुड़ी समस्याएँ 

सेल्फ मेडिकेशन से बच्चे और वृद्ध लोग रहे दूर। Children and old people stayed away from self-medication।

वैसे तो सेल्फ मेडिकेशन हर किसी व्यक्ति के लिए घातक साबित हो सकता है, अब चाहे वो किसी भी उम्र वर्ग का क्यों न हो। लेकिन बच्चों और वृद्ध लोगों को डॉक्टर की सलाह के बिना किसी भी प्रकार की दवा नहीं देनी चाहिए, क्योंकि इन दोनों उम्र वर्ग में इम्यून सिस्टम सबसे ज्यादा कमजोर होता है जिसकी वजह से समस्याएँ होने की आशंका सबसे ज्यादा होती है। यदि आप अपने बच्चे को सप्लीमेंट देने का विचार कर रहे हैं तो इसके लिए डॉक्टर से जरूर बात करें, क्योंकि इससे किडनी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका बनी रहती है। आपका डॉक्टर आपको इस बारे में पूरी जानकारी देगा कि आपके बच्चे को सप्लीमेंट की जरूरत है या नहीं और अगर है कि कितनी मात्रा में। 



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Mr. Ravi Nirwal

Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.

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