इस बात में कोई शंका या दोराहे नहीं है कि किडनी हमारे शरीर का सबसे खास और अभिन्न अंग है। आप इस इस कथन का साक्ष्य इस बात से भी लगा सकते हैं कि हमारी किडनी पुरे शरीर में बहने वाले रक्त को साफ़ करने का काम करती है जिसकी वजह से हमारे शरीर के सभी अंगों को साफ़ रक्त मिल पाता है और शरीर का शारीरिक और मानसिक विकास बिना किसी रूकावट के होता है। इतना ही नहीं, किडनी हमारे शरीर में मौजूद सोडियम, यूरिक एसिड, यूरिया, पोटेशियम और शर्करा जैसे सभी जरूरी और गैर जरूरी तत्वों के बीच संतुलन बनाने का काम करती है।
किडनी खाली रक्त साफ़ करने का काम ही नहीं बल्कि यह हमारी हड्डियों को मजबूत बनाने और लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) का निर्माण करने में भी काफी मदद करती है। अब किडनी भले ही हमारे शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए कितनी भी मेहनत कर लें, लेकिन कई बार ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो जाती है जिसकी वजह से किडनी अपने यह जरूरी काम नहीं कर पाती।
एक किडनी को वैसे तो कई समस्याएँ और बीमारियाँ हो सकती है, लेकिन किडनी की सूजन एक ऐसी समस्या है जो कि काफी गंभीर होती है और लोगों को इसके बारे में जानकारी भी बहुत कम है। किडनी की सूजन इसलिए भी गंभीर है क्योंकि लोगों को इसके बारे में बहुत कम जानकारी है और इसकी पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि इसके लक्षण इतने आम होते हैं कि उन्हें देखकर इतने गंभीर रोग के बारे में अंदेशा लगा पाना काफी मुश्किल होता है। चलिए medtalks पर हिंदी में लिखे किडनी सूजन के बारे में विस्तार से जानते हैं।
विज्ञान की भाषा में किडनी की सूजन को नेफ्राइटिस (nephritis) के नाम से जाना जाता है। किडनी में आई सूजन या नेफ्राइटिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें किडनी के मुख्य भाग यानी नेफ्रॉन (nephron) में सूजन आ जाती है। नेफ्रॉन में सूजन आने के कारण किडनी ठीक तरह से खून साफ़ करने में असमर्थ हो जाती है, जिससे व्यक्ति को कई समस्याएँ होनी शुरू हो जाती है। किडनी में सूजन का आना एक गंभीर स्थिति है जिससे समय रहते निजात ना पाई जाए तो रोगी की हालत काफी बढ़ सकती है, जिसमे किडनी भी खराब हो सकती है।
हाँ, किडनी में आई सूजन कई प्रकार की होती है, किडनी में आई सूजन का हर प्रकार प्रभावित क्षेत्र निर्भर करता है की किडनी का कौन सा हिस्सा सूजन से प्रभावित हुआ है। वैसे तो किडनी का कोई भी हिस्सा सूजन से प्रभावित हो सकता है लेकिन ट्यूबल (Tubule), ग्लोमेरुली (Glomeruli), मध्य किडनी ऊतक (Interstitial renal tissue) यह किडनी के तीन मुख्य भाग हैं, जो सूजन से सबसे जल्दी और सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस (Glomerulonephritis) –
इस स्थिति में किडनी की सूक्ष्म केशिकाओं (Micro capillaries) में सूजन के साथ लालिमा आ जाती है। किडनी की इन कोशिकाओं का काम खून को साफ करने का होता है। जब किसी कारण के चलते कोशिकाओं में सूजन और लालिमा आ जाती है, तो यह ठीक तरह से खून को साफ करने में असमर्थ हो जाती है, जिसके चलते खून में अपशिष्ट उत्पादों (waste products) की मात्रा बढ़ जाती है और व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
इंटरस्टीशियल नेफ्राइटिस (Interstitial Nephritis) –
किडनी की सूजन का यह प्रकार किडनी की सूक्ष्म केशिकाओं (Micro capillaries) में आई सूजन कम गंभीर होता है, इससे आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। लेकिन, अगर नेफ्रॉन के मध्य भाग में सूजन आ जाए तो यह काफी जोखिम भरी स्थिति होती है। नेफ्रॉन के मध्यम भाग में सूजन आने की स्थिति को इंटरस्टीशियल नेफ्राइटिस के नाम से जाना जाता है।
पायलोनेफ्राइटिस (Pyelonephritis) –
किडनी खून साफ करते हुए पेशाब बनाने का काम करती है, इस प्रकार किडनी शरीर के अपशिष्ट उत्पादों को शरीर से बाहर निकाल देती है। किडनी पेशाब बनाने के बाद उसे मूत्रवाहिनी (ureter) के जरिये से मूत्राशय (urinary bladder) में भेज देती है, जहाँ पर पेशाब जमा हो जाता है। लेकिन कई बार अनेक कारणों के चलते मूत्राशय में सूजन आ जाती है जो कि मूत्राशय से होते हुए मुत्रवाहिनी से होते हुए किडनी तक पहुँच जाती है। किडनी में आई इस प्रकार की सूजन को पायलोनेफ्राइटिस के नाम से जाना जाता है। किडनी की इस स्थिति में पूरा चक्र सूजन की चपेट में आ जाता है, जिसके चलते रोगी को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
एक व्यक्ति को नेफ्राइटिस यानि किडनी में सूजन की समस्या होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इसका मुख्य कारण है किसी दवा या संक्रमण के चलते हुआ रिएक्शन। जब कोई व्यक्ति किसी भी शारीरिक समस्या, संक्रमण या एलर्जिक रिएक्शन से जूझ रहा होता है तो उस दौरान समस्या से छुटकारा पाने के ली गई एंटीबॉडीज का निर्माण करना शुरू करता है। निर्माण की गई एंटीबॉडीज कई बार किडनी के ऊतकों पर हावी हो जाते हैं, ऐसी स्थिति में सूजन और लालिमा आ जाती है। ठीक ऐसा ही दवाओं की वजह से भी होता है, जब दवाएं शरीर में एंटीबायोटिक दवाएं शरीर में जाती है तो उसकी वजह से भी किडनी में सूजन आने की समस्या हो सकती है।
इन दोनों कारणों के अलावा किडनी में सूजन निम्नलिखित कारणों के चलते भी आ सकती है :-
किडनी में सूजन का आना एक वंशानुगत समस्या भी हो सकती है। अधिकांश किडनी रोग वंशानुगत ही होते है।
अगर खून में पोटेशियम की कमी हो जाए तो व्यक्ति को इंटरस्टीशियल नेफ्राइटिस रोग हो सकता है, जो किडनी में सूजन का कारण बनता है।
यदि पहले कभी मूत्राशय, किडनी या मूत्रवाहिनी का ऑपरेशन हुआ है तो उससे भी किडनी में सूजन आने की संभावना बनी रहती है।
किडनी और मूत्राशय में पथरी होने के कारण से भी किडनी और किडन के पुरे तंत्र में सूजन आ सकती है।
किडनी में सूजन आने के पीछे बैक्टीरियल संक्रमण भी हो सकता है। इ-कोलाई नामक बैक्टीरिया से किडनी में सूजन आ सकती है, इससे सबसे पहले मूत्र संक्रमण होता है उसके बाद किडनी में सूजन आती है। यह जीवाणु मूत्राशय से किडनी तक पहुंच सकता और वहां पर किडनी में पायलोनेफ्राइटिस पैदा कर सकता है। यह संक्रमण पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में होने की आशंका अधिक होती है।
यदि शरीर के अंदर किसी हिस्से में (विशेषकर किडनी के आसपास) विकसित हुआ फोड़ा फूट जाए तो भी किडनी में सूजन आ सकती है। फोड़ा फूट जाने पर खून के माध्यम से संक्रमण किडनी तक पहुँचता है और किडनी में सूजन आ जाती है।
निम्नलिखित कुछ जोखिम कारक है जिनकी वजह से किडनी में सूजन आने का खतरा बढ़ सकता है :-
बीते कई सालों से डायबिटीज होना
लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या
हृदय संबंधित रोग होने पर
सामान्य से ज्यादा मोटापा – इसके साथ ही सक्रियता की कमी
किडनी से जुड़ा कोई पारिवारिक रोग
अधिक उम्र होने के कारण और हमेशा बिस्तर पर या दवाओं पर ज्यादा निर्भरता
दर्द निवारक दवाएं अधिक लेने की आदत या कोई अन्य दवाएं लेने की आदत
इम्यून सिस्टम से संबंधित किसी प्रकार का कोई रोग
हाल ही में मूत्र प्रणाली (urinary system) के किसी भाग का ऑपरेशन होने के कारण
हाल में मूत्र पथ संक्रमण हुआ हो या लंबे समय से चल रहा हो
किडनी से जुड़ी किसी भी समस्या या बीमारी की पहचान कर पाना काफी मुश्किल होता है क्योंकि इसके लक्षण शुरुआती समय में दिखाई नहीं देते। जब किडनी से जुड़ा कोई भी रोग दुसरे या तीसरे चरण में पहुँच जाता है तब उसके लक्षण स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं। सामान्य तौर नेफ्राइटिस होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-
नींद न आने की समस्या
पेल्विस (pelvis) के आसपास तेज़ दर्द होना
किडनी में या उसके आसपास दर्द होना
पेट में असहनीय दर्द होना
अधिक मात्रा में पेशाब आना
पेशाब में पस (मवाद) आने लगता (यह और भी कई बीमारियों में हो सकता है)
पेशाब के रंग में परिवर्तन होना
ठंड लगना और बुखार साथ में होना
त्वचा में अचानक नमी आना
लगातार ब्लड प्रेशर हाई होना
झागदार पेशाब आना
शरीर के बाहरी हिस्सों में सूजन आ जाना
पेशाब की मात्रा में परिवर्तन होना
पेशाब के दौरान दर्द और जलन महसूस होना
पेशाब में खून आना या गहरे रंग का पेशाब आना
मतली और उल्टी आना (यह अपच और अन्य कारणों के भी हो सकता है)
बुखार और त्वचा पर चकत्ते
मानसिक स्थिति में बदलाव जैसे उनींदापन या उलझन महसूस होना
अचानक से शरीर का वजन बढ़ जाना (सूजन के कारण किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है, जिसके कारण शरीर में तरल उत्पाद यानि पानी बढ़ जाता है और वजन बढ़ने लगता है)
अगर आप अपने शरीर में उपरोक्त लिखे लक्षणों को महसूस कर रहे हैं तो आपको तुरंत इसके लिए अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। क्योंकि अगर समय से उपचार शुरू न किया जाए तो इसकी वजह से किडनी फेल भी हो सकती है। अगर आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई देने लग जाए तो समझ लेना चाहिए कि किडनी में आई सूजन अब गंभीर हो चुकी है :-
चेहरे पर सूजन
झागदार पेशाब आना
बार-बार पेशाब आना
कम बार पेशाब आना
टखने के आसपास सूजन
अगर आप किडनी में सूजन आने की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसके लिए आपको डॉक्टर से जल्द से जल्द उपचार लेना शुरू कर देना चाहिए। लेकिन बेहतर होगा कि आप इस गंभीर रोग से अपना बचाव करें। किडनी में सूजन न आए इसके लिए आप निम्नलिखित उपाय अपना सकते हैं :-
ब्लड प्रेशर को बढ़ने ना दें।
नमक और चीनी का सेवन कम मात्रा में करें।
वजन को बढ़ने से रोके।
जो लोग पहले से किडनी से जुड़ी या पेशाब से जुड़ी किसी समस्या से प्रभावित है उनको धूम्रपान बिलकुल भी नहीं करना चाहिए।
कोलेस्ट्रॉल को सामान्य बनाएं रखें।
किडनी को प्रभावित करने वाली दवाओं के सेवन से बचे, जैसे नॉन स्टेरॉयडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs)।
पेशाब करने या मल त्याग करने के बाद आगे से पीछे की तरफ पोंछते हुऐ अपने प्राइवेट अंगों को साफ करना चाहिए। ऐसा करने से गुदा क्षेत्र (anal area) के बैक्टीरिया मूत्र मार्गों (to urinary tract) तक नहीं जा पाते।
जननांगों genitals को साफ और सूखा रखना चाहिए।
हमेशा ढीले अंडरगारमेंट्स व अन्य कपड़े पहने ताकी हवा अंदर जाती रहे।
नायलॉन, टाइट जीन्स और गीले स्विमसूट पहन कर रखने से जननांगों में संक्रमण होने की आशंका बढ़ जाती है।
मासिक धर्म के दौरान महिलाऐं सफाई का विशेष ध्यान रखे।
शराब का सेवन बिलकुल ना करे।
इन उपायों के साथ-साथ आप अपने आहार का भी विशेष ध्यान दें। हमेशा ताज़ा खाना ही लें और दवाओं से जितना हो सके उतना दूर रहें।
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