दर्द प्रबंधन क्या है | Pain Management in Hindi

दर्द क्या है? What is pain?

हम सभी लोग कभी न कभी दर्द का अनुभव करते हैं, यह एक ऐसी शारीरिक स्थिति है जिसकी वजह से एक व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक रूप से समस्या हो सकती है। दर्द मस्तिष्क और शरीर से संबंधित एक बुरा अनुभव होता है जिसमें शरीर के ऊतकों को नुकसान होता है। जब कोई संकेत तंत्रिका तंतुओं के माध्यम से मस्तिष्क तक व्याख्या के लिए जाता है तो लोग दर्द महसूस करते हैं। दर्द का अनुभव हर व्यक्ति के लिए अलग होता है, और दर्द को महसूस करने और उसका वर्णन करने के कई तरीके हैं। फ़िलहाल तक दर्द की कोई सटीक परिभाषा नहीं बन पाई है, लेकिन चिकित्सकीय दृष्टिकोण के अनुसार दर्द को किसी अंदरूनी समस्या का संकेत माना जाता है। दर्द मुख्य रूप से किसी अन्य शारीरिक समस्या का एक लक्षण या संकेत होता है जो कि सामान्य से लेकर अति गंभीर हो सकता है। 

दर्द कितने प्रकार का होता है? What is the type of pain? 

असल में देखा जाए तो दर्द के कितने प्रकार हो सकते हैं इस बारे में कोई सटीक जानकारी नहीं है। एक व्यक्ति अपने शरीर के सभी हिस्सों में दर्द का अनुभव कर सकता है जो कि दुसरे व्यक्ति से बिलकुल अलग होगा। लेकिन फ़िलहाल दर्द को मुख्य रूप से दो प्रकारों में विभाजीत किया जाता है जो कि निम्न वर्णित किये गये हैं :-

एक्यूट दर्द Acute Pain – 

दर्द का यह प्रकार व्यक्ति को शरीर के किसी हिस्से में लगी चोट या स्थानीयकृत ऊतक क्षति (localized tissue damage) के बारे में जागरूक करता है। यह दर्द अचानक से शुरू होता है और पीड़ा का उपचार होने के कुछ समय बाद अपने आप चला जाता है। लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि एक्यूट पेन गंभीर नहीं होता, काफी बार यह दर्द गंभीर भी हो सकता है जिसकी वजह से व्यक्ति को काफी समस्या का सामना करना पड़ सकता है, आप इसके उदहारण के लिए सर दर्द को ले सकते हैं। इतना ही नहीं अगर एक्यूट पेन बढ़ जाए तो इसकी वजह से दिल की धड़कन बढ़ सकती है और साथ ही रक्तचाप भी हाई हो सकता है। 

एक्यूट पेन मुख्य रूप से तीन प्रकार का होता है :- 

  1. दैहिक दर्द Somatic Pain: एक व्यक्ति को दैहिक दर्द या सतही दर्द त्वचा पर या त्वचा के ठीक नीचे के कोमल ऊतकों पर महसूस होता है।

  2. आंत का दर्द Visceral Pain: यह दर्द शरीर के आंतरिक अंगों और गुहाओं के अस्तर में उत्पन्न होता है। उदहारण के लिए पेट दर्द या छाती में दर्द। 

  3. संदर्भित दर्द Referred Pain: दर्द के इस प्रकार में दर्द मुख्य प्रभावी अंग की जगह शरीर के दुसरे अंग में होता है। जैसे किडनी या पैंक्रियास में दर्द होने पर पेट या कमर में दर्द महसूस होता है। 

पुराना दर्द या क्रोनिक पेन Chronic Pain :-  

एक्यूट पेन की तुलना में पुराना दर्द या क्रोनिक पेन काफी लंबे समय तक रहता है और अक्सर इसका कोई उपचार भी नहीं होता, हाँ लेकिन इससे कुछ समय के लिए राहत पाई जा सकती है पर इससे हमेशा के लिए बहुत ही कम मामलों में छुटकारा मिलता है। क्रोनिक दर्द हल्के से लेकर गंभीर और अति गंभीर तक हो सकता है।  अगर कोई दर्द आपको लगातार पिछले करीब 3 महीने या उससे अधिक समय से हो रहा है तो निश्चित ही वह पुराना दर्द है। पुराना दर्द निरंतर भी हो सकता है, जैसे कि गठिया में, या रुक-रुक कर, जैसा कि माइग्रेन के प्रकरण के साथ होता है। बार-बार होने वाला दर्द बार-बार होता है लेकिन गंभीर होने के बीच रुक जाता है।

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एक्यूट और क्रोनिक दर्द के अलावा भी दर्द को एनी कुछ हिस्सों में बंटा जा सकता है जो कि निम्नलिखित है :- 

  • न्यूरोपैथिक दर्द Neuropathic Pain: न्यूरोपैथिक दर्द मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी को शरीर के बाकी हिस्सों से जोड़ने वाली परिधीय नसों (peripheral nerves) में चोट लगने के बाद होता है। यह बिजली के झटके की तरह महसूस कर सकता है या कोमलता, सुन्नता, झुनझुनी या बेचैनी की समस्या पैदा कर सकता है। 

  • प्रेत दर्द Phantom Pain: प्रेत दर्द वह दर्द है जो ऐसा महसूस करता है कि यह शरीर के किसी ऐसे हिस्से से आ रहा है जो अब नहीं है। डॉक्टरों का मानना ​​था कि विच्छेदन के बाद की यह घटना एक मनोवैज्ञानिक समस्या थी, लेकिन विशेषज्ञ अब मानते हैं कि ये वास्तविक संवेदनाएं रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में उत्पन्न होती हैं। 

  • केंद्रीय दर्द Central Pain: इस प्रकार का दर्द अक्सर मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में रोधगलन, फोड़े, ट्यूमर, अध: पतन या रक्तस्राव के कारण होता है। केंद्रीय दर्द एक बार शुरू होने के बाद यह हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है। केंद्रीय दर्द वाले लोगों को जलन, दर्द और दबाने वाली संवेदनाओं की समस्या होती है। 

  • पेट में दर्द Abdominal Pain: पेट में होने वाला दर्द शरीर में होने वाले बाकी दर्द के मुकाबले काफी गंभीर माना जाता है क्योंकि इसे पकड़ पाना काफी मुश्किल होता है। 

  • जोड़ों का दर्द Joint Pain: जोड़ों में होने वाला दर्द उम्र से जुड़ा हुआ है, बढ़ती उम्र के साथ अक्सर व्यक्ति को इसकी समस्या होना शुरू हो जाती है। वहीं, काफी बार यह दर्द गठिया या अन्य कारणों के चलते भी हो सकता है। 

  • जटिल क्षेत्रीय दर्द सिंड्रोम Complex Syndrome of Limited Pain: जटिल क्षेत्रीय दर्द सिंड्रोम (सीआरपीएस) जिसे पहले रिफ्लेक्स सिम्पैथेटिक डिस्ट्रॉफी के रूप में जाना जाता था, एक पुरानी तंत्रिका संबंधी विकार है जिसमें दर्द, सूजन, वासोमोटर अस्थिरता, सुडोमोटर असामान्यता, और मोटर फ़ंक्शन की हानि को अक्षम करने वाले अंगों को शामिल किया जाता है। दर्द का यह प्रकार एक चौंकाने वाला, अत्यधिक दर्दनाक विकार है जो एक मामूली चोट से विकसित हो सकता है।  

  • मधुमेह से संबंधित तंत्रिका दर्द (न्यूरोपैथी) Diabetes-related Nerve Pain (Neuropathy): यदि आपको मधुमेह है, तो तंत्रिका क्षति एक गंभीर जटिलता हो सकती है। यह तंत्रिका जटिलता विशेष रूप से रात में गंभीर जलन का कारण बन सकती है। इसकी वजह से पैरों और पैरों की नसों ने जाफी गंभीर दर्द होता है जिसकी वजह से शरीर में सूजन भी आ जाती है। 

  • दाद दर्द (पोस्टहेरपेटिक नसों का दर्द) Shingles Pain (Postherpetic Neuralgia): दाद एक दर्दनाक स्थिति है जो वैरिकाला-ज़ोस्टर से उत्पन्न होती है, वही वायरस जो चिकनपॉक्स का कारण बनता है। इस दर्द से छुटकारा पाना काफी मुश्किल होता है, लेकिन दाद ठीक होने के बाद दर्द से अपने आप छुटकारा मिल जाता है।  

  • चेहरे की नसो मे दर्द Trigeminal Neuralgia: ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें चेहरे के एक तरफ बिजली के झटके के समान दर्द होता है। यह पुरानी दर्द की स्थिति ट्राइजेमिनल तंत्रिका को प्रभावित करती है, जो आपके चेहरे से आपके मस्तिष्क तक सनसनी करती है 

दर्द होने के क्या कारण है? What is the cause of pain? 

हर व्यक्ति में दर्द की समस्या होने के अलग होते हैं, कुछ लोगों को तेज संगीत सुनने से ही सर दर्द की समस्या हो जाती है वहीं कुछ लोगों को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। कुछ लोगों को थोड़ा सा ही वजन उठाने से कमर दर्द की समस्या होना शुरू होने लगती है वहीं दूसरी तरह कुछ लोग भारी से भारी सामान बड़ी आसानी से उठा लेते हैं और उन्हें उससे कोई समस्या भी नहीं होती। वैसे मुख्य रूप से शरीर में दर्द होने का मुख्य कारण कोई ऐसी स्थिति है जिसकी वजह से हमारा शरीर शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से आराम की स्थिति में नहीं आ पाया। लेकिन फिर भी दर्द होने की समस्या मुख्य रूप से निम्नलिखित तीन कारणों की वजह से होती है :- 

  1. कोई जख्म

  2. किसी सर्जरी के कारण  

  3. कोई चिकित्सीय स्थिति, जैसे – गठिया, कैंसर या कमर में लगी चोट आती 

दर्द का हमारे शरीर को कैसे प्रभावित करता है? How does pain affect our body? 

दर्द एक जटिल सुरक्षात्मक तंत्र है जो कि शारीरिक और मानसिक विकास का एक अनिवार्य हिस्सा है जो शरीर को खतरे और नुकसान से बचाता है। अगर शरीर में दर्द का विकास न हो इससे व्यक्ति को शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से अच्छे और बुरे प्रभाव हो सकते हैं। मान लीजिये अगर हमें दर्द ही न हो तो हम अपने शरीर के साथ बहुत सी ऐसी चीज़े कर सकते हैं जो कि अब हम नहीं करते क्योंकि हमें दर्द होता है। 

शरीर में दर्द रिसेप्टर्स होते हैं जो 2 मुख्य प्रकार की नसों से जुड़े होते हैं जो खतरे का पता लगाते हैं। एक तंत्रिका प्रकार संदेशों को जल्दी से प्रसारित करता है, जिससे तेज, अचानक दर्द यानि एक्यूट दर्द होता है। दूसरा संदेश धीरे-धीरे भेजता है, जिससे बहुत समय बाद दर्द होना शुरू होता है, इसे क्रोनिक दर्द कहा जाता है।  

शरीर के कुछ क्षेत्रों में दूसरों की तुलना में अधिक दर्द रिसेप्टर्स होते हैं। उदाहरण के लिए, त्वचा में बहुत सारे रिसेप्टर्स होते हैं इसलिए सटीक स्थान और दर्द के प्रकार के बारे में जानकारी लेना आसान होता है। आंत में बहुत कम रिसेप्टर्स होते हैं, इसलिए पेट दर्द के सटीक स्थान को इंगित करना कठिन होता है।

यदि त्वचा में दर्द रिसेप्टर्स किसी खतरनाक चीज को छूने से सक्रिय होते हैं, तो ये नसें रीढ़ की हड्डी और फिर मस्तिष्क के उस हिस्से को अलर्ट भेजती हैं जिसे थैलेमस कहा जाता है। आप यहाँ उदाहरण के लिए किसी गर्म चीज़ से छुए जाने की स्थिति को ले सकते हैं। कभी-कभी रीढ़ की हड्डी उन्हें अनुबंधित करने के लिए मांसपेशियों को तत्काल संकेत भेजती है। यह प्रभावित शरीर के अंग को खतरे या नुकसान के स्रोत से दूर ले जाता है।

यह एक प्रतिवर्त प्रतिक्रिया है जो आगे होने वाली क्षति को रोकती है, यह दर्द महसूस करने से पहले होता है। एक बार जब 'अलर्ट' संदेश थैलेमस तक पहुंच जाता है, तो यह आपके पिछले अनुभव, विश्वासों, अपेक्षाओं, संस्कृति और सामाजिक मानदंडों को ध्यान में रखते हुए तंत्रिकाओं द्वारा भेजी गई जानकारी को सॉर्ट करता है। यह बताता है कि दर्द के प्रति लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रियाएँ क्यों होती हैं। तब थैलेमस मस्तिष्क के अन्य हिस्सों में सूचना भेजता है जो शारीरिक प्रतिक्रिया, विचार और भावना से जुड़े होते हैं।

यह तब होता है जब आप दर्द की अनुभूति महसूस कर सकते हैं, सोचें 'वह चोट लगी है! या यह क्या था?' थैलेमस मूड और उत्तेजना में भी योगदान देता है, जो यह समझाने में मदद करता है कि दर्द की आपकी व्याख्या आंशिक रूप से आपके मन की स्थिति पर क्यों निर्भर करती है। 

दर्द के लक्षण क्या है? What are the symptoms of pain?

दर्द होने का कोई लक्षण नहीं होता, यह खुद ही में ही किसी सामान्य या गंभीर समस्या का लक्षण होता है। हमारे शरीर में दर्द होना यह दर्शाता है कि हम किसी शारीरिक समस्या की चपेट में आ चुके हैं और वह अब लगातार बढ़ती जा रही है। हम दर्द की पहचान पर उस शारीरिक समस्या के बारे में आसानी से पता लगा सकते हैं। दर्द होने पर हम दर्द प्रबंधन की सहायता से इससे छुटकारा पा सकते हैं। 

दर्द प्रबंधन है? What is Pain Management? 

दर्द प्रबंधन और कुछ नहीं बल्कि वो तरीके हैं जिससे व्यक्ति होने वाले दर्द से छुटकारा पा सकते हैं या उसे काबू में कर सकते हैं। दर्द प्रबंधन की मदद से व्यक्ति को होने वाले दर्द से हमेशा के लिए से लेकर तक कुछ समय तक के लिए भी छुटकारा पाया जा सकता है। आपको दर्द प्रबंधन से हमेशा के लिए छुटकारा मिलेगा या कुछ या लंबे समय तक के लिए छुटकारा मिलेगा यह ओस बात पर निर्भर करता है कि आप किस प्रकार के दर्द से जूझ रहे हैं, क्या वह एक्यूट है या क्रोनिक है और आप दर्द से छुटकारा पाने के लिए किस तकनीक का सहारा ले रहे हैं। 

दर्द प्रबंधन के कितने तरीके हैं? How many methods of pain management are there? 

दर्द से छुटकारा पाने के लिए एक व्यक्ति निम्नलिखित चार मुख्य तरीकों को अपना सकता है। इन तरीकों में ऐसे बहुत से उपाय है जिनकी मदद से दर्द से थोड़े समय से लेकर लंबे समय तक और काफी बार हमेशा के लिए छुटकारा मिल सकता है। 

  1. शारीरिक तरीके Physical Methods 

  2. मन-शरीर तकनीक Mind-body Techniques 

  3. आराम के तरीके Relaxation Methods 

  4. दवाई से उपचार Drug Therapy 

चलिए अब हम एक-एक करके इन चारों दर्द प्रबंधन के तरीकों के बारे में विस्तार से जानते हैं और दर्द से छुटकारा पाते हैं। 

शारीरिक तकनीक Physical Techniques :- 

दर्द होने पर सबसे उससे छुटकारा पाने के लिए सबसे ज्यादा शारीरिक तरीकों को अपनाया जाता है और यह बाकी तरीकों के मुकाबले तेजी से काम करते हैं :- 

गर्म और ठंडी थरेपी – दर्द को कम करने के लिए हॉट एंड कोल्ड थेरेपी एक सामान्य और सुरक्षित तकनीक है।गर्मी मांसपेशियों को आराम देने और रक्त वाहिकाओं को फैलाने में मदद करती है। यह चोट के बाद ठीक होने में जल्द मदद करती है। इसके लिए रबड़ की या कांच की बोतल में गरम पानी डालकर संभवित क्षेत्र की सिकाई की जाती है। शीत चिकित्सा रक्त प्रवाह को कम करती है और सूजन को कम करती है जिससे दर्द होता है। इसमें अक्सर बर्फ से सिकईं की जाती है। 

मालिश – भारत में किसी भी दर्द से छुटकारा पाने के लिए मालिश का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है। मालिश करने के लिए दर्द निवारक तेल, क्रीम या बाम का इस्तेमाल किये जाता है और इससे काफी तेजी से आराम मिलता है। सर दर्द होने में सर की मालिश करने से बहुत तेजी से आराम मिलता है। मालिश करने से एक व्यक्ति को निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं :- 

  • शारीरिक और मानसिक विश्राम

  • बढ़ा हुआ लचीलापन

  • कम सूजन

  • बेहतर मुद्रा

  • बेहतर परिसंचरण

  • कम कठोरता

एक्यूपंक्चर – एक्यूपंक्चर में शरीर में सटीक बिंदुओं पर त्वचा पर पतली सुइयों को लगाने वाला एक चिकित्सीय उपचार है।  यह काफी लंबे समय से चीन और उसके पास के कई देशों में इस्तेमाल किया जाता रहा है। इससे जुड़े कई शोध हैं जिससे यह साबित होता है कि यह तकनीक लोगों को कुछ दर्द की स्थिति का प्रबंधन करने में मदद कर सकती है।

इसमें पीठ के निचले हिस्से, गर्दन, घुटने और पुराने ऑस्टियोआर्थराइटिस में दर्द से अल्पकालिक राहत मिल सकती है। एक्यूपंक्चर के इस्तेमाल से निम्नलिखित लाभ मिल सकते हैं :- 

  • दर्द से राहत

  • कम सूजन

  • शारीरिक और मानसिक विश्राम

  • कम मांसपेशियों की ऐंठन

एक्यूपंक्चर आमतौर पर सुरक्षित होता है, लेकिन अगर आप इसे लेते हुए किसी समस्या का सामना करें तो तुरंत इस बारे में अपने निरीक्षक को जानकारी दें। 

मन-शरीर तकनीक Mind-body Techniques 

इस तकनीक में मनोविज्ञान और शरीर को मिलकर कुछ ऐसी क्रियाएँ की जाती है जिससे पुराने दर्द की समस्या में बड़ी आसानी से छुटकारा मिलता है। इसके लिए निम्न व्रणित तरीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है :- 

संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी – पुराने दर्द के लिए मनोवैज्ञानिक उपचार में कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी (सीबीटी) जैसे टॉकिंग थेरेपी शामिल हैं। मनोवैज्ञानिक उपचार का उद्देश्य किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर पुराने दर्द के नकारात्मक प्रभाव को कम करना होता है। इसमें रोगी के साथ संभावित दर्द के बारे में बात जाती है और दर्द का निवारण किया जाता है। 

योग – योग का उद्देश्य शरीर के विशेष क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, स्ट्रेचिंग के माध्यम से शरीर को आराम की स्थिति में, मजबूत और लचीला बनाए रखना है। सदियों से ही योग की मदद से गंभीर से गंभीर दर्द से छुटकारा पाया जा रहा है। योग न केवल आपको शारीरिक समस्या से छुटकारा दिलाती है बल्कि इससे आपको मानसिक रूप से भी फायदा मिलता है। उदहारण के लिए – अगर आप कमर दर्द से जूझ रहे हैं तो आप भुजंगासन का इस्तेमाल कर सकते हैं। योग करते समय इस बात का ध्यान जरूर रखें कि आप योग के सभी चरणों को ठीक से करें, नहीं तो इससे आपको कई गंभीर समस्याओं का सामना भी करना पड़ सकता है। बेहतर होगा कि आप किसी निरीक्षक की निगरानी में भी योग करें। 

आराम के तरीके Relaxation Methods :- 

दर्द प्रबंधन में आप इन कुछ निम्नलिखित आराम के तरीकों को अपनाकर भी संभावित दर्द से छुटकारा पा सकते हैं :- 

  • गहरी साँस लेने की तकनीक: धीमी और आराम से साँस लेने के तरीके, जैसे कि बॉक्स ब्रीदिंग, तनाव को दूर करने में मदद करते हैं।

  • शांति से सोचना: शांत दृश्य की कल्पना करने में 5 मिनट बिताएं, जैसे प्रकृति में धूप वाली दोपहर या हरे पेड़ों के बीच बैठें। 

  • शांत करने वाली गतिविधियाँ: आप इसके लिए कोई किताब पढ़ सकते हैं, अपनी पसंद का खाना खा सकते हैं, कहीं घुमने जा सकते हैं, पसंद का संगीत सुन सकते हैं या आराम की नींद भी ले सकते हैं।  

दवाई से उपचार Drug Therapy :- 

दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप दवाओं का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। यह दर्द से छुटकारा पाने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाला आम तरीका है। किसी भी दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप चिकित्सक की सलाह से निम्नलिखित दवाओं का सेवन कर सकते हैं :- 

  • नॉन स्टेरिओडल इंफ्लेमेटरी दवाएं

  • एंटीडिप्रेसन्ट

  • बीटा अवरोधक

  • कैनबिस

  • एंटीबायोटिक 


    ध्यान दें कि “किसी भी दवा का ज्यादा सेवन करने से आपको कई शारीरिक समस्याएँ भी हो सकती हैं, जिसमे किडनी संबंधित रोग सबसे आम है। इसलिए बेहतर होगा कि आप दर्द से छुटकारा पाने के लिए आप अन्य उपायों का इस्तेमाल करें।”

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