पाचन तंत्र से जुड़े विकारों के बारे में जाने | Digestive System in Hindi

आपने अक्सर यह बात तो जरूर सुनी ही होगी कि सारी बीमारियों की शुरुआत पेट से होती है। अगर आपको पेट से जुड़ी कोई समस्या रहती है तो यह कहना बिलकुल गलत नहीं होगा कि आप जल्द ही किसी बड़ी समस्या की चपेट में आने वाले हैं। उदहारण के लिए अगर आप लंबे समय से कब्ज की समस्या से जूझ रहे हैं तो इसकी काफी संभवना है कि आपको बवासीर जैसा गंभीर रोग हो सकता है। वहीं, अगर आपको अक्सर गैस और पेट में जलन की समस्या रहती है तो इससे आपको रक्तचाप और दिल से जुड़ी समस्याएँ होने की संभवना होती है। 

इसलिए अगर आपको हमेशा स्वस्थ रहना है तो इसके लिए आपको बस अपने पाचन तंत्र को सभी पेट से जुड़े सभी विकारों से बचा कर रखना होगा। जी हाँ, पेट दर्द और पेट खराब होने के अलावा भी आपको पेट या पाचन से जुड़ी कई समस्याएँ और रोग हो सकते हैं। लेकिन चिंता की बात यह कि अक्सर लोगों को इस बारे में जानकारी ही नहीं होती कि उन्हें पेट से जुड़ी कौन सी समस्या हुई है। तो चलिए इस लेख के माध्यम से कुछ पाचन तंत्र से जुड़े विकारों के बारे में जानते हैं जिससे आपको हमेशा स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी। 

पाचन तंत्र विकार क्या है? What is a digestive system disorder? 

पाचन तंत्र विकार उन स्थितियों का एक समूह है जिनकी वजह पाचन कार्य ठीक से नहीं हो पाता जैसा कि होना चाहिए था। एक व्यक्ति पाचन तंत्र से जुड़े कई विकार अपनी चपेट में ले सकते हैं जिसकी वजह से व्यक्ति को कई शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। पाचन विकारों से होने वाली समस्याएँ सामान्य से लेकर अति गंभीर तक हो सकती है। स्थिति इतनी गंभीर हो सकती है कि रोगी को लंबे समय तक अस्पताल में रहना भी पड़े। एक व्यक्ति को पाचन तंत्र से जुड़े निम्नलिखित विकार हो सकते हैं :- 

  • इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस)

  • छोटी आंत के जीवाणु अतिवृद्धि (SIBO)

  • गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी)

  • पित्ताशय की पथरी

  • सीलिएक रोग

  • क्रोहन रोग 

चलिए इन सभी पाचन विकारों के बारे में विस्तार से जानते हैं। 

गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स रोग (जीईआरडी) Gastroesophageal Reflux Disease (GERD)

यदि आपको सप्ताह में एक से अधिक बार हार्टबर्न या एसिड रिफ्लक्स होता है, तो आपको गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज या जीईआरडी हो सकता है। अन्नप्रणाली निगले हुए भोजन को आपके पेट तक ले जाती है ताकि भोजन को पचाया जा सके। मांसपेशियों की एक अंगूठी-निचला एसोफेजल स्फिंक्टर (एलईएस) – पेट और एसोफैगस को जोड़ता है। जब एलईएस कमजोर होता है, तो पेट का एसिड आपके अन्नप्रणाली में वापस लीक कर सकता है और हार्टबर्न की समस्या पैदा कर सकता है। यह समय के साथ आपके अन्नप्रणाली को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। एक आकड़ें के अनुसार भारत में 10 में से 2 व्यक्ति इस समस्या से पीड़ित हैं। आप जीईआरडी का इलाज जीवनशैली में बदलाव के साथ कर सकते हैं, जैसे कि आप क्या और कब खाते हैं, और छोटे भोजन खाते हैं। 

गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज होने के क्या कारण है? What causes gastroesophageal reflux disease?

इस समस्या के होने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन अगर आप ठीक समय से खाना नहीं लेते या ज्यादा खाना लेते हैं या फिर अगर आप ज्यादा तेल मसालों वाला खाना लेते हैं तो इससे आपको गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की समस्या हो सकती है। तो ऐसे में अगर आप इस समस्या से जूझना नहीं चाहते तो आपको अपने खाने पीने का खास ख्याल रखना चाहिए। 

गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of gastroesophageal reflux disease? 

जब व्यक्ति को गैस्ट्रोओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज की समस्या होती है तो उसे निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :- 

  1. जी मिचलाना

  2. छाती में दर्द

  3. गले में जलन होना 

  4. छाती में जलन होना

  5. उल्टी का मन होना

  6. कुछ भी खाने की इच्छा न होना 

  7. निगलते समय दर्द

  8. निगलने में कठिनाई

  9. पुरानी खांसी

  10. एक कर्कश आवाज

  11. सांसों की बदबू

  12. खाने पर तुरंत उल्टी की इच्छा या जलन बढ़ना

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) Irritable Bowel Syndrome (IBS)

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) पेट से संबंधित एक तरह की समस्या है, जो बड़ी आंत को प्रभावित करती है। इसके कारण पेट में ऐंठन, सूजन और आंत में बदलाव हो सकता है। इस समस्या से जूझ रहे कुछ लोगों को कब्ज की शिकायत होती है, तो कुछ को दस्त, और पेट में दर्द जैसी समस्याओं का समाना करना पड़ सकता है। 

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) क्यों होता है? Why does irritable bowel syndrome (IBS) happen? 

अभी तक इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) होने के कारण अभी स्पष्ट रूप से पता नहीं चल सके हैं। हालांकि, यह एक बैक्टीरियल इन्फेक्शन या आंतों के पेरासिटिक इन्फेक्शन (जियार्डियासिस) होने के बाद हो सकता है। कुछ एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई परेशानियां मिलकर आईबीएस की परेशानी का कारण बनते हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार निम्नलिखित कुछ समस्याओं के चलते एक व्यक्ति इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम की चपेट में आता हैं :- 

  1. छोटी आंत के बैक्टीरिया में वृद्धि।

  2. शारीरिक या यौन शोषण की वजह से होने वाले तनाव के कारण।

  3. कुछ मानसिक समस्याएं, जैसे अवसाद व गंभीर चिंता।

  4. पाचन तंत्र में बैक्टीरियल इन्फेक्शन होना।

  5. पाचन संबंधित समस्या उत्पन्न करने वाली खाद्य पदार्थ। 

  6. लगातार पेट दर्द या पेट में एसिड की समस्या बने रहना। 

  7. काफी लंबे समय तक भूखें रहने की आदत। 

इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम (आईबीएस) के लक्षण क्या है? What are the symptoms of Irritable Bowel Syndrome (IBS)?

आपको लगता है कि आप आईबीएस से जूझ रहे हैं तो आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :- 

  1. पेट में दर्द होना

  2. लगातार गैस की समस्या होना 

  3. पेट भरा हुआ लगना 

  4. ब्लोटिंग की समस्या होना

  5. बाउल हैबिट्स यानी मल त्याग की आदतों में परिवर्तन

  6. दस्त या कब्ज की समस्या होना

  7. उपरोक्त समस्याओं के कारण बुखार या कमजोरी होना। 

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) Small Intestine Bacterial Overgrowth (SIBO)

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) क्या है? What is small intestine bacterial overgrowth (SIBO)?

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) छोटी आंत को प्रभावित करने वाली एक गंभीर स्थिति है। यह तब होता है जब छोटी आंत में जीवाणुओं की संख्या में वृद्धि होती है। यह बैक्टीरिया आंत के अन्य हिस्सों में कम मात्रा में पाए जा सकते हैं और नियमित रूप से समाप्त हो सकते हैं। इससे दर्द और दस्त की समस्या होती है। यह कुपोषण का कारण भी बन सकता है, क्योंकि बैक्टीरिया शरीर के पोषक तत्वों का उपयोग करना शुरू कर देते हैं। 

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) के क्या कारण है? What causes small intestine bacterial overgrowth (SIBO)?

गया है, फ़िलहाल इसे लेकर कई शोध जारी है। लेकिन अब तक के किये गये शोधों के अनुसार यह निम्नलिखित कारणों के चलते होता हैं :- 

  1. छोटी आंत में शारीरिक असामान्यताएं होने पर

  2. छोटी आंत में पीएच स्तर में होने वाले बदलाव के कारण

  3. प्रतिरक्षा प्रणाली ठीक से काम नहीं करने पर

  4. छोटी आंत की मांसपेशियों की गतिविधि खराब हो जाने पर 

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) निम्नलिखित स्वास्थ्य स्थितियों के चलते भी हो सकता है :- 

  1. वायरल आंत्रशोथ

  2. नस की क्षति

  3. सिरोसिस

  4. सीलिएक रोग

  5. क्रोहन रोग

  6. हाइपोक्लोरहाइड्रिया

  7. पोर्टल हायपरटेंशन

  8. संवेदनशील आंत की बीमारी

  9. कुछ गैस्ट्रिक बाईपास प्रक्रियाएं

  10. कोई गंभीर सर्जरी होने पर 

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of small intestine bacterial overgrowth (SIBO)? 

छोटी आंत में जीवाणु अतिवृद्धि (एसआईबीओ) के लक्षण मुख्य रूप से आंत को प्रभावित करते हैं। इस समस्या में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :- 

  1. सूजन

  2. ऐंठन

  3. दस्त या कब्ज होना 

  4. खट्टी डकार

  5. गैस 

  6. पेट में दर्द, खासकर खाने के बाद

  7. परिपूर्णता की नियमित भावना

पित्ताशय की पथरी Gallstones or Bile Stone 

पित्ताशय की पथरी क्या है? 

हमारी पित्ताशय की थैली हमारें ऊपरी दाहिने पेट में, हमारे लीवर के ठीक नीचे स्थित एक छोटा अंग है। यह एक थैली है जो पित्त को जमा करती है, एक हरा-पीला तरल जो पाचन में मदद करता है। पित्ताशय की थैली के साथ समस्या आमतौर पर तब होती है जब कोई चीज उसकी पित्त नली को अवरुद्ध कर रही होती है - जैसे पित्त पथरी। अधिकांश पित्त पथरी तब बनती है जब पित्त में पाए जाने वाले पदार्थ सख्त हो जाते हैं, जैसे – कोलेस्ट्रॉल।पित्त की पथरी होना बहुत आम हैं और नियमित रूप से इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते और अगर दिखाई दें भी तो उन्हें पहचान पाना काफी मुश्किल होता हैं। पित्त की पथरी के लक्षण दिखाई देने में कई सालों का समय लगता है जो कि 2 वर्ष से अधिक हो सकता है। 

पित्ताशय में पथरी की समस्या क्यों होती है? Why is there a problem of gallstones in the gall bladder?

पित्त की पथरी का वास्तविक कारण पित्ताशय की थैली के अंदर पित्त के रासायनिक असंतुलन के कारण माना जाता है। हालांकि शोधकर्ता अभी भी इस बारे में स्पष्ट नहीं हैं कि असंतुलन होने का वास्तव में क्या कारण है, फ़िलहाल इसके निम्नलिखित कुछ संभावित कारण माने जाते हैं :- 

  1. पित्त में बहुत अधिक कोलेस्ट्रॉल

  2. पित्त में बहुत अधिक बिलीरुबिन

  3. एक पूर्ण पित्ताशय की वजह से पित्त केंद्रित होने के कारण। 

पित्ताशय में पथरी होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of gallstones?

जो लोग पित्ताशय की पथरी की समस्या से जूझते हैं उनमे अधिकांश लोगों में कोई लक्षण नहीं दिखाई देता। ऐसा इसलिए है क्योंकि पथरी पित्ताशय की थैली में रहती है और कोई समस्या नहीं होती है। इसके लक्षण तब दिखाई देते हैं जब पित्ताशय की पथरी को कई साल बीत जाए और वहीं इस दौरान जो लक्षण दिखाई देते हैं वह इतने सामान्य होते हैं कि उनकी मदद से इस गंभीर रोग के बारे में पता लगा पाना काफी मुश्किल होता है। 

पित्ताशय में पथरी होने पर पित्त की थैली में सूजन आ सकती है जिसके लक्षणों की पहचान से पथरी के बारे में जनकारी मिल सकती है। किसी भी पथरी की पहचान करने का सबसे आम लक्षण है अचानक से तेज दर्द होना। प्राथमिक लक्षण दर्द है जो अचानक आता है और जल्दी खराब हो जाता है। यह दर्द शरीर के दाहिनी ओर, पसलियों के ठीक नीचे, कंधे के ब्लेड के बीच या दाहिने कंधे में हो सकता है। इसके अलावा रोगी को निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :- 

  1. जी मिचलाना

  2. उल्टी करना

  3. पसीना आना

  4. बेचैनी  

  5. पेशाब से जुड़ी समस्याएँ होना। 

सीलिएक रोग Celiac Disease

सीलिएक रोग क्या है? What is celiac disease?

पाचन तंत्र से जुड़ा सीलिएक रोग एक दुर्लभ रोग है जो कि बहुत कम लोगों को होता है इसका कारण है कि यह रोग अनुवांशिक है। सीलिएक रोग से पीड़ित व्यक्ति को ग्लूटेन की वजह से पाचन से जुड़ी समस्याओं से घिर जाते हैं। ग्लूटेन एक तरह का प्रोटीन है जो कि गेंहू, जौ जैसे अनाज में पाया है, यहीं प्रोटीन अनाज को बांधे रखने में और पचाने में मदद करता हैं। सीलिएक रोग वाले व्यक्ति में, ग्लूटेन के संपर्क में आने से आंत में सूजन हो जाती है। बार-बार एक्सपोजर धीरे-धीरे छोटी आंत को नुकसान पहुंचाता है, जिससे भोजन से खनिजों और पोषक तत्वों को अवशोषित करने में समस्या हो सकती है।

सीलिएक रोग होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of celiac disease?

सीलिएक रोग के लक्षण हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। इस रोग में दिखाई देने वाले लक्षण समय के बदल सकते हैं और हर व्यक्ति में अलग लक्षण दिखाई दे सकते हैं। वहीं कुछ लोगों को इसके लक्षण उम्र भर समझ नहीं आते जिसकी वजह से उन्हें कई समस्याओं का सामन करना पड़ता है। मुख्य रूप से सीलिएक रोग होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :- 

  1. पेट में दर्द

  2. सूजन

  3. गैस

  4. पुरानी दस्त या कब्ज

  5. जी मिचलाना

  6. उल्टी करना

  7. एक दुर्गंधयुक्त मल के साथ पीला मल

  8. वसायुक्त मल जो तैरता है

सीलिएक रोग में पाचन तंत्र के अलावा निम्नलिखित लक्षण भी दिखाई देते हैं :- 

  1. वजन घटना

  2. थकान

  3. अवसाद या चिंता

  4. जोड़ों का दर्द

  5. मुँह के छाले

  6. डर्मेटाइटिस हर्पेटिफोर्मिस 

  7. छोरों में तंत्रिका क्षति, जिसे परिधीय न्यूरोपैथी कहा जाता है 

वयस्कों की तुलना में बच्चों में सीलिएक रोग के लक्षण तेजी से दिखाई देते हैं। ऊपर बताएं गये लक्षणों के अलावा निम्नलिखित लक्षण केवल बच्चों दिखाई देते हैं :-

  1. शिशुओं में पनपने में विफलता

  2. विलंबित वृद्धि और छोटी ऊंचाई

  3. वजन घटना

  4. क्षतिग्रस्त दाँत 

  5. अधीरता 

  6. लगातार मूड में बदलाव

  7. देर से शुरू होने वाला यौवन 

क्रोहन रोग Crohn’s Disease

क्रोहन रोग क्या है? What is Crohn's disease?

क्रोहन रोग एक पुरानी या दीर्घकालिक स्थिति है जो पाचन तंत्र में सूजन का कारण बनती है। क्रोहन रोग दर्दनाक, दुर्बल करने वाला और कभी-कभी जीवन के लिए खतरा भी पैदा कर सकता है। 

क्रोहन रोग होने के क्या कारण है? What causes Crohn's disease?

फ़िलहाल तक यह स्पष्ट नहीं है कि क्रोहन रोग का कारण क्या है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह प्रतिरक्षा प्रणाली की असामान्य प्रतिक्रिया से उत्पन्न हो सकता है। हालांकि, वह फ़िलहाल यह नहीं जानते कि यह प्रतिक्रिया रोग का कारण बनती है या उसके परिणाम। 

क्रोहन रोग होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of Crohn's disease?

क्रोहन रोग के लक्षण अलग-अलग होते हैं, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आंत के किस हिस्से पर स्थिति प्रभावित होती है। वह अक्सर निम्नलिखित में शामिल होते हैं:


  1. मुंह के छाले: क्रोहन रोग होने का यह सबसे आम सामान्य लक्षण हैं।

  2. दर्द: दर्द का स्तर हर व्यक्ति में अलग-अलग होता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि आंत में सूजन कहां है। लोगों को पेट के निचले दाहिने हिस्से में दर्द का अनुभव होता है।

  3. आंत में अल्सर: अल्सर काफी संवेदनशील होते हैं इनमे खून बह सकता है। यदि ऐसा होता है, तो व्यक्ति के मल में खून आ सकता है।

  4. अतिसार: यह हल्के से लेकर गंभीर तक हो सकता है, और इसमें बलगम, रक्त या मवाद हो सकता है। एक व्यक्ति को मल त्याग करने की इच्छा भी महसूस हो सकती है, लेकिन पता चलता है कि कुछ भी नहीं निकलता है।

  5. थकान: क्रोहन रोग वाले लोग अक्सर बहुत थका हुआ महसूस करते हैं, और उन्हें बुखार भी हो सकता है।

  6. भूख में बदलाव: कभी-कभी, व्यक्ति को भूख में कमी का अनुभव हो सकता है।

  7. वजन कम होना: यह भूख न लगने के कारण हो सकता है।

  8. एनीमिया: खून की कमी से एनीमिया हो सकता है।

  9. गुदा से रक्तस्राव और गुदा विदर: गुदा की त्वचा फट जाती है, जिससे दर्द और रक्तस्राव होता है। 

क्रोहन रोग होने पर महिलाओं में इसके लक्षण सामान्य से अलग दिखाई दे सकते हैं  जो कि निम्नलिखित हैं :- 

  1. अनियमित मासिक धर्म –  हार्मोन के कार्य पर प्रभाव के कारण

  2. आयरन की कमी – क्योंकि क्रोहन पोषक तत्वों के अवशोषण को प्रभावित करता है और आंतों से खून बह रहा हो सकता है

  3. सेक्स के दौरान दर्द – अगर लक्षण गुदा या योनि के पास के क्षेत्रों को प्रभावित करते हैं

  4. सेक्स के बारे में बेचैनी –  क्योंकि क्रोहन किसी व्यक्ति की कामेच्छा और शरीर की छवि को प्रभावित कर सकता है, साथ ही साथ दर्द और अन्य प्रकार की परेशानी भी पैदा कर सकता है 

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