एसाइटिस क्या है? लक्षण, कारण, और इलाज | Ascites in Hindi

एसाइटिस क्या है? लक्षण, कारण, और इलाज | Ascites in Hindi

एक व्यक्ति को पेट से जुड़ी बहुत सी समस्याएँ हो सकती है, जिसमें – पेट दर्द, पेट में कीड़े, पेट में गैस, खराब पाचन तंत्र, अपच, दस्त, कब्ज, आँतों से जुड़ी समस्या से लेकर कैंसर तक। पेट से जुड़ी एक ऐसी ही समस्या है जिसे एसाइटिस के नाम से जाना जाता है। इस लेख के जरिये हम एसाइटिस के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। मौजूदा लेख के जरिये एसाइटिस के लक्षण, एसाइटिस के कारण और सबसे जरूरी एसाइटिस के इलाज के बारे में आपको जानकारी मिलेगी। 

एसाइटिस क्या है? What is Ascites? 

एसाइटिस या जलोदर एक ऐसी समस्या है जिसमें पेट में पानी (द्रव) जमा हो जाता है। पेट में पानी खाली जगह जमा होता है। अगर पेट में जमा द्रव या पानी ज्यादा मात्रा में हैं तो यह स्थिति दर्दनाक हो सकती है और इसकी वजह से रोगी को चलने-फिरने और उठने-बैठने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है। यह यह समस्या मुख्यतौर पर तब होती है जब लीवर से काम नहीं कर पाता या काम करना बंद कर देता है। जलोदर का निदान तब किया जाता है जब पेट के अंदर 25 मिलीलीटर (एमएल) से अधिक तरल पदार्थ जमा हो जाए। 

अगर पेट में जमा पानी का इलाज न किया जाए तो इससे पेट से जुड़े कई संक्रमण हो सकते हैं और अगर द्रव छाती तक पहुँच जाए तो इससे सांस लेने में समस्या खड़ी हो सकती है, जिसकी वजह से आपातकालीन स्थिति में अस्पताल में दाखिल किया जा सकता है। 

एसाइटिस के कितने प्रकार है? How many types of ascites are there?

पेट में पानी जमा होने की समस्या एसाइटिस यानि जलोदर को दो प्रकारों में बांटा गया है। एसाइटिस के दोनों प्रकार निम्नलिखित है :- 

  1. ट्रांस्ड्यूएटीव (Transduative) 

  2. एक्स्युडेटिव (Exudative)

जलोदर के दोनों प्रकार का वर्गीकरण तरल पदार्थ में पाए जाने वाले प्रोटीन की मात्रा पर के आधार पर किया जाता है। जलोदर ग्रस्त अंग में यह प्रोटीन तरल यानि एल्बुमिन जितना पाया जाता है, उसकी बाकि शरीर यानि खून में मिलने वाले एल्बुमिन से तुलना की जाती है। एल्बुमिन का आशय प्रोटीन के उस साधारण रूप से है, जो पानी में घुल जाता है और गर्मी से मुलायम हो जाता है।

इसके अलावा कुछ अंर्तनिहित के कारणों के आधार पर भी जलोदर की समस्या को कुछ अलग-अलग श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है। विभिन्न श्रेणियों के आधार पर एसाइटिस के निम्नलिखित प्रकार है :-

मैलिगनेंट एसाइटिस Malignant ascites :- एसाइटिस का यह प्रकार कैंसर के कारण पैदा हुई जटिलताओं की वजह से होता है। मैलिगनेंट एसाइटिस एक से अधिक प्रकार के कैंसर की वजह से होता हैम जिसमें ओवेरियन कैंसर, ब्रेस्ट कैंसर, पेट का कैंसर, कोलन कैंसर फेफड़ों का कैंसर, पैंक्रियास का कैंसर, सर्वाइकल कैंसर, बच्चेदानी का कैंसर, खाने की नली का कैंसर और लिवर कैंसर शामिल है।

संक्रामक एसाइटिस Infectious ascites :- अगर आप बैक्टीरिया, फंगल या पैरासाइट इंफेक्शन से जूझ रहे हैं तो भी आपको जलोदर की समस्या हो सकती है।

हेप्टिक एसाइटिस Haptic ascites:- जलोदर का यह प्रकार लीवर सिरोसिस और अन्य लीवर संबंधित समस्याओं के कारण होता हैं।

कार्डियोजेनिक एसाइटिस Carcinogenic ascites :- हृदय संबंधी दिक्कतों के चलते एसाइटिस यानि जलोदर का यह प्रकार होता है, इसमें दिल के दौरा की समस्या सबसे प्रमुख कारक है।

नेफ्राजेनिक एसाइटिस Nephrogenic ascites :- अगर किडनी संबंधित समस्याएँ बिगड़ जाए या उनका उपचार न किया जाए तो ऐसे में एसाइटिस का यह प्रकार हो सकता है।

अगर एसाइटिस यानि जलोदर का जल्द से जल्द उपचार न किया जाए तो इसकी वजह से कई अन्य रोग होने की स्थिति बन सकती है। ऐसे में जल्द से जल्द उपचार शुरू करना चाहिए। 

एसाइटिस होने पर क्या लक्षण दिखाई देते हैं? What are the symptoms of ascites?

अगर आप जलोदर यानि एसाइटिस से जूझ रहे हैं तो आपको निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :-

  1. पेट में दर्द रहित सूजन जो दूर जाने के बजाय और ज्यादा बढ़ जाती है

  2. पेट की परेशानी बने रहना 

  3. पेट का भार बढ़ना 

  4. थोड़ा खाने के बाद पेट भरा हुआ महसूस होना

  5. पेट में दबाव बढ़ने पर सांस की तकलीफ, डायाफ्राम को ऊपर की ओर धकेलना और फेफड़ों के विस्तार के लिए जगह को कम करना

  6. वजन बढ़ने के कारण चलने में समस्या होना 

  7. कम खाने की वजह से कमजोरी 

  8. बार-बार उल्टियाँ आना 

  9. पैरों में सूजन आना 

  10. ठीक से सांस न आना 

  11. उपरोक्त समस्याओं के साथ बवासीर होना 

बैक्टीरियल पेरिटोनिटिस के साथ, आपको निम्नलिखित समस्याएँ हो सकती है :-

  1. सामान्य से गंभीर बुखार

  2. पेट में कोमलता

  3. उलझन बने रहना 

ऐसे अन्य लक्षण भी हैं जो कैंसर, दिल की विफलता, उन्नत सिरोसिस या अन्य अंतर्निहित स्थितियों के लिए विशिष्ट हैं। 

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एसाइटिस के क्या कारण है? What is the cause of ascites?

एसाइटिस यानि जलोदर अक्सर लीवर से जुड़ी समस्याओं के कारण होता है, जिसमें लीवर सिरोसिस सबसे अहम् भूमिका अदा करता है। सिरोथिक जलोदर (Cirrhotic Ascites) तब विकसित होता है जब पोर्टल शिरा (portal vein) में रक्तचाप  पाचन अंगों से रक्त को लीवर तक ले जाने वाली रक्त वाहिका बहुत अधिक हो जाती है। जैसे-जैसे दबाव बढ़ता है, किडनी की कार्यप्रणाली खराब हो जाती है और पेट में तरल पदार्थ जमा हो जाता है।

चूंकि लीवर इस तरल पदार्थ को प्रबंधित करने के लिए संघर्ष करता है, यह उदर गुहा (abdominal cavity) में मजबूर हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप जलोदर होता है। कुछ कैंसर जलोदर का कारण भी बन सकते हैं। पेरिटोनियल कैंसर में, पेरिटोनियम (आपके पेट की परत जो आपके पेट के अंगों को ढकती है) में ट्यूमर कोशिकाएं एक प्रोटीनयुक्त तरल पदार्थ का उत्पादन करती हैं, जो जलोदर बन सकता है।

यदि आपको हृदय या किडनी की विफलता है, तो आपकी धमनियों में रक्त की मात्रा गिर सकती है। यह विभिन्न शरीर प्रणालियों में परिवर्तन को ट्रिगर करता है जो कि किडनी की रक्त वाहिकाओं और सोडियम और जल प्रतिधारण में कसना का कारण बनता है। ये भी, जलोदर बना सकते हैं।

एसाइटिस के जोखिम कारक क्या है? What are the risk factors for ascites?

वर्ष 2021 के अनुसे लीवर की क्षति, या सिरोसिस, जलोदर के लगभग 80 प्रतिशत मामलों के लिए जिम्मेदार है। वास्तव में, यह जलोदर के लिए सबसे बड़ा जोखिम कारक है।

इसके निम्नलिखित कुछ स्थितियां है जो कि पेट में पानी भरने की समस्या के जोखिम को बढ़ा सकती है :-

  1. दिल की विफलता लगभग 3 प्रतिशत है।

  2. क्षय रोग 2 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

  3. डायलिसिस 1 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

  4. अग्नाशय की बीमारी, जैसे कि पुरानी अग्नाशयशोथ, 1 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है।

लगभग 2 प्रतिशत मामले अन्य कारणों से होते हैं, जैसे:

  1. अंतःशिरा दवा का उपयोग

  2. मोटापा

  3. उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर

  4. मधुमेह प्रकार 2

  5. गुर्दा रोग

  6. डिम्बग्रंथि घाव

  7. गंभीर कुपोषण

  8. अग्नाशय, यकृत, या एंडोमेट्रियल कैंसर

कुछ लोगों को रक्तस्रावी जलोदर होता है। यह तब होता है जब द्रव में रक्त मौजूद होता है। यह तब हो सकता है जब आपको लिवर कैंसर हो या लसीका द्रव में रक्त हो।

एसाइटिस से क्या जटिलताएँ हो सकती है? What complications can result from ascites?

अगर एसाइटिस का उपचार न किया जाए या यह बढ़ता चला जाए तो इसकी वजह से निम्नलिखित कुछ जटिलताएं हो सकती है :-

  1. पेट में दर्द

  2. फुफ्फुस बहाव, या "फेफड़ों पर पानी", जिससे सांस लेने में कठिनाई हो सकती है

  3. हर्निया, जैसे वंक्षण हर्निया

  4. जीवाणु संक्रमण, जैसे सहज जीवाणु पेरिटोनिटिस (एसबीपी)

  5. हेपेटोरेनल सिंड्रोम (Hepatorenal Syndrome), यह एक दुर्लभ प्रकार की प्रगतिशील किडनी की विफलता है

एसाइटिस का निदान कैसे किया जाता है? How is ascites diagnosed?

जलोदर का निदान कई कदम उठाता है। आपका डॉक्टर पहले आपके पेट में सूजन की जांच करेगा और पेट की पूरी जांच करेगा।

एसाइटिस का निदान करना बड़ी आसानी से किया जा सकता है, क्योंकि इसमें पेट सामान्य से काफी ज्यादा फूल जाता है जो कि स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। इस दौरान डॉक्टर सबसे पहले रोगी में लक्षणों की पहचान करते हैं, जिसमें पेट का आकार, पेट में सूजन और पेट से जुड़ी अन्य स्थितियों और समस्याओं को देखते हैं। इन सभी जांचों के बाद डॉक्टर रोगी को निम्नलिखित जांच करवाने के लिए कहते हैं ताकि एसाइटिस की मौजूदा स्थिति क्या है और उपचार किस स्तर से शुरू किया जाना चाहिए :- 

  1. अल्ट्रासाउंड

  2. सीटी स्कैन

  3. एमआरआई स्कैन

  4. रक्त परीक्षण

  5. लेप्रोस्कोपी Laparoscopy

रोगी को कौन-सी जांच करवानी है यह मौजूदा स्थिति पर निर्भर करता है।

एसाइटिस का उपचार कैसे किया जाता है? How is ascites treated?

एसाइटिस यानी जलोदर का उपचार कैसे किया जाएगा यह उसके कारण और मौजूदा स्थिति पर निर्भर करता है। यदि आपके पास जीवाणु या वायरल संक्रमण है, तो डॉक्टर अंतर्निहित कारण का इलाज करेंगे और लक्षणों से छुटकारा पाने के लिए अन्य उपचार लिखेंगे।

एसाइटिस होने पर इसका उपचार निम्न वर्णित प्रकार से किया जाता है :-

मूत्रवर्धक मूत्रल Diuretics :- 

मूत्रवर्धक आमतौर पर एसाइटिस के इलाज के लिए उपयोग किया जाता है और इस स्थिति वाले अधिकांश लोगों के लिए प्रभावी होता है। यह दवाएं आपके शरीर से निकलने वाले नमक और पानी की मात्रा को बढ़ा देती हैं, जिससे लीवर के आसपास की नसों में दबाव कम हो जाता है।

जब आप मूत्रवर्धक ले रहे होते हैं, तो आपका डॉक्टर आपके रक्त रसायन की निगरानी करना चाह सकता है। आपको शायद अपने शराब का उपयोग (यदि आप शराब पीते हैं) और अपने नमक का सेवन कम करना होगा।

पैरासेन्टेसिस Paracentesis :- 

इस प्रक्रिया में, डॉक्टर आपके पेट से अतिरिक्त तरल पदार्थ को निकालने के लिए एक लंबी, पतली सुई का उपयोग करता है। डॉक्टर त्वचा के माध्यम से और उदर गुहा में सुई डालते हैं। यदि आपको गंभीर या आवर्तक एसाइटिस है, या यदि मूत्रवर्धक के साथ लक्षणों में सुधार नहीं होता है, तो आपको इसकी आवश्यकता हो सकती है।

शल्य चिकित्सा Surgery :-

कुछ मामलों में एसाइटिस के उपचार में एक सर्जन शरीर में एक स्थायी ट्यूब (जिसे शंट कहा जाता है) को लगा सकता है। यह लीवर के चारों ओर रक्त प्रवाह को पुन: व्यवस्थित करता है और नियमित जल निकासी की आवश्यकता को कम करता है। यदि मूत्रवर्धक मदद नहीं करते हैं तो एक शंट उपयुक्त हो सकता है।

यदि जलोदर का उपचार करने के बाद भी कोई फर्क नहीं दिखाई देता और रोगी को लीवर की गंभीर बीमारी है, तो आपका डॉक्टर लीवर ट्रांसप्लांट की सिफारिश कर सकता है। यदि एसाइटिस दिल की विफलता के परिणामस्वरूप होता है, तो आपको सर्जरी की भी आवश्यकता हो सकती है।

एसाइटिस से बचाव या काबू में कैसे किया जा सकता है? How can ascites be prevented or controlled?

जलोदर या इसके कारणों को रोकना हमेशा संभव नहीं होता है।

अम्य रोगों के मुकाबले एसाइटिस से बचाव करण या इसके लक्षणों को काबू कर पाना हमेशा संभव नहीं होता। हलाकि, सिरोसिस, हृदय रोग, पेरिटोनियल संक्रमण, और गैर-मादक वसायुक्त यकृत रोग (non-alcoholic fatty liver disease) जैसे कुछ कारणों के जोखिम को कम करने के लिए आप निम्न वर्णित कुछ तरीकों को अपना सकते हैं जिससे इस गंभीर जल भराव की समस्या से बचा जा सकता है :-

  1. ऐसा आहार खाना जिसमें ताजे फल और सब्जियां अधिक हों और अतिरिक्त वसा और नमक कम हो

  2. अत्यधिक प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों के बजाय संपूर्ण खाद्य पदार्थों का सेवन करना

  3. अपने शरीर के वजन का प्रबंधन

  4. नियमित व्यायाम करना

  5. हेपेटाइटिस को रोकने के लिए निम्नलिखित दिशा-निर्देश, जैसे कि अपने डॉक्टर से हेपेटाइटिस बी के टीके के बारे में पूछना और संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए सेक्स के दौरान कंडोम का उपयोग करना

  6. शराब का उपयोग सीमित करना

यदि आपको सिरोसिस है, तो आप निम्नलिखित उपायों को अपना सकते हैं, जिससे एसाइटिस से बचाव किया जा सकता है :-

  1. अपने आहार में नमक की मात्रा को सीमित करना

  2. वसा और प्रोटीन का सेवन सीमित करना

  3. शराब के सेवन से बचना

  4. संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए कच्ची या अधपकी मछली, शंख, या मांस से बचने का ध्यान रखना

इससे बचाव के लिए या इसके लक्षणों को काबू करने के लिए आप अपने डॉक्टर से भी बात कर सकते हैं। अगर आप एसाइटिस से जूझ रहे हैं तो जल्द से जल्द डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए ताकि वह लक्षणों को रोकने के लिए उचित उपायों को अपना सके और जटिलताओं को बढ़ने से रोका जा सके।

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Mr. Ravi Nirwal

Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.

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