हम सभी को अपनी नींद बहुत प्यारी है, लेकिन ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें नींद से जुड़ी कोई न कोई समस्या हो जाती है, जिसमे सबसे आम है खर्राटे आना। सोते समय खर्राटे आना एक ऐसी समस्या है जो न केवल खर्राटे लेने वाले को परेशान करती है बल्कि दुसरे व्यक्ति को भी परेशान करती है। खर्राटे लेने की इस समस्या को स्लीप एपनिया के नाम से जाना जाता है और यह एक नींद से जुड़ी बीमारी है। यह समस्या भले ही साधारण नज़र आती हो, लेकिन इसकी वजह से आपकी जान तक भी जा सकती है।
स्लीप एपनिया में सोते समय सांस रुक-रुक कर आता है और काफी बार सांस अटक भी जाता है जिसकी वजह से न केवल खर्राटे आते हैं बल्कि और भी कई गंभीर समस्याएँ होना शुरू हो जाती है, जिसमें से एक है बाधक निंद्रा अश्वसन यानि ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (Obstructive Sleep Apnea – OSA)। बाधक निंद्रा अश्वसन या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, स्लीप एपनिया का एक प्रकार जो सबसे घातक माना जाता है, क्योंकि इसकी वजह से जान जाने का खतरा बना रहता है। चलिए इस लेख के जरिये नींद की इस बीमारी के बारे में विस्तार से जानते हैं।
बाधक निंद्रा अश्वसन या ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया नींद से जुड़ा एक विकार या स्थिति है, जिसमें सोते हुए व्यक्ति का शरीर सांस लेना बंद कर देता है और कुछ समय बाद फिर से सांस लेना शुरू कर देता हैं। सांस लेने और सांस रुकने का यह समय थोड़ा या ज्यादा भी हो सकता है, लेकिन सामान्य रूप से यह समय अवधि सेकंड में ही होती है। सांस न लेने की यह अवधि, जिसे एपनिया कहा जाता है, इसलिए होती है क्योंकि गले के वायुमार्ग हवा के प्रवाह की अनुमति देने के लिए बहुत संकीर्ण हो जाते हैं।
स्लीप एपनिया कई प्रकार के होते हैं, लेकिन सबसे आम और गंभीर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया है। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया तब होता है जब गले की मांसपेशियां नींद के दौरान रुक-रुक कर आराम करती हैं और आपके वायुमार्ग को अवरुद्ध कर देती हैं। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का सबसे बड़ा संकेत हैं, “खर्राटे”। ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के उपचार उपलब्ध हैं। नींद की यह समस्या वृद्ध पुरुषों में सबसे आम है, लेकिन यह बच्चों सहित किसी को भी प्रभावित कर सकता है। रजोनिवृत्ति (menopause) के बाद यह महिलाओं में भी होना शुरू हो सकती है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया OSA होने के कारण निम्नलिखित हैं :-
मोटापा हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (obesity hypoventilation syndrome)
कुछ अंतःस्रावी (endocrine) स्थितियां
फेफड़े की पुरानी बीमारी
न्यूरोमस्कुलर स्थितियां (neuromuscular conditions)
दिल या गुर्दे की विफलता
गर्भावस्था
मोटापा हाइपोवेंटिलेशन सिंड्रोम (obesity hypoventilation syndrome) – इस समस्या में मोटापे के कारण लोगों को सांस लेने में समस्या होती है।
कुछ अंतःस्रावी (endocrine) स्थितियां – हाइपोथायरायडिज्म, एक्रोमेगाली, और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम। इन सभी समस्याओं के कारण सोते समय सांस लेने में समस्या होती है।
फेफड़े की पुरानी बीमारी – अस्थमा, क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD), और पल्मोनरी फाइब्रोसिस।
न्यूरोमस्कुलर स्थितियां (neuromuscular conditions) – स्ट्रोक, एमियोट्रोफिक लेटरल स्क्लेरोसिस (Amyotrophic lateral sclerosis – ALS), चारकोट-मैरी-टूथ रोग (Charcot-Marie-Tooth disease), मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple sclerosis), मांसपेशीय दुर्विकास (Muscular dystrophy), मियासथीनिया ग्रेविस (Myasthenia gravis) और पेशीविकृति (Myopathy)। इन सभी समस्याओं में व्यक्ति को सोते समय समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सोते समय नींद से जुड़ी समस्या कितनी होगी यह रोग की गंभीरता पर निर्भर करता है।
दिल या गुर्दे की विफलता – इन दोनों ही समस्याओं में गर्दन में और छाती में तरल पदार्थ बनने लगता हैं जिसकी वजह से ऊपरी वायुमार्ग में बाधा उत्पन्न हो सकती है। यह स्थिति किडनी फेल्योर रोगियों में ज्यादा देखि जाती है, क्योंकि किडनी खराब होने की वजह से वह तरल अपशिष्ट उत्पादों को पेशाब के जरिये शरीर से बाहर नहीं निकाल पाती। इसकी वजह से काफी तरल अपशिष्ट उत्पाद छाती में जमा होने लगता है जिसकी वजह से किडनी रोगी को सांस लेने में समस्या होना शुरू हो जाती है और ऐसा लेटते हुए ज्यादा होता है। इस स्थिति से छुटकारा पाने के लिए डायलिसिस का सहारा लिया जाता है।
गर्भावस्था – गर्भ धारण के दौरान 6 महीने से महिला को सोते समय सांस लेने में समस्या हो सकती है, यह सामान्य है। इसके लिए आप अपनी चिकित्सक से बात करें।
जो लोग ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से जूझते हैं उनमे मुख्य रूप से दो लक्षण दिखाई देते हैं, पहला – खर्राटे और दूसरा – दिन में बहुत तेज नींद आना। आप ऊपर जान ही चुके हैं कि इस समस्या के दौरान खर्राटे क्यों आते हैं, वहीं रात के समय ठीक से नींद न आने के कारण दिन में नींद आना लाजमी है।
सामान्य तौर पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं :-
जोर से खर्राटे
हांफना
घुटन महसूस होना
स्नॉटिंग Snorting – नाक से तेज हवा निकलने की समस्या
सोते समय सांस लेने में रुकावट होना
उपरोक्त लक्षणों के साथ-साथ निम्नलिखित स्वास्थ्य समस्याएँ भी लक्षण के रूप में दिखाई देते हैं :-
सुबह तेज सिरदर्द
विस्मृति (forgetfulness)
तंद्रा (sleepiness)
उच्च रक्त चाप
सेक्स में कमी
आँखों का लाल होना
इस दौरान कुछ मानसिक लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं :-
असंतुष्ट का भाव होना
हमेशा क्रोध में रहना
डिप्रेशन होना
कार्यस्थल पर खराब प्रदर्शन
रात के समय ठीक से नींद न लेने के कारण वाहन चलाने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसकी वजह से सड़क दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ता हैं।
किसी भी व्यक्ति को ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है। लेकिन, कुछ निम्न वर्णित कारक ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के जोखिम को बढ़ा सकते हैं।
बढ़ती उम्र – करीब 60 से 70 वर्ष की उम्र के बाद अक्सर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का खतरा बढ़ जाता है। लेकिन यह सामान्य होता है।
संकुचित वायुमार्ग – अगर किसी व्यक्ति का वायुमार्ग स्वाभाविक रूप से संकीर्ण हो तो उसे भी यह समस्या हो सकती है। इसके अलावा जिन लोगों में टॉन्सिल या एडेनोइड बढ़ जाते हैं उन्हें भी यह समस्या हो सकती है।
हाई ब्लड प्रेशर – जो लोग लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से जूझ रहे हैं उनमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया अपेक्षाकृत आम है।
मधुमेह – मधुमेह वाले लोगों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया अधिक आम हो सकता है।
स्लीप एपनिया का पारिवारिक इतिहास – ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया वाले परिवार के सदस्यों के होने से आपका जोखिम बढ़ सकता है।
दमा – एक शोध के अनुसार अस्थमा और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के जोखिम के बीच संबंध पाया गया है। दमा होने पर सांस लेने में समस्या होना इन दोनों के बीच का सबसे बड़ा संबंध है।
लंबे समय तक नाक बंद रहना – कई लोगों की अक्सर नाक बंद रहने की समस्या होती है, जिसे नजला भी कहा जाता हैं। इन्हें भी ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या हो सकती है, क्योंकि नाक बंद होने के कारण वायुमार्ग संकुचित हो जाता है।
अधिक वज़न – ज्यादा वजन वालों में ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या होने की संभावना अधिक होती है। मोटापे के कारण ऊपरी वायुमार्ग के आसपास फैट जमा होने से सांस लेने में बाधा आ सकती है। इसके अलावा मोटापे से जुड़ी चिकित्सा कुछ स्थितियां, जैसे हाइपोथायरायडिज्म और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी इस समस्या को बढ़ा सकती है।
धूम्रपान – जो लोग धूम्रपान करते हैं उनमें ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि उन्हें अक्सर सांस लेने में समस्या का सामना करना पड़ता है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के साथ-साथ अन्य स्लीप एपनिया का निदान करते हुए दिन के समय नींद आने की समस्या और खर्राटे लेना इस समस्या का सबसे बड़ा संकेत माना जाता है। इसके आलावा डॉक्टर किसी भी शारीरिक कारक की पहचान करने के लिए सिर और गर्दन की जांच कर सकते हैं। इसके साथ ही डॉक्टर दिन में उनींदापन, नींद की आदतों और नींद की गुणवत्ता के बारे में एक प्रश्नावली भरने के लिए कह सकते हैं। डॉक्टर रोगी के साथ-साथ उनके परिवार से भी इस संबंध में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं, खासकर उनसे जो रोगी के साथ बिस्तर साझा करते हैं।
इसके अलावा डॉक्टर कुछ पॉलीसोम्नोग्राफी (पीएसजी) (polysomnography) करवाने की सलाह भी दे सकते हैं, ताकि इस संबंध में पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके। पॉलीसोम्नोग्राफी जांच के दौरान रोगी को एक रात अस्पताल में बीतनी पड़ती है ताकि सोते समय ठीक से जांच की जा सके।
सोते समय पॉलीसोम्नोग्राफी (polysomnography) निम्न जांच की जा सकती है :-
इलेक्ट्रोएन्सेफलोग्राम (ईईजी) Electroencephalogram (EEG) – इस जांच में मस्तिष्क तरंगों को मापा जाता है।
इलेक्ट्रोकुलोग्राम (ईओएम) Electroculogram (EOM)– यह जांच आंखों की गति को मापने का काम करती है।
इलेक्ट्रोमोग्राफी (ईएमजी) Electromyography (EMG) – इस जांच में मांसपेशियों की गतिविधि को मापा जाता है।
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) Electrocardiogram (ECG)– यह जांच हृदय की गति और लय को मापती है।
पल्स ऑक्सीमेट्री परीक्षण Pulse Oximetry Test – यह रोगी के रक्त में ऑक्सीजन के स्तर में परिवर्तन को मापने काम करता है।
ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया का उपचार निम्न वर्णित तरीकों से किया जा सकता है और इस समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है।
निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (CPAP) Continuous positive airway pressure – ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होने पर निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव (CPAP) को सबसे पहले इस्तेमाल किया जाता है। इसे रात में पहने जाने वाले फेस मास्क के माध्यम से इस्तेमाल किया जाता है। रात में वायुमार्ग को खुला रखने के लिए फेस मास्क धीरे से सकारात्मक वायु प्रवाह प्रदान करता है। सकारात्मक वायु प्रवाह वायुमार्ग को खुला रखता है। CPAP ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के लिए एक अत्यधिक प्रभावी उपचार है।
वजन घटना – वजन घटा कर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से बड़ी आसानी से छुटकारा पाया जा सकता है। जैसे-जैसे वजन घटना शुरू होता है वैसे-वैसे इस समस्या में आराम मिलना शुरू हो जाता है।
जोखिम कारकों का प्रबन्धन – अगर किसी व्यक्ति को किसी भी जोखिम कारक के चलते ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या होना शुरू हुई है तो इसके लिए डॉक्टर आपको संबंधित जोखिम कारक को सही करने की सलाह दे सकते हैं। उदहारण के लिए अगर किसी व्यक्ति हाई ब्लड प्रेशर की वजह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या हुई है तो डॉक्टर उन्हें ब्लड प्रेशर को काबू करने के लिए कह सकते हैं।
बाइलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (BPAP) BiLevel positive airway pressure – यदि किसी रोगी में CPAP थेरेपी प्रभावी नहीं होती तो ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के उपचार के लिए कभी-कभी बाइलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर (बीपीएपी) मशीनों का उपयोग किया जाता है। BPAP मशीन, जिसे कभी-कभी BiPAP मशीन कहा जाता है। इस मशीन में ऐसी सेटिंग्स होती हैं जो आपकी सांस लेने की प्रतिक्रिया में दो दबाव देती हैं: साँस का दबाव और साँस छोड़ने का दबाव। इसका मतलब है कि साँस लेने और छोड़ने के दौरान दबाव बदल जाता है।
करवट लेकर सोना – पीठ के बल सोने से ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया की समस्या बढ़ सकती है। ऐसे में डॉक्टर पीड़ित को करवट लेकर सोने की सलाह दे सकते हैं।
सर्जरी – ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया होने पर काफी बार सर्जरी भी की जाती है, लेकिन ऐसा बहुत ही गंभीर स्थिति में ही होता है और यह उपचार केवल वयस्क लोगों के साथ ही किया जाता है। सामान्य तौर पर ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया में सर्जरी तब की जाती है जब बाइलेवल पॉजिटिव एयरवे प्रेशर और निरंतर सकारात्मक वायुमार्ग दबाव मशीन के साथ-साथ अन्य मौखिक उपकरण ठीक से काम नहीं कर पाते।
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