आखिर क्यों होता है प्रसवोत्तर डिप्रेशन? सब जाने | Postpartum Depression in Hindi

किसी भी महिला के जीवन में सबसे बड़ी ख़ुशी के बारे में बात की जाए तो वो निश्चित ही माँ बनना होगा। एक बच्चे को जन्म देने के बाद एक तरफ जहाँ महिलाओं और उनके परिवार में खुशियाँ आती है वहीं लेकर आती है नन्हीं जान से जुड़ी बहुत सारी जिम्मेदारियां जिसको पूरा परिवार साथ में निभाने की हर संभंव कोशिश करता है। प्रसव के बाद जहाँ महिला के जीवन में बदलाव होता है वहीं उसके शारीरिक और मानसिक रूप में भी काफी बदलाव होता है। शरीर में काफी बड़े स्तर पर हार्मोन्स में परिवर्तन होता है और साथ ही शरीर की आन्तरिक संरचनाओं में भी काफी बदलाव आता हैं। 

एक वाक्य में कहा जाए तो माँ बनना हर महिला के दुसरे जन्म के समान होता है। इस दौरान महिला को कई शारीरिक और मानसिक समस्याएँ होने की बड़ी आशंकाएं होती है, उदहारण के लिए वजन बढ़ना, शरीर में खून की कमी होना और मधुमेह। इन्ही समस्याओं के साथ-साथ महिलाओं को एक और अन्य समस्या होने की आशंका होती है और वो है डिप्रेशन यानि डिप्रेशन। प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन को प्रसवोत्तर डिप्रेशन के नाम से जाना जाता है। प्रसव के बाद हर महिला को इसके होने की बराबर आशंका होती है, लेकिन इस बारे में महिलाओं को ज्यादा जानकारी नहीं हैं। तो चलिए इस लेख के जरिये इसके बारे में विस्तार से जानते हैं। 

प्रसवोत्तर डिप्रेशन क्या है? What is postpartum depression? 

प्रसवोत्तर डिप्रेशन या अवसाद (पीपीडी) शारीरिक, भावनात्मक और व्यवहारिक परिवर्तनों का एक जटिल मिश्रण है जो कुछ महिलाओं में बच्चे को जन्म देने के बाद होता है। मानसिक विकारों का नैदानिक ​​और सांख्यिकीय मैनुअल (DSM-5) (Diagnostic and Statistical Manual of Mental Disorders (DSM-5) के अनुसार, मानसिक विकारों का निदान करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला एक मैनुअल, पीपीडी प्रमुख डिप्रेशन का एक रूप है जो प्रसव के 4 सप्ताह के भीतर शुरू होता है। प्रसवोत्तर डिप्रेशन का निदान न केवल प्रसव और शुरुआत के बीच की अवधि पर बल्कि डिप्रेशन की गंभीरता पर आधारित होता है। प्रसवोत्तर डिप्रेशन बच्चे के होने पर होने वाले रासायनिक, सामाजिक और मनोवैज्ञानिक परिवर्तनों से जुड़ा होता है। यह शब्द कई शारीरिक और भावनात्मक परिवर्तनों का वर्णन करता है जो कई नई माँ बनने वाली महिलाओं को अनुभव होता है।

क्या पुरुषों को प्रसवोत्तर डिप्रेशन हो सकता है? Can men get postpartum depression?

हाँ, ऐसा संभव है लेकिन पुरुषों में यह समस्या दुर्लभ होती है। महिलाओं में यह समस्या आम है लेकिन इस बारे में जानकारी नहीं है। पुरुषों में यह समस्या मुख्य रूप से उन पुरुषों में होती है जो कि पहली बार पिता बने हैं और वह अपने बच्चे को लेकर कुछ ज्यादा ही संवेदनशील होता है या जो पुरुष पहले संतान हानि या डिप्रेशन से जूझ रहे हों। लेकिन पुरुषों में यह समस्या समय के साथ-साथ दूर हो जाती है, लेकिन महिलाओं के साथ ऐसा होने में काफी समय लग सकता है। 

प्रवोत्तर डिप्रेशन के लक्षण क्या है? What are the symptoms of postpartum depression? 

महिलाओं में बच्चा होने के बाद मूडी या थका हुआ महसूस करना बहुत ही सामान्य बात है, लेकिन प्रसवोत्तर डिप्रेशन इससे कहीं ज्यादा आगे है। प्रसवोत्तर डिप्रेशन या अवसाद के लक्षण गंभीर होते हैं और यह आपके कार्य में और जीवन में काफी समस्याएँ कड़ी कर सकते हैं। प्रसवोत्तर डिप्रेशन के लक्षण एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति और यहां तक ​​कि दिन-प्रतिदिन भिन्न होते हैं। यदि आपको प्रसवोत्तर डिप्रेशन है, तो संभावना है कि आपको इसके निम्नलिखित लक्षण दिखाई दे सकते हैं :-

  1. आप दुखी महसूस करते हैं या बहुत रोते हैं, लेकिन इस दौरान आपको नहीं पता होता कि आप ऐसा क्यों कर रही है। 

  2. आप खुद को काफी थका हुआ महसूस करते हैं, लेकिन आप सो नहीं सकते।

  3. आप सामान्य से बहुत ज्यादा सोते हैं।

  4. आपको हर समय कुछ न कुछ खाने की इच्छा रहती है या आपको खाने में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं है।

  5. आपको कई प्रकार का अस्पष्टीकृत दर्द (unexplained pain), पीड़ा या बीमारियां होने का अनुभव होता है।

  6. आप लगातार चिड़चिड़े, चिंतित या क्रोधित होते हैं, लेकिन आपको इसके पीछे के कारण के बारे में कोई जानकारी नहीं होती।

  7. आपका मूड अचानक और बिना किसी चेतावनी के बदल जाता है।

  8. आप खुद को नियंत्रण से बाहर महसूस कर सकते हैं जो कि काफी गंभीर स्थिति होती है।

  9. आपको चीजों को याद रखने में परेशानी होती है।

  10. आप ध्यान केंद्रित करने में काफी परेशानी होती है या आप सरल निर्णय नहीं ले पाते।

  11. आपको उन चीजों में कोई दिलचस्पी नहीं होती जिन्हें आप बच्चा होने से पहले पसंद करती थी।

  12. आप खुद को अपने बच्चे से काफी अलग महसूस करना शुरू कर देती है। इस दौरान आपको आश्चर्य होता है कि आप अपने बच्चे से लगाव महसूस क्यों नहीं कर पा रही हैं जो कि आप पहले महसूस कर पा रही थी।

  13. आपको सब कुछ भारी और निराशाजनक लगने लगता है।

  14. आप खुद को बेकार और अपनी भावनाओं के बारे में खुद को दोषी करार देना शुरू कर देती है। 

  15. आपको ऐसा लगता है कि आप किसी के लिए खुल नहीं सकते क्योंकि वह सोचेंगे कि आप एक बुरी माँ हैं या आप इस बच्चे को जन्म देना नहीं चाहती थी।

  16. आप लोगों से मिलने में कतराते हैं और खुद को हर चीज़ से बचा कर रखने की कोशिश करती है।

  17. आपके मन अपने आप को या अपने बच्चे को नुकसान पहुंचाने के बारे में लगातार विचार आ सकते हैं। जब ऐसा विचार आता है तो आप खुद को और भी ज्यादा दोषी करार देना शुरू कर देती हैं।

  18. आपके मित्र और परिवार यह नोटिस कर सकते हैं कि आप उनसे और सामाजिक गतिविधियों से पीछे हट रहे हैं या कि आप अपने जैसे नहीं लगते हैं।

प्रसव के कुछ हफ्तों के भीतर लक्षण शुरू होने की सबसे अधिक संभावना है। कभी-कभी, प्रसवोत्तर अवसाद महीनों बाद तक सामने नहीं आता है। कई मामलों में ऐसा भी संभव है कि प्रसवोत्तर डिप्रेशन के लक्षण कुछ दिनों के लिए दिखाई देना बंद हो जाए और अचानक से फिर से दिखाई देने शुरू हो जाए। ऐसी स्थिति दर्शाती है कि अब आप काफी गंभीर दौर से जूझ रही है। इसलिए, इस स्थिति के दौरान आपको जल्द से जल्द उपचार करवाना शुरू करना चाहिए।

प्रसवोत्तर डिप्रेशन के क्या कारण है? What is the cause of postpartum depression?

प्रसवोत्तर डिप्रेशन क्यों होता है इस बारे में अभी तक कोई सटीक कारण के बारे में कोई जानकारी मौजूद नहीं है। लेकिन वर्तमान समय तक किये जा चुके अध्यनों के अनुसार प्रसवोत्तर डिप्रेशन शारीरिक परिवर्तनों और भावनात्मक तनावों या परिवर्तनों के संयोजन से होता है। प्रसवोत्तर डिप्रेशन होने के कारण निम्नलिखित हैं :-

शारीरिक कारण :-

जन्म देने के बाद सबसे बड़े शारीरिक परिवर्तनों में से एक हार्मोन शामिल है। जब आप गर्भवती होती हैं, तो आपके एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन का स्तर सामान्य से अधिक होता है। जन्म देने के कुछ घंटों के भीतर, हार्मोन का स्तर अपनी पिछली स्थिति में वापस आ जाता है। यह अचानक परिवर्तन अवसाद का कारण बन सकता है। इसके अलावा अन्य शारीरिक कारण निम्नलिखित है :-

  1. कम थायराइड हार्मोन का स्तर

  2. सोने का अभाव

  3. अपर्याप्त आहार

  4. अंतर्निहित चिकित्सा स्थितियां

  5. नशीली दवाओं और शराब का दुरुपयोग

भावनात्मक कारण :- 

यदि आपको अतीत में मूड डिसऑर्डर रहा हो या आपके परिवार में मूड डिसऑर्डर चल रहा हो, तो आपको प्रसवोत्तर डिप्रेशन होने की संभावना अधिक हो सकती है। सामान्य तौर पर भावनात्मक कारण में निम्नलिखित शामिल हो सकते हैं :- 

  1. हाल ही में तलाक या किसी प्रियजन की मृत्यु

  2. आपको या आपके बच्चे को गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हैं

  3. सामाजिक अलगाव

  4. वित्तीय बोझ

  5. समर्थन की कमी 

हमें यह भी ध्यान में रखना होगा कि भावनाओं को सीमा में बांधता काफी मुश्किल होता है। जिससे यह स्पष्ट होता है कि एक व्यक्ति को कई भावनात्मक समस्यों का सामना करना पड़ सकता है और उनकी वजह से उसे बहुत सी अन्य समस्याओं से जूझना पड़ सकता है। 

प्रसवोत्तर डिप्रेशन के जोखिम कारक क्या है? What are the risk factors for postpartum depression?
  1. निम्नलिखित कुछ ऐसे कारक यानि वजहें हैं जो कि प्रसवोत्तर डिप्रेशन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं :-

  2. गर्भवती होने से पहले या गर्भावस्था के दौरान डिप्रेशन का इतिहास रहा हो।

  3. गर्भावस्था के समय उम्र (आप जितनी छोटी होंगी, डिप्रेशन की संभावना उतनी ही अधिक होगी)

  4. गर्भावस्था के बारे में अस्पष्टता होने की भवना।

  5. जुड़वाँ या तीन बच्चे होना। इसके अलावा पहले ही दो से ज्यादा बच्चे होना। 

  6. अनचाही गर्भावस्था।

  7. पहले गर्भपात हुआ हो। ऐसे में आपको इस दौरान भी डर बना रहता है। 

  8. डिप्रेशन या प्रीमेंस्ट्रुअल डिस्फोरिक डिसऑर्डर (PMDD) (premenstrual dysphoric disorder) का इतिहास रहा हो।

  9. सीमित सामाजिक समर्थन की स्थिति। 

  10. अगर आप अपनी गर्भवस्था को अकेले देख रही है।

  11. वैवाहिक संघर्ष से जूझ रही हो।

  12. मूड विकारों का पारिवारिक इतिहास

  13. अत्यधिक तनावपूर्ण घटना से गुजरना, जैसे नौकरी छूटना या स्वास्थ्य संकट या किसी प्रिय की मृत्यु।

  14. पहले दिव्यांग संतान का जन्म हुआ हो या पहली संतान किसी शारीरिक समस्या से जूझ रही हो।

  15. बच्चे के पिता का न होना, जिसकी वजह से आपके ऊपर साड़ी जिम्मेदारियां आ जाएँगी।

प्रसवोत्तर डिप्रेशन कितने प्रकार का होता है? What are the types of postpartum depression?

प्रसवोत्तर डिप्रेशन के तीन प्रकार है। एक महिला को मुख्य रूप से एक प्रकार का डिप्रेशन हो सकता है। प्रसव के बाद होने वाले डिप्रेशन के तीनों प्रकार को निचे वर्णित किया गया है :-

बेबी ब्लूज़ Baby blues :-

बेबी ब्लूज़ उदासी की भावना है जो महिलाओं को बच्चा होने के पहले कुछ दिनों में हो सकती है। बच्चे के जन्म के ठीक बाद के दिनों में "बेबी ब्लूज़" 70% महिलाओं में होता है। आपके मिजाज में अचानक से परिवर्तन हो सकता है, जैसे बहुत खुश महसूस करना और फिर बहुत उदास महसूस करना। आप बिना किसी कारण के रो सकते हैं और अधीर, कर्कश, बेचैन, चिंतित, अकेला और उदास महसूस कर सकते हैं। बेबी ब्लूज़ केवल कुछ घंटों या प्रसव के 1 से 2 सप्ताह बाद तक ही रह सकता है। आमतौर पर आपको बेबी ब्लूज़ के लिए उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। यह स्थिति मुख्य रूप से शरीर में अचानक से होने वाले हार्मोन्स परिवर्तन की वजह से होता है और यह स्थिति सबसे ज्यादा पहली बार माँ बनने वाली महिलाओं को ज्यादा होती है। इस समस्या से जूझने का सबसे अच्छा तरीका है कि आप इस बारे में उन महिलाओं से बात करें जो कि पहले माँ बन चुकी है।

प्रसवोत्तर डिप्रेशन (पीपीडी) Postpartum depression (PPD) :-

प्रसवोत्तर डिप्रेशन (पीपीडी) बच्चे के जन्म के कुछ दिनों या महीनों बाद भी हो सकता है। पीपीडी किसी भी बच्चे के जन्म के बाद हो सकता है, ऐसा नहीं है कि यह समस्या आपको केवल पहले बच्चे के दौरान ही हो। आप इस समस्या से किसी भी बच्चे के जन्म के दौरान जूझ सकते हैं। इस दौरान आप में बेबी ब्लूज़ जैसी भावनाएँ हो सकती हैं – उदासी, निराशा, चिंता, कर्कशता। बेबी ब्लूज़ में यह भावनाएं ज्यादा प्रबल नहीं होती, लेकिन इसमें यह काफी प्रबल होती है और आप इन्हें अधिक दृढ़ता से महसूस कर सकते हैं। पीपीडी अक्सर आपको उन चीजों को करने से रोकता है जो आपको हर दिन करने की जरूरत होती है। जब आपकी कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है, इस दौरान आपको प्रसूति एवं स्त्री रोग विशेषज्ञ (OB GYN) की आवयश्कता होती है। यह डॉक्टर आपको डिप्रेशन के लक्षणों की जांच कर सकते हैं और आपको जल्द से जल्द उपचार देना शुरू कर सकते हैं। यदि आप पीपीडी का इलाज नहीं करवाते हैं, तो लक्षण और भी बदतर हो सकते हैं। 

प्रसवोत्तर मनोविकृति Postpartum psychosis :-

प्रसवोत्तर मनोविकृति एक बहुत ही गंभीर मानसिक बीमारी है जो नई माताओं को प्रभावित कर सकती है। यह बीमारी जल्दी हो सकती है, अक्सर बच्चे के जन्म के बाद पहले 3 महीनों के भीतर। महिलाएं वास्तविकता (reality) से संपर्क खो सकती हैं, श्रवण मतिभ्रम (ऐसी चीजें सुनना जो वास्तव में नहीं हो रही हैं, जैसे एक व्यक्ति बात कर रहा है) और भ्रम (जो स्पष्ट रूप से तर्कहीन हैं) पर विश्वास करना। दृश्य मतिभ्रम (ऐसी चीजें देखना जो वहां नहीं हैं) कम आम हैं। अन्य लक्षणों में अनिद्रा (सोने में सक्षम नहीं होना), उत्तेजित और क्रोधित महसूस करना, पेसिंग, बेचैनी और अजीब भावनाएं और व्यवहार शामिल हैं। जिन महिलाओं को प्रसवोत्तर मनोविकृति होती है, उन्हें तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है और लगभग हमेशा दवा की आवश्यकता होती है। कभी-कभी महिलाओं को अस्पताल में इसलिए रखा जाता है क्योंकि उन्हें खुद को या किसी और को चोट पहुंचाने का जोखिम होता है। अगर इसका उपचार जल्द से जल्द नहीं करवाया जाए तो इसकी वजह से महिलाएं खुद को हानि पहुंचा सकती है।

प्रसवोत्तर डिप्रेशन से क्या जटिलताएँ हो सकती है? What complications can result from postpartum depression?

अगर आप प्रसवोत्तर डिप्रेशन या अवसाद से जूझ रही हैं और आप इसका उपचार नहीं ले रही हैं तो इसकी वजह से आपको कई जटिलताओं का सामना करना पड़ सकता है। आप ऐसे में आप अपने बच्चे के साथ संबंध स्थापित नहीं कर पाते, इसके अलावा आप निम्नलिखित जटिलताओं का सामना कर सकती है :- 

आपके अंदर भारी बदलाव Huge change in you :-

अगर प्रसवोत्तर डिप्रेशन का इलाज नहीं किया जाता है, या वह महीनों या उससे अधिक समय तक रहे तो इसकी वजह से यह एक पुरानी डिप्रेशनग्रस्तता विकार (depressive disorder) में भी बदल सकता है। उपचार के साथ भी, प्रसवोत्तर डिप्रेशन आपको भविष्य में डिप्रेशन के एपिसोड होने की अधिक संभावना बना सकता है।

बच्चे के पिता में डिप्रेशन Depression in father of child :-

जब एक नई मां को डिप्रेशन होता है, तो पिता को भी डिप्रेशन होने की संभावना अधिक हो सकती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए दोनों को साथ में काम करने की जरूरत है।

बच्चे पर बुरा प्रभाव Bad effect on child :-

प्रसवोत्तर डिप्रेशन वाली माताओं के बच्चों में सोने और खाने, सामान्य से अधिक रोने और भाषा के विकास में देरी की समस्या होने की संभावना अधिक होती है। अगर पहले से ही कोई संतान है तो उस पर भी इसका बुरा असर पड़ता है, क्योंकि आप समस्या के दौरान उन पर ध्यान नहीं देती वहीं इसकी भी अधिक संभावना होती है कि आपके घर में अक्सर झगड़ा होता रहे।

प्रसवोत्तर डिप्रेशन का उपचार कैसे किया जा सकता है? How can postpartum depression be treated?

प्रसवोत्तर अवसाद उपचार करने से पहले इस बारी में जानकारी लेना जरूरी होता है कि महिला को प्रसवोत्तर डिप्रेशन का कौन सा प्रकार हुआ है, महिला को क्या लक्षण दिखाई दे रहे हैं, लक्षण कितने गंभीर है और महिला की उम्र कितनी है, साथ ही क्या महिला पहली बार माँ बनी है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए माँ बनी महिला को दवाओं और मनोचिकित्सा और भावनात्मक समर्थन के साथ उपचार दिया जाता है। इस उपचार के दौरान महिला के परिवार और खासकर उसके पति और अन्य करीबियों की सहायता की काफी जरूरत होती है, ताकि माँ को भावनात्मक समर्थन दिया जा सके। ऐसे में डॉक्टर कोशिश करते हैं कि माँ को अस्पताल में दाखिल न किया जाए, लेकिन अगर स्थिति गंभीर हो जाए तो माँ को अस्पातल में भी दाखिल किया जा सकता है। 

प्रसवोत्तर डिप्रेशन होने पर माँ को निम्न वर्णित तरह से उपचार दिया जा सकता है :- 

दवाएं Medication :-

प्रसवोत्तर डिप्रेशन होने पर एंटीडिप्रेसेंट (antidepressant) दवाएं दी जा सकती है, जिनका सीधा असर आपके दिमाग पर पड़ता है। यह दवाएं मूड नियंत्रण करने वाले रसायनों को बलदने में मदद करती है। हालांकि, यह दवाएं तुरंत काम नहीं करती। जब तक आप इन दवाओं से होने वाले फायदों को महसूस करना शुरू करेंगे तब तक आपको दवाएं शुरू किये हुए दो सप्ताह से ज्यादा का समय हो चूका होता है।

कुछ लोगों को एंटीडिप्रेसेंट लेते समय इसके साइड इफेक्ट हो सकते हैं। इनमें थकान, सेक्स ड्राइव में कमी और चक्कर आना शामिल हो सकते हैं। यदि साइड इफेक्ट आपके लक्षणों को बदतर बना रहे हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर को बताएं। गंभीर मामलों के लिए, ब्रेक्सानोलोन (ज़ुल्रेसो) नामक एक नई दवा का IV निर्धारित की जा सकती है।

यदि आप स्तनपान करा रही हैं तो कुछ एंटीडिप्रेसेंट लेना सुरक्षित है। लेकिन ऐसी स्थिति में सबसे जरूरी है कि आप चिकित्सक से सलाह लेकर ही दवाएं लेना शुरू करें। यदि आपके एस्ट्रोजन का स्तर कम है, तो आपके डॉक्टर दवाओं के साथ-साथ हार्मोन थेरेपी की सिफारिश कर सकते हैं।

थेरेपी Therapy :-

आप स्थिति के दौरान एक मनोचिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, या अन्य मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ से संपर्क कर उन्हें इस संबंध में थेरेपी ले सकती हैं। थेरेपी आपको विनाशकारी विचारों को समझने और उनके माध्यम से काम करने के लिए रणनीतियों के बारे में जानकारी प्रदान कर सकती है जिससे आपको काफी मदद मिलेगी।

खुद की देखभाल करें Take care of yourself :- 

उपचार का यह हिस्सा जितना लगता है उससे थोड़ा अधिक कठिन हो सकता है। आत्म-देखभाल का अभ्यास करने का अर्थ है अपने आप को आजाद छोड़ दें। 

आप जितना संभाल सकते हैं उससे अधिक जिम्मेदारी निभाने का प्रयास नहीं करना चाहिए। दूसरों को सहज रूप से नहीं पता कि आपको क्या चाहिए, इसलिए उन्हें बताना महत्वपूर्ण है। आप अपने आप को समय दें लेकिन खुद को दूसरों से अलग न करें। अपने करीबियों से बात करें। माओं से मिलें उनसे जाने कि प्रसव के बाद उन्होंने क्या महसूस किया था और उससे उन्होंने कैसे छुटकारा पाया। अगर आप शराब, धुम्रपान या अन्य कोई नशा करती है तो इस दौरान आप इससे दूर रहें क्योंकि नशा करनी की आदत आपके अवसाद को बढ़ा सकता है। 

इन उपायों को भी अपनाएं :- Follow these measures also:-

विश्राम करें Veg out :-

प्रसव के बाद बाद महिला का कम से कम 50 दिनों तक आराम करना बहुत जरूरी होता है। इस दौरान महिला के शरीर में काफी बदलाव चल रहे होते हैं जिसकी वजह से आराम करना बहुत जरूरी हो जाता है। यहाँ आराम करने से हमारा मतलब केवल शारीरिक तौर पर आराम करने से ही नहीं है बल्कि मानसिक तौर पर भी आराम करने से हैं। महिलाओं को प्रसव के बाद अपने मन को शांत रखने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि उनका रक्तचाप बढ़े नहीं। इस दौरान वह कोई शांत संगीत सुन सकती है और खाने में वही लें जो इस दौरान उनके लिए जरूरी है और प्रसव के बाद होने वाले बदलावों से लड़ने में मदद करें।

ध्यान लगाएं Meditate :-

अगर आप प्रसव के बाद डिप्रेशन से जूझ रही है तो ऐसे में आपको ध्यान लगाना चाहिए। ध्यान  के जरिये आप अपने मन को शांत कर सकती है। ध्यान लगाने के लिए आप किसी की सहायता भी ले सकती है या फिर आप इस संबंध में इन्टरनेट से भी जानकारी ले सकती है। ध्यान लगाने से आपको निम्नलिखित फायदे मिल सकते हैं :- 

  1. रचनात्मकता में वृद्धि

  2. प्रसन्नता में संवृद्धि

  3. भावनात्मक स्थिरता में सुधार

  4. सहज बोध का विकसित होना

  5. मानसिक शांति एवं स्पष्टता

  6. क्रोध में कमी 

कहीं दूर घूमने जाएं Go somewhere far away :-

अगर आप डिप्रेशन से जूझ रही हैं तो ऐसे में आपके लिए अच्छा होगा कि आप कहीं घुमने जाएं। आप पहाड़ों पर जा सकती है, कहीं समुद्र किनारे या हसीन वादियों में जा सकती है। अगर ऐसा मुमकिन नहीं है तो आप अपने पति, दोस्तों या परिवार के साथ बाहर खाने के लिए या पास में ही कहीं घुमने भी जा सकती है। इससे आपका मन शांत होगा और आपका ध्यान डिप्रेशन की ओर नहीं जायगा।

धार्मिक स्थल पर जाएं Visit a religious place :-

डिप्रेशन होने पर आप किसी धार्मिक स्थल पर भी जा सकती है। वहां आपको काफी शांति मिलेगी और मन-चित को एकाग्रता मिलेगी। आप इस दौरान मंत्रोच्चारण, धार्मिक पुस्तकें, भजन, और उपदेश आदि भी सुन या पढ़ सकती है। इससे भी आपका मन शांत होगा। 

प्रसवोत्तर डिप्रेशन से कैसे बचाव किया जाए? How to prevent postpartum depression?

यदि आप पहले से ही अवसाद से जूझ चुकी है तो गर्भ धारण के बाद इस बारे में अपने डॉक्टर से बात करें और इस संबंध में उनसे खास सलाह लें ताकि आपको भविष्य में इससे कोई अन्य समस्या का सामना न करना पड़े। इस दौरान आप निम्न वर्णित प्रकार से प्रसवोत्तर डिप्रेशन से अपना बचाव कर सकती है :-

गर्भावस्था के दौरान During pregnancy :-

गर्भावस्था के दौरान आपकी डॉक्टर आपके शरीर में होने वाले सभी उतार चढ़ावों पर विशेष ध्यान दे सकती है। इस दौरान डॉक्टर आपके मानसिक तौर पर होने वाले बदलावों पर भी खास ध्यान देगी। आपको भी डॉक्टर का साथ देना और उन्हें सही जानकारी देनी होगी। इतना ही नहीं उनके बताए अनुसार ही चले और खाने पीने का खास ध्यान दें।

बच्चे के जन्म के बाद After your baby is born :-

एक बार जब बच्चे का जन्म हो जाए तो उसके बाद डॉक्टर आपको क्कुह जांच करवाने के लिए कह सकती है जिससे आपके शरीर में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी मिल सके। अगर डॉक्टर को लगता है कि डिप्रेशन शुरू हो चूका है तो वह आपको जल्द से जल्द उपचार शुरू करने की सलाह देंगी। इसके साथ ही डॉक्टर आपके परिवार से भी इस संबंध में बात करेंगी, ताकि अवसाद को आगे बढ़ने से रोका जा सके। डॉक्टर आको सलाह दे सकती है कि आप अपने बच्चे के साथ समय बिताए जिससे आप दोनों में अच्छा संबंध स्थापित हो सके।

प्रसव के बाद प्रबंध Managing after childbirth :-

बच्चे के जन्म के बाद जब आप उसे अपने घर ले आएं तो उसके बाद आपको क्या करना चाहिए, इसके लिए निचे कुछ सुझाव दिए गये हैं :-

  1. मदद के लिए पूछिये। आप अपने करीबियों से इस बारे में जानकारी लें कि बच्चे को कैसे रखना है और मुझे प्रसव के बाद किन बातों का खास ध्यान रखना है।

  2. अपने और बच्चे के लिए अपनी अपेक्षाओं (expectations) के बारे में यथार्थवादी (Realistic) बनें।

  3. बच्चे के जन्म के बाद बिस्तर न पकड़े। आप विश्राम करें, लेकिन इसका मतलब यह बिलकुल नहीं है कि आप 24 घंटे बिस्तर पर ही रहें। आप थोड़ा बहुत टहले, अगर मुमकिन हो तो थोड़ा बहुत काम करें, लोगों से मिले। इससे आपका मन एक जगह नहीं लगेगा।

  4. आप इस बात को ध्यान रखें कि हर दिन अच्छा या बुरा नहीं होता। परिवर्तन में विश्वास रखें और सकारात्मक सोच बनाएं रखें।

  5. आप अपने खाने का विशेष ध्यान रखें। डॉक्टर और प्रसव के बाद लिए जाने वाले आहार का ही सेवन करें। शराब, कैफीन और नशीली चीजों के सेवन से दूर रहें।

  6. अपने साथी के साथ संबंधों को बढ़ावा दें, एक दूसरे के लिए समय निकालें। दोनों साथ में मिलकर अपने बच्चे के साथ समय बिताएं। यहाँ पर पुरुषों को चाहिए कि वह अपनी पत्नी के साथ रहे और उसे अहसास दिलाए कि वह अकेली नहीं है।

  7. परिवार और दोस्तों के संपर्क में रहें, खुद को अलग बिलकुल न करें।

  8. जब आप पहली बार घर जाएं तो आगंतुकों को सीमित करें। 

  9. अपने बच्चे के स्वास्थ्य का खास ख्याल रखे। क्योंकि काफी बार बच्चे के खराब होते स्वास्थ्य की वजह से भी यह डिप्रेशन हो सकता है।

  10. जब आपका शिशु सोए तब सोएं या आराम करें। 

  11. अपने पहले बच्चे के साथ समय बिताएं, उसे अपने भाई या बहन के साथ खेलने दें। 

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