पॉलीसिस्टिक किडनी रोग क्या है? कारण, लक्षण और उपचार सब जाने | Polycystic Kidney Disease in Hindi

किडनी के कार्यों के बारे में बात की जाए तो यह हमारे शरीर में प्रवाहित होने वाले रक्त को साफ़ करने का सबसे जरूरी काम करती है। शरीर में मौजूद सभी पौषक तत्वों को संतुलित बनाए रखती है ताकि हमारा शारीरिक और मानसिक विकार बिना किसी बाधा के होता रहे और साथ ही हमें कोई समस्या का सामना न करना पड़े। किडनी न केवल हमारे रक्त को साफ़ करती है बल्कि लाल रक्त कोशिकाओं का निर्माण करके रक्त का स्तर भी बढ़ाती और हड्डियों को मजबूत करती है। हमारे लिए इतना काम करने वाली हमारी किडनी सबसे संवेदनशील अंग है क्योंकि यह बाकी अंगों की तुलना बड़ी जल्दी ही सामान्य से गंभीर समस्या की चपेट में आ जाती है। किडनी से जुड़ी बहुत सी समस्याएँ और रोग है जो की कई कारणों से हो सकते हैं। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, किडनी से जुड़ी एक ऐसी ही बीमारी है जिसकी वजह से व्यक्ति को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। आज इस लेख के जरिये हम पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के बारे में विस्तार से जानेंगे। इस लेख में हम पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के कारण, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लक्षण और पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का इलाज के बारे में जानेंगे।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग क्या है? What is polycystic kidney disease?

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग, जिसे पीकेडी भी कहा जाता है किडनी की एक वंशानुगत बीमारी है जो कि माता पिता से संतान में जीन के जरिये मिलती है। किडनी की इस बीमारी में किडनी के ऊपर सिस्ट बन जाते हैं जो की तरल उत्पाद से भरे होते हैं। किडनी पर बने यह सिस्ट बहुत छोटे आकार से लेकर बड़े आकार तक हो सकते हैं और इनकी संख्या लाखों में हो सकती है। स्थिति गंभीर होने पर यह सिस्ट न केवल किडनी के ऊपर बल्कि किडनी के भीतरी हिस्सों में भी हो सकते हैं। अगर इनका सही समय से उपचार न किया जाए तो इससे किडनी का आकार सामान्य से ज्यादा बड़ा होने लगता है और किडनी खराब हो सकती है। 

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के लक्षण क्या है? What are the symptoms of polycystic kidney disease?

किडनी का यह रोग भले ही संतान को उसके माता पिता से जीन के द्वारा मिलता है, लेकिन इसके लक्षण 30 की उम्र के बाद ही दिखाई देते हैं। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं – 

  1. पेट में तेज़ दर्द होना

  2. पेट में गांठ होना

  3. पेट के आकार में वृधि

  4. पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना

  5. पीठ दर्द की वजह से चलने, उठने और बैठने में समस्या होना 

  6. पेशाब के रंग में बदलाव होना – शुरुआत के कुछ दिनों तक पीला पेशाब आना फिर गहरे रंग का पेशाब आना  

  7. पेशाब के जरिये खून आना

  8. किडनी में बार-बार पथरी होना

  9. थोड़े समय के अन्तराल के बाद मूत्र संक्रमण होते रहना

  10. बीमारी अधिक फैलने पर किडनी का कैंसर होना

  11. खून का दबाव बढ़ना

  12. हाई ब्लड प्रेशर की समस्या 

  13. मधुमेह है तो इसका स्तर बढ़ना 

  14. उल्टी होना

  15. जी मचलना

  16. खुजली होना

  17. थकान और कमजोरी

  18. भूख की कमी

  19. लगातार पेशाब आना या पेशाब कम आना 

  20. शरीर के कई हिस्सों में सूजन आना, जैसे – हाथ, पैर और टखनों में 

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर इसके लक्षण सामान्य से गंभीर तक हो सकते हैं।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (पीकेडी) होने के क्या कारण है? What causes polycystic kidney disease (PKD)?

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग एक अनुवांशिक किडनी रोग है जो की माता पिता या पूर्वजों से जीन के जरिये शरीर में आता है। पीकेडी होने के पीछे का कारण उसके प्रकार के आधार पर अलग हो सकते हैं। इस अनुवांशिक किडनी रोग के मुख्य रूप से दो प्रकार है, लेकिन इसके तीन प्रकार हैं, जिन्हें नीचे वर्णित किया गया है :- 

ऑटोसोमल डोमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) Autosomal dominant polycystic kidney disease (ADPKD) :-

(इसे पीकेडी या एडीपीकेडी भी कहा जाता है)

रोग का यह रूप माता-पिता से बच्चे को प्रमुख वंशानुक्रम द्वारा पारित किया जाता है। दूसरे शब्दों में, रोग उत्पन्न करने के लिए असामान्य जीन की केवल एक प्रति की आवश्यकता होती है। लक्षण आमतौर पर 30 और 40 की उम्र के बीच शुरू होते हैं, लेकिन वे बचपन में भी पहले शुरू हो सकते हैं। ADPKD पीकेडी का सबसे सामान्य रूप है। वास्तव में, सभी पीकेडी मामलों में से लगभग 90 प्रतिशत एडीपीकेडी हैं।

शिशु या ऑटोसोमल रिसेसिव पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ARPKD) Infantile or Autosomal recessive polycystic kidney disease (ARPKD) :-

(इसे एआरपीकेडी भी कहा जाता है) 

रोग का यह रूप माता-पिता से बच्चे को पुनरावर्ती वंशानुक्रम (recessive inheritance) द्वारा पारित किया जाता है। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के इस प्रकार में लक्षण जीवन के शुरुआती महीनों में, यहां तक ​​कि गर्भ में भी शुरू हो सकते हैं। यह बहुत गंभीर होता है, तेजी से बढ़ता है, और जीवन के पहले कुछ महीनों में अक्सर घातक होता है। एआरपीकेडी का यह रूप अत्यंत दुर्लभ है। यह 25,000 में से 1 व्यक्ति में होता है।

क्या पॉलीसिस्टिक किडनी रोग केवल वंशानुगत ही होता है? Is Polycystic Kidney Disease hereditary only?

हाँ, वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के अलावा भी पॉलीसिस्टिक किडनी रोग हो सकता है। अगर किसी भी व्यक्ति को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग बिना किसी जीन के होता है तो उसे गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग कहा जाता है। यह कुछ शारीरिक स्थितियों के कारण होता है। एक तरफ जहाँ वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में किडनी बने सिस्ट आकर में बड़े होते है और छोटे सिस्ट लगातार बड़े होते रहते हैं, जबकि गैर पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में बने सिस्ट आकर में छोटे ही रहते हैं। जिसके कारण किडनी पर इसका ज्यादा नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। हां, अगर इसका उचित उपचार ना लिए जाए तो रोगी को कई स्वस्थ समस्यों का सामना करना पड़ता है।

गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग किसे होता है? Who gets non-hereditary polycystic kidney disease?

गैर वंशानुगत पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वैसे तो किसी भी व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन जो लोग पहले से ही किडनी से जुड़ी किसी बीमारी से जूझ रहें हो उनको यह रोग होने का ज्यादा खतरा रहता है। निम्नलिखित कारणों के चलते गैर पॉलीसिस्टिक किडनी रोग हो सकता है –

  1. जो लोग क्रोनिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं।

  2. अगर किडनी रोग के कारण लंबे समय से डायलिसिस हो रहा है।

  3. किडनी से जुड़ा कोई संक्रमण होने पर।

  4. जिन लोगो की किडनी खराब हो चुकी हो, जिसे एंड-स्टेज रीनल डिजीज (ESRD) के रूप में भी जाना जाता है।

  5. जो लोग काफी लम्बे समय से डायलिसिस से जूझ रहें हो, उन्हें भी इस बीमारी का खतरा रहता है।

  6. जो लोग हाइपोकैलिमिया से जूझ रहें हो। इसके कारण किडनी को गहरी चोट पहुचने का खतरा रहता है और कुछ चयापचय की स्थिति भी बिगड़ जाती है।

  7. अगर कोई व्यक्ति काफी लम्बे समय किडनी संक्रमण से जूझ रहा हो, उसे यह रोग होने का खतरा रहता है।

लगभग हर मामले में, यह स्वास्थ्य स्थिति लक्षणों को दिखाती है जब किडनी केवल अपने समग्र कार्यों का 10-20 प्रतिशत प्रदर्शन करने में सक्षम होते हैं। यही कारण है कि हम हर व्यक्ति को समय पर स्वास्थ्य जांच कराने और ऐसे सामान्य स्वास्थ्य विकारों से अवगत रहने की सलाह देते हैं। 

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर’ किडनी के अलावा और कौन से अंग प्रभावित होते हैं? What other organs are affected in addition to the kidney in polycystic kidney disease?

अगर किसी व्यक्ति को पॉलीसिस्टिक किडनी रोग हुआ है तो न केवल उसकी किडनी प्रभावित होगी बल्कि उसके बाकी अंग भी प्रभावित हो सकते हैं। पीकेडी से पीड़ित लोगों के लीवर, अग्न्याशय (pancreas), प्लीहा (spleen), अंडाशय में सिस्ट होना (ovarian cyst) और बड़ी आंत में सिस्ट (cyst in large intestine) हो सकते हैं। इन अंगों में सिस्ट आमतौर पर गंभीर समस्या पैदा नहीं करते हैं, लेकिन कुछ लोगों में हो सकते हैं। पीकेडी मस्तिष्क या हृदय को भी प्रभावित कर सकता है। इस गंभीर किडनी रोग के कारण धमनीविस्फार यानि एन्यूरिज्म (aneurysm) जो कि एक उभरी हुई रक्त वाहिका है के फटने का डर लगा रहता है, जिसके परिणामस्वरूप स्ट्रोक या मृत्यु भी हो सकती है। यदि पीकेडी हृदय को प्रभावित करता है, तो वाल्व फ्लॉपी (floppy) हो सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप कुछ रोगियों में दिल की धड़कन सामान्य से ज्यादा बढ़ सकती है। 

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर किडनी पर क्या प्रभाव पड़ता है? What are the effects of polycystic kidney disease on the kidneys?

किडनी पर हुए इन सिस्टों का आकर लगातर बढ़ने के कारण न केवल व्यक्ति को स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं की चपेट में लाता है बल्कि उसे किडनी से जुड़ी भी कई समस्याएँ हो सकती है, जिन्हें निचे बताया गया है :-

  1. जिन किडनी सिस्ट को नंगी आँखों से नहीं देखा जाता वह किडनी को अंदरूनी रूप से ज्यादा नुकसान दे सकते हैं, जैसे - किडनी फिल्टर्स को खराब करना।

  2. छोटे सिस्ट समय के साथ बड़े हो जाते हैं और बड़े सिस्ट भी समय के साथी बढ़ते रहते हैं। जिसके कारण किडनी का आकर भी बड़ा हो जाता है। इससे किडनी में सूजन भी आ जाती है।

  3. सिस्ट की मात्रा और आकार लगातार बढ़ने से किडनी पर दबाव बढ़ता है। दबाव बढ़ने से किडनी की कार्यक्षमता कम होती जाती है।

  4. लगातार कम होती किडनी की कार्यक्षमता के कारण वह अपने काम नहीं कर पाती, जिसकी वजह से हाई ब्लड प्रेशर, खुजली, मधुमेह, सूजन और मूत्र संक्रमण की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

  5. अगर यह बीमारी कई सालो तक रह जाने के कारण तो यह बीमारी क्रोनिक किडनी डिजीज में परिवर्तित हो सकती है। किडनी फेल्योर हो जाने के कारण रोगी की हालत और भी खराब हो जाती है। जिसके कारण रोगी को डायलिसिस और किडनी ट्रांसप्लांट की जरुरत पड़ जाती है।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग में संतान प्राप्ति से जुड़ी समस्याएँ हो सकती है? Can polycystic kidney disease cause problems with childbirth?

पीकेडी (80 प्रतिशत) वाली अधिकांश महिलाओं में सफल और असमान गर्भधारण होता है। हालांकि, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से पीड़ित कुछ महिलाओं में अपने और अपने बच्चों के लिए गंभीर जटिलताओं का खतरा बढ़ जाता है। जो महिलाऐं गर्भवस्था के दौरान पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से जूझ रही हैं उन्हें निम्न समस्याएँ हो सकती है :-

  • उच्च रक्त चाप

  • किडनी का ठीक से काम न करना 

उच्च रक्तचाप वाली पीकेडी वाली महिलाएं 40 प्रतिशत गर्भधारण में प्री-एक्लेमप्सिया या टॉक्सिमिया (pre-eclampsia or toxemia) विकसित करती हैं। यह माँ और बच्चे दोनों के लिए एक जानलेवा विकार है, और यह अचानक और बिना किसी चेतावनी के विकसित हो सकता है। इसलिए, पीकेडी वाली सभी महिलाओं, विशेष रूप से जिन्हें उच्च रक्तचाप भी है, को गर्भावस्था के दौरान उनके डॉक्टर द्वारा बारीकी से पालन किया जाना चाहिए।

वहीं जो पुरुष पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से जूझ रहे हैं इस दौरान संतान प्राप्ति के लिए प्रयास कर सकते हैं। लेकिन पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से जूझ रहे माता या पिता से आने वाली संतान को यह गंभीर रोग होने की बराबर आशंका बनी रहती है।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग होने पर क्या जटिलताएं हो सकती है? What are the complications of polycystic kidney disease?

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से होने पर रोगी को निम्न वर्णित गंभीर जटिलताएं हो सकती है :-

उच्च रक्त चाप High blood pressure :- उच्च रक्तचाप पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की एक आम जटिलता है। अनुपचारित, उच्च रक्तचाप आपके किडनी को और नुकसान पहुंचा सकता है और आपके हृदय रोग और स्ट्रोक के जोखिम को बढ़ा सकता है।

किडनी के कार्यक्षमता में कमी आना Loss of kidney function :- किडनी के कार्यक्षमता में लगातार कमी आना पॉलीसिस्टिक गुर्दा रोग की सबसे गंभीर जटिलताओं में से एक है। इस रोग से ग्रस्त लगभग आधे लोगों की किडनी 60 वर्ष की आयु तक खराब हो जाती है।

पीकेडी आपकी किडनी की क्षमता में कचरे को निर्माण से विषाक्त स्तर तक रखने की क्षमता में हस्तक्षेप कर सकता है, एक ऐसी स्थिति जिसे यूरीमिया कहा जाता है। जैसे-जैसे बीमारी बढ़ती है, अंत-चरण की किडनी (गुर्दे) की बीमारी का परिणाम हो सकता है, आपके जीवन को लम्बा करने के लिए चल रहे किडनी डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की आवश्यकता हो सकती है।

क्रोनिक दर्द Chronic pain :- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाले लोगों के लिए दर्द एक सामान्य लक्षण है। यह अक्सर आपके बाजू या पीठ में होता है। दर्द मूत्र पथ के संक्रमण, किडनी की पथरी या दुर्दमता से भी जुड़ा हो सकता है।

लीवर में सिस्ट का बढ़ना Growth of cysts in the liver :- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाले किसी व्यक्ति के लिए लिवर सिस्ट विकसित होने की संभावना उम्र के साथ बढ़ जाती है। जबकि पुरुष और महिला दोनों में सिस्ट विकसित होते हैं, महिलाएं अक्सर बड़े सिस्ट विकसित करती हैं। महिला हार्मोन और कई गर्भधारण लीवर सिस्ट के विकास में योगदान कर सकते हैं।

मस्तिष्क में एक धमनीविस्फार का विकास Development of an aneurysm in the brain :- आपके मस्तिष्क में रक्त वाहिका (एन्यूरिज्म) में गुब्बारे जैसा उभार फटने पर रक्तस्राव (bleeding) का कारण बन सकता है। पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाले लोगों में एन्यूरिज्म का खतरा अधिक होता है। एन्यूरिज्म के पारिवारिक इतिहास वाले लोगों को सबसे ज्यादा खतरा होता है। अपने डॉक्टर से पूछें कि क्या आपके मामले में स्क्रीनिंग की आवश्यकता है। यदि स्क्रीनिंग से पता चलता है कि आपके पास एन्यूरिज्म नहीं है, तो आपका डॉक्टर कुछ वर्षों में या कई वर्षों के बाद स्क्रीनिंग परीक्षा को फॉलो-अप के रूप में दोहराने की सिफारिश कर सकता है। दोबारा स्क्रीनिंग का समय आपके जोखिम पर निर्भर करता है।

गर्भावस्था की जटिलताएं Pregnancy complications :- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाली अधिकांश महिलाओं के लिए गर्भावस्था सफल होती है। हालांकि, कुछ मामलों में, महिलाओं को प्रीक्लेम्पसिया नामक एक जीवन-धमकी विकार विकसित हो सकता है। गर्भवती होने से पहले जोखिम वाले लोगों में उच्च रक्तचाप या किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट होती है।

हृदय वाल्व असामान्यताएं Heart valve abnormalities :- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाले 4 में से 1 वयस्क में माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स (mitral valve prolapse) विकसित होता है। जब ऐसा होता है, तो हृदय का वाल्व ठीक से बंद नहीं होता है, जिससे रक्त पीछे की ओर रिसने लगता है।

कोलन की समस्या Colon problems :- पॉलीसिस्टिक किडनी रोग वाले लोगों में कोलन (डायवर्टीकुलोसिस) की दीवार में कमजोरियां और पाउच या थैली विकसित हो सकते हैं।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग निदान कैसे किया जाता है? How is Polycystic Kidney Disease Diagnosed?

अगर आपको लगता है कि आपको पॉलीसिस्टिक किडनी रोग है तो इसके लिए सबसे पहले आप अपने अंदर लक्षणों की पहचान करें और किसी किडनी रोग विशेषज्ञ से बात करें। डॉक्टर पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का निदान करने के लिए कुछ जांच करेंगे ताकि किडनी पर बने सिस्ट के आकार और संख्या के बारे में पता लगाया जा सके और स्वस्थ किडनी ऊतक की मात्रा का मूल्यांकन कर सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं :-

अल्ट्रासाउंड Ultrasound :- अल्ट्रासाउंड के दौरान, आपके शरीर पर ट्रांसड्यूसर नामक एक छड़ी जैसा उपकरण लगाया जाता है। यह ध्वनि तरंगों का उत्सर्जन करता है जो वापस ट्रांसड्यूसर - सोनार की तरह परावर्तित हो जाती हैं। एक कंप्यूटर परावर्तित ध्वनि तरंगों का आपके किडनी की छवियों में अनुवाद करता है। इस जांच की मदद से किडनी में हुए बदलाव के बारे में सटीक जानकारी ली जा सकती है। डॉक्टर आपको रंगीन अल्ट्रासाउंड के लिए भी कह सकते हैं।

सीटी स्कैन CT scan :- इस जांच के लिए जैसे ही आप एक चल टेबल पर लेटते हैं, आपको एक बड़े, डोनट के आकार के उपकरण में निर्देशित किया जाता है जो आपके शरीर के माध्यम से पतले एक्स-रे बीम को प्रोजेक्ट करता है। आपका डॉक्टर आपके गुर्दे की क्रॉस-अनुभागीय छवियों को देखने में सक्षम है।

एमआरआई स्कैन MRI scan :- जैसे ही आप एक बड़े सिलेंडर के अंदर लेटते हैं, चुंबकीय क्षेत्र और रेडियो तरंगें आपकी किडनी के पार-अनुभागीय दृश्य (cross-sectional views) उत्पन्न करती हैं।

पेशाब रक्त जांच Urine and blood tests :- डॉक्टर और आपको रक्त और पेशाब की जांच के लिए कह सकते हैं। इन दोनों जांचों से क्रिएटिनिन, यूरिया और यूरिक के साथ-साथ अन्य तत्वों और अपशिष्ट उत्पादों की गणना की जाती है।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग का उपचार कैसे किया जाता है? How is polycystic kidney disease treated?

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की गंभीरता एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में भिन्न होती है, यहां तक ​​कि एक ही परिवार के सदस्यों में भी। अक्सर, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग (PKD) वाले लोग 55 से 65 वर्ष की आयु के बीच किडनी की बीमारी के अंतिम चरण में पहुंच जाते हैं। लेकिन PKD वाले कुछ लोगों को एक हल्की बीमारी होती है और वह कभी भी किडनी की बीमारी के अंतिम चरण तक नहीं पहुंच पाते हैं।

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के उपचार में निम्नलिखित संकेतों, लक्षणों और जटिलताओं से प्रारंभिक अवस्था में निम्न प्रकार से उपचार किया जा रहा है :-

किडनी सिस्ट का बढ़ना Kidney cyst growth :- तेजी से प्रगतिशील ADPKD के जोखिम वाले वयस्कों के लिए टॉल्वाप्टन थेरेपी की सिफारिश की जा सकती है। टॉल्वाप्टन (जिनार्क, संस्का) – Tolvaptan (Jynarque, Samsca) एक गोली है जिसे आप मुंह से लेते हैं जो किडनी सिस्ट के विकास की दर को धीमा करने और आपके गुर्दे के काम करने की क्षमता में गिरावट का काम करती है।

टॉलवैप्टन लेते समय लीवर की गंभीर चोट का खतरा होता है, और यह आपके द्वारा ली जाने वाली अन्य दवाओं के साथ परस्पर क्रिया कर सकता है। टॉलवैप्टन लेते समय एक डॉक्टर को देखना सबसे अच्छा है जो किडनी स्वास्थ्य (नेफ्रोलॉजिस्ट) में माहिर है, ताकि साइड इफेक्ट और संभावित जटिलताओं के लिए आपकी निगरानी की जा सके।

उच्च रक्त चाप High blood pressure :- उच्च रक्त चाप को नियंत्रित करने से रोग की प्रगति में देरी हो सकती है और गुर्दे की क्षति धीमी हो सकती है। कम सोडियम, कम वसा वाले आहार जो धूम्रपान न करने के साथ प्रोटीन और कैलोरी सामग्री में मध्यम हो, व्यायाम बढ़ाने और तनाव कम करने से उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है। हालांकि, उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए आमतौर पर दवाओं की आवश्यकता होती है। एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम (एसीई) अवरोधक (angiotensin-converting enzyme (ACE) inhibitors) या एंजियोटेंसिन II रिसेप्टर ब्लॉकर्स (एआरबी) Angiotensin II receptor blockers (ARBs) नामक दवाओं का उपयोग अक्सर उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए किया जाता है।

किडनी की कार्यक्षमता में गिरावट decline in kidney function :- आपकी किडनी को यथासंभव लंबे समय तक स्वस्थ रहने में मदद करने के लिए, विशेषज्ञ शरीर के सामान्य वजन (बॉडी मास इंडेक्स) को बनाए रखने की सलाह देते हैं। दिन भर में पानी और तरल पदार्थ पीने से किडनी के सिस्ट के विकास को धीमा करने में मदद मिल सकती है, जो बदले में किडनी के कार्य में गिरावट को धीमा कर सकता है। कम नमक वाले आहार का पालन करने और कम प्रोटीन खाने से किडनी के सिस्ट तरल पदार्थ में वृद्धि के लिए बेहतर प्रतिक्रिया दे सकते हैं।

दर्द Pain :- आप एसिटामिनोफेन युक्त ओवर-द-काउंटर दवाओं के साथ पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के दर्द को नियंत्रित करने में सक्षम हो सकते हैं। हालांकि, कुछ लोगों के लिए दर्द अधिक गंभीर और स्थिर होता है। आपका डॉक्टर किडनी के सिस्ट को सिकोड़ने के लिए सिस्ट फ्लूइड को बाहर निकालने और दवा (स्क्लेरोजिंग एजेंट) को इंजेक्ट करने के लिए सुई का उपयोग करके एक प्रक्रिया की सिफारिश कर सकता है। या आपको सिस्ट को हटाने के लिए सर्जरी की आवश्यकता हो सकती है यदि वे दबाव और दर्द पैदा करने के लिए काफी बड़े हैं।

मूत्राशय या किडनी में संक्रमण Bladder or kidney infection :- किडनी की क्षति को रोकने के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के साथ संक्रमण का शीघ्र उपचार आवश्यक है। आपका डॉक्टर जांच कर सकता है कि क्या आपको मूत्राशय का साधारण संक्रमण है या अधिक जटिल पुटी या गुर्दा संक्रमण है। अधिक जटिल संक्रमणों के लिए, आपको एंटीबायोटिक दवाओं का लंबा कोर्स करने की आवश्यकता हो सकती है।

पेशाब में खून आना Blood in urine :- जैसे ही आप मूत्र को पतला करने के लिए अपने मूत्र में रक्त देखेंगे, आपको बहुत सारे तरल पदार्थ पीने की आवश्यकता होगी, अधिमानतः सादा पानी। तनुकरण आपके मूत्र पथ में अवरोधक थक्कों को बनने से रोकने में मदद कर सकता है। ज्यादातर मामलों में, रक्तस्राव अपने आप बंद हो जाएगा। यदि ऐसा नहीं होता है, तो अपने डॉक्टर से संपर्क करना महत्वपूर्ण है।

किडनी खराब Kidney failure :- यदि आपकी किडनी आपके रक्त से अपशिष्ट उत्पादों और अतिरिक्त तरल पदार्थों को निकालने की क्षमता खो देते हैं, तो आपको अंततः डायलिसिस या गुर्दा प्रत्यारोपण (kidney transplant) की आवश्यकता होगी। पीकेडी की निगरानी के लिए नियमित रूप से अपने चिकित्सक से मिलने से गुर्दा प्रत्यारोपण के सर्वोत्तम समय की अनुमति मिलती है। आप प्रीमेप्टिव किडनी ट्रांसप्लांट कराने में सक्षम हो सकते हैं, जिसका अर्थ है कि आपको डायलिसिस शुरू करने की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि इसके बजाय ट्रांसप्लांट करना होगा।

धमनीविस्फार Aneurysm :- यदि आपको पॉलीसिस्टिक किडनी की बीमारी है और मस्तिष्क (इंट्राक्रैनियल) एन्यूरिज्म के टूटने का पारिवारिक इतिहास है, तो आपका डॉक्टर इंट्राक्रैनील एन्यूरिज्म के लिए नियमित जांच की सिफारिश कर सकता है।

यदि किडनी रोगी में’ धमनीविस्फार का निदान किया जाता है, तो रक्तस्राव के जोखिम को कम करने के लिए धमनीविस्फार की सर्जिकल क्लिपिंग इसके आकार के आधार पर एक विकल्प हो सकता है। छोटे धमनीविस्फार के गैर-सर्जिकल उपचार में उच्च रक्तचाप और उच्च रक्त कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने के साथ-साथ धूम्रपान छोड़ना भी शामिल हो सकता है।

प्रारंभिक उपचार पॉलीसिस्टिक किडनी रोग की प्रगति को धीमा करने का सबसे अच्छा मौका प्रदान करता है।

पॉलीसिस्टिक किडनी की बीमारी से कैसे बचाव किया जा सकता है? How can polycystic kidney disease be prevented?

पॉलीसिस्टिक किडनी रोग को कभी रोका नहीं जा सकता, क्योंकि यह अनुवांशिक बीमारी है जो कि माता पिता से संतान में जीन के द्वारा जन्म से पहले ही पहुँच चुकी होती है। यदि आपको पॉलीसिस्टिक किडनी की बीमारी है और आप बच्चे पैदा करने पर विचार कर रहे हैं, तो एक जेनेटिक काउंसलर आपकी संतानों को बीमारी से गुजरने के जोखिम का आकलन करने में आपकी मदद कर सकता है।

अपने किडनी को यथासंभव स्वस्थ रखने से इस रोग की कुछ जटिलताओं को रोकने में मदद मिल सकती है। सबसे महत्वपूर्ण तरीकों में से एक आप अपने किडनी की रक्षा कर सकते हैं अपने रक्तचाप का प्रबंधन करके। अपने ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं :-

  1. अपने चिकित्सक द्वारा निर्देशित रक्तचाप की दवाएं लें।

  2. कम नमक वाला आहार लें जिसमें भरपूर फल, सब्जियां और साबुत अनाज हों।

  3. स्वस्थ वजन बनाए रखें। अपने डॉक्टर से पूछें कि आपके लिए सही वजन क्या है।

  4. यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ दें।

  5. नियमित रूप से व्यायाम करें। सप्ताह के अधिकांश दिनों में कम से कम 30 मिनट की मध्यम शारीरिक गतिविधि का लक्ष्य रखें।

  6. शराब का सेवन सीमित करें या पूरी तरह से छोड़ दें।

क्या पॉलीसिस्टिक किडनी रोग से जूझ रहे रोगी को विशेष आहार लेना चाहिए? Should a patient suffering from polycystic kidney disease take a special diet?

वर्तमान में, पॉलीसिस्टिक किडनी रोग के रोगियों में अल्सर को विकसित होने से रोकने के लिए कोई विशिष्ट आहार ज्ञात नहीं है। लेकिन यह एक किडनी रोग है तो ऐसे में डॉक्टर किडनी रोगी को आहार से जुड़ी कई सलाह दे सकते हैं ताकि किडनी रोग को आगे बढ़ने से रोका जा सके और रोगी को अन्य जटिलताओं का सामना न करना पड़े। इस दौरान डॉक्टर किडनी रोगी को निम्नलिखित प्रकार का आहार लेने की सलाह देंगे :-

  1. नमक का सेवन करने से बचें, क्योंकि ज्यादा नमक का सेवन करने से आपका ब्लड प्रेशर हाई हो जायगा जिससे किडनी की कार्यक्षमता बढ़ सकती है। ऐसे में न केवल नमक के सेवन से दूर रहे बल्कि तेज मसालों से भी दूर रहे। 

  2. ज्यादा मीठे के सेवन दूर रहे। क्योंकि इससे मधुमेह स्तर बढ़ जायगा और इससे शरीर में सूजन बढ़ सकती है और साथ ही पेशाब से जुड़ी समस्याएँ बढ़ जायगी।

  3. हमेशा सादा खाना ही लें, ताकि उसे आसानी से पचाया जा सके। 

  4. लौकी, तुरई, हरा कद्दू, और परवल की सब्जी को अपने आहार में शामिल करें। इन सब्जियों में पोटैशियम की मात्रा कम होती है। 

  5. हमेशा ऐसा ही आहार लें जिसमें पोटैशियम की मात्रा कम हो, क्योंकि अगर शरीर में पोटैशियम की मात्रा बढ़ जाए तो दिल से जुड़ी समस्याएँ बढ़ सकती है। 

  6. कैफीन के सेवन से भी दूर रहना चाहिए, क्योंकि इससे किडनी पर दबाव पड़ता है। 

ध्यान दें, आहार से जुड़ी ज्यादा जानकारी के लिए आप अपने डॉक्टर से जरूर संपर्क करें, क्योंकि हर किडनी रोगी का डाइट प्लान उसके स्वास्थ्य के अनुसार अलग होता है।

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