हमारा शरीर कई अंदरूनी और बाहरी अंगो के मेल से बना है। कुछ अंग कठोर होते हैं और कुछ सोम्य, वहीं कुछ काफी संवेदनशील भी होते हैं। अगर मानव शरीर के संवेदनशील अंगो के बारे में बात की जाए तो हमारी आँखे सबसे ज्यादा संवेदनशील अंगो में से एक हैं। हमारी आँखे बहुत ही जल्द किसी भी समस्या की चपेट में आ जाती है। आँखों से जुड़ी बहुत सी समस्याएँ है जो कि अपने-अपने स्तर पर कई समस्याएँ पैदा कर सकती है। ऐसी ही समस्या है जिसे सूखी आँखे या ड्राई आँख के नाम से जाना जाता है। आज इस लेख में हम इसी बारे में बात करेंगे और इससे जुड़े कुछ अहम् विषयों के बारे में जानेंगे।
सूखी आंखें तब हो सकती हैं जब आंसू बहुत जल्दी वाष्पित (evaporated) हो जाते हैं, या आंखें बहुत कम आंसू पैदा करती हैं। आँखों से जुड़ी यह समस्या मनुष्यों और कुछ जानवरों में आम है। यह एक या दोनों आंखों को प्रभावित कर सकता है और इससे सूजन हो सकती है। दृष्टि को सही बनाए रखने के लिए और आँखों को स्वस्थ बनाएं रखने के लिए आँसू की आवश्यकता होती है। आँखों में बनने वाले आँसू निम्नलिखित उत्पादों का एक संयोजन है:
पानी, नमी के लिए
तेल, स्नेहन के लिए और आंसू तरल के वाष्पीकरण को रोकने के लिए
बलगम, आंख की सतह पर आंसू भी फैलाने के लिए
संक्रमण के प्रतिरोध के लिए एंटीबॉडी और विशेष प्रोटीन
यह सभी घटक आंख के आसपास स्थित विशेष ग्रंथियों द्वारा स्रावित (secreted) होते हैं। जब इस आंसू प्रणाली में असंतुलन या कमी होती है, या जब आँसू बहुत जल्दी वाष्पित हो जाते हैं, तो व्यक्ति को सूखी आंख की समस्या यानि ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) की समस्या हो सकती है।
ड्राई आँख की समस्या आँसुओं की वजह से होती है। अगर आँसू की किसी भी परत में समस्या आ जाए तो सुखी आँखों की समस्या हो सकती है। आँसुओं की तीन परतें होती हैं, तैलीय बाहरी परत, पानी वाली बीच की परत और भीतरी बलगम की परत होती है। यदि किसी व्यक्ति के आँसू के विभिन्न तत्वों का उत्पादन करने वाली ग्रंथियां सूज जाती हैं या पर्याप्त पानी, तेल या बलगम का उत्पादन नहीं करती हैं, तो इससे ड्राई आई सिंड्रोम (Dry Eye Syndrome) हो सकता है। जब व्यक्ति के आँसुओं से तेल गायब हो जाता है, तो वे जल्दी से वाष्पित हो जाते हैं और आपकी आँखों में नमी की निरंतर आपूर्ति नहीं हो पाती है। ड्राई आई सिंड्रोम के कारणों में शामिल हैं :-
हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी
किसी एलर्जी के कारण
लेसिक नेत्र शल्य चिकित्सा
उम्र बढ़ने के कारण
लंबे समय तक संपर्क लेंस पहनना
लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठना
आँखें न झपकने से
आँखों को सामान्य से ज्यादा धोना
कुछ दवाएं, जिनमें एंटीहिस्टामाइन, नेज़ल डीकॉन्गेस्टेंट, बर्थ कंट्रोल पिल्स और एंटीडिप्रेसेंट शामिल हैं
हवा या शुष्क हवा के संपर्क में आने से, जैसे कि सर्दियों के दौरान हीटर के लगातार संपर्क में रहना।
जब कोई व्यक्ति सूखी आँखों की समस्या से जूझता है तो वह निम्नलिखित लक्षणों की सहायता से इसकी पहचान कर सकता है :-
आँखों में चुभन या जलन
आंखों में सूखापन
आँखे लाल होना
आँखों में किरकिरापन
आँखों में दर्द महसूस होना
आँख में रेत जैसा अहसास होना
दोहरी दृष्टि होना
आँखों में या उसके आस-पास कठोर बलगम
धुएं या हवा के प्रति आंख की संवेदनशीलता
आँखें खुली रखने में कठिनाई
पढ़ने के बाद आंखों की थकान
ज्यादा रोने की आदत
आग के संपर्क में ज्यादा रहने की वजह से
धुंधली दृष्टि, विशेष रूप से दिन के अंत में
प्रकाश के प्रति संवेदनशीलता
कॉन्टैक्ट लेंस पहनते समय बेचैनी
जागते समय पलकें आपस में चिपक जाना
ड्राई आई सिंड्रोम 50 वर्ष और उससे अधिक उम्र के लोगों में अधिक आम है। ग्रामीण भारत में यह समस्या मुख्य रूप से महिलाओं में ज्यादा दिखाई देती है, क्योंकि महिलाएं खाना बनाने के लिए आग के संपर्क में रहती है और दूसरा पुरुषों के मुकाबले ज्यादा रोती है जिसकी वजह से काफी बार यह समस्या देखि जाती है। इतना ही नहीं पूर्ण पोषण न मिलने की वजह से भी सूखी आँखों की समस्या हो सकती है। जो पुरुष धुम्रपान करते हैं या जो आग के संपर्क में ज्यादा रहते हैं उन्हें भी यह समस्या होने की आशंका ज्यादा रहती है। जो महिलाएं गर्भवती हैं, हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी पर हैं, या रजोनिवृत्ति से गुजर रही हैं, उनमें जोखिम अधिक होता है। निम्नलिखित अंतर्निहित स्थितियां भी आपके जोखिम को बढ़ा सकती हैं:
पुरानी एलर्जी
थायराइड रोग या अन्य स्थितियां जो आंखों को आगे बढ़ाती हैं
ल्यूपस, रुमेटीइड गठिया, और अन्य प्रतिरक्षा प्रणाली विकार
एक्सपोजर केराटाइटिस, जो आंशिक रूप से खुली आँखों से सोने से होता है
विटामिन ए की कमी, जो पर्याप्त पोषण मिलने पर संभव नहीं है
कुछ लोगों का मानना है कि कंप्यूटर स्क्रीन से निकलने वाली नीली रोशनी के अत्यधिक संपर्क में आने से ड्राई आई सिंड्रोम हो सकता है। फ़िलहाल इसे लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है।
अगर आपको लगता है कि आप सूखी आँखों की समस्या से जूझ रहे हैं तो आप सबसे पहले इस बारे में किसी पंजीकृत चिकित्सक से बात करें और इसका जल्द से जल्द उपचार लेना शुरू करें। सूखी आँखों का उपचार निम्नलिखित तरीकों से किया जा सकता है :-
बनावटी आंसू Artificial tears – आंखों की नमी बढ़ाने वाली आई ड्रॉप ड्राई आई सिंड्रोम के सबसे सामान्य उपचारों में से हैं। कृत्रिम आँसू भी कुछ लोगों के लिए अच्छा काम करते हैं, जिससे व्यक्ति की दृष्टि की यह समस्या जल्द ही ठीक हो जाती है।
लैक्रिमल प्लग Lacrimal plugs – नेत्र चिकित्सक रोगी की आंखों के कोनों में जल निकासी छिद्रों को अवरुद्ध करने के लिए प्लग का उपयोग कर सकता है। यह एक अपेक्षाकृत दर्द रहित, प्रतिवर्ती प्रक्रिया है जो आंसू के नुकसान को धीमा करती है। यदि रोगी की स्थिति गंभीर है, तो ही स्थायी समाधान के रूप में प्लग की सिफारिश की जा सकती है।
शल्य चिकित्सा Surgery – यदि रोगी को गंभीर ड्राई आई सिंड्रोम है और यह अन्य उपचारों से दूर नहीं होता है, तो आपका डॉक्टर सर्जरी की सिफारिश कर सकता है। रोगी की आंखों के अंदरूनी कोनों पर जल निकासी छेद स्थायी रूप से प्लग किया जा सकता है ताकि आपकी आंखों में पर्याप्त मात्रा में आंसू बने रहें।
दवाएं Medications – ड्राई आई सिंड्रोम के लिए सबसे अधिक निर्धारित दवा एक विरोधी भड़काऊ (anti-inflammatory) है जिसे साइक्लोस्पोरिन (रेस्टेसिस) कहा जाता है। दवा आपकी आँखों में आँसू की मात्रा को बढ़ाती है और आपके कॉर्निया को नुकसान के जोखिम को कम करती है। यदि रोगी की सूखी आंख का मामला गंभीर है, तो दवा के प्रभावी होने तक आपको थोड़े समय के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड आई ड्रॉप्स का उपयोग करने की आवश्यकता हो सकती है। वैकल्पिक दवाओं में कोलीनर्जिक्स शामिल हैं, जैसे कि पाइलोकार्पिन। यह दवाएं आंसू उत्पादन को प्रोत्साहित करने में मदद करती हैं। यदि कोई अन्य दवा आपकी आँखों को शुष्क बना रही है, तो रोगी का डॉक्टर आपके नुस्खे को बदल सकता है ताकि आपकी आँखों को सूखा न जाए।
घरेलु उपाय Home remedies – सूखी आँखों की समस्या होने पर आप निम्नलिखित घरेलु उपायों की मदद से भी इससे छुटकारा पा सकते हैं :-
हवा और गर्म हवा से सुरक्षा के लिए रैपराउंड चश्मा पहनना
कंप्यूटर का उपयोग करते समय या टीवी देखते समय होशपूर्वक अधिक बार आँखें झपकाएं
धूम्रपान और धुएँ वाली जगहों से जितना हो सके बचना चाहिए
कमरे का तापमान मध्यम रखना चाहिए
आँखों को ज्यादा धोने से बचें
हवा को नम करने में मदद करने के लिए घर में ह्यूमिडिफायर का उपयोग करना। पर्दों को पानी के महीन स्प्रे से स्प्रे करने से हवा को नम रखने में मदद मिल सकती है
ध्यान दें, ड्राई आई सिंड्रोम होने पर किसी पंजीकृत नेत्र चिकित्सक की सलाह के बिना कोई दवा और आई ड्राप का इस्तेमाल न करें।
Mr. Ravi Nirwal is a Medical Content Writer at IJCP Group with over 6 years of experience. He specializes in creating engaging content for the healthcare industry, with a focus on Ayurveda and clinical studies. Ravi has worked with prestigious organizations such as Karma Ayurveda and the IJCP, where he has honed his skills in translating complex medical concepts into accessible content. His commitment to accuracy and his ability to craft compelling narratives make him a sought-after writer in the field.
Please login to comment on this article