WHO के अनुसार दुनिया में लगभग 422 मिलियन लोग डायबिटीज से जूझ रहे है। ये बीमारी कोरोना काल में और भी रफ़्तार पकड़ ली है, जो लोग कोरोना से ठीक हो चुके है उनमे डायबिटीज का खतरा बढ़ गया है।
यहाँ देखेंगे की कैसे आप शुरुआत के दिनों के लक्षण पहचान डायबिटीज का पता लगा सकते है, और खुद को आने वाली बड़ी स्वास्थ्य परेशानी से बचा सकते है -
डायबिटीज टाइप-1 में लक्षण जल्दी दिखते है और डायबिटीज टाइप-2 के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते है।
जब खून में शुगर लेवल ज्यादा होने लगे तब इसके लक्षण हो सकते है -:
इसके अलावा थकान, सिर दर्द, धुंधलापन दिखना, रेकर्रेंट संक्रमण (इम्युनिटी सिस्टम का कमज़ोर होना), प्राइवेट पार्ट में दिक्कत और दिल की धड़कन तेज डायबिटीज का शुरूआती लक्षण है।
इनमे से कोई भी एक लक्षण या एक ज्यादा लक्षण महसूस होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें अन्यथा बाद में परेशानी बढ़ सकती है।
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जब खून में शुगर लेवल कम हो तब इसके शुरुआती लक्षण हो सकते है - :
कुछ गंभीर केसेस में ये लक्षण भी आ सकते है :-
आँखों पर बुरा प्रभाव - लम्बे समय तक हाई ब्लड ग्लूकोज़ के कारण होने के कारण आँखों के लेंस में अवशोषण हो सकता जो इसके साइज और नज़र में बदलाव लाता है ।
डायबिटिक डर्माड्रोम (Diabetic dermadromes) - मधुमेह के कारण होने वाले त्वचा पर चकत्ते का एक सामूहिक नाम है।
डायबिटीज कीटोएसिडोसिस - इसका मतलब की मेटाबोलिक प्रोसेस में गड़बड़ी जिसके कारण उलटी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस, थोड़ी बेहोशी जैसी स्थिति होती है। जो लोग डायबिटीज टाइप-1 से जूझ रहे वो इसे अनुभव करते है।
पेरीफेरल डायबिटिक न्यूरोपैथी - ये खून में ग्लूकोज की मात्रा बढ़ने के कारण होता है जिस से नशों को नुकसान पहुँचता है। पैरो में सुई चुभने जैसा झनझनाहट होता है या चलने पर परेशानी होता है।
डायबिटिक रेटिनोपैथी - डायबिटीज के कारण आँख पर बुरा प्रभाव पड़ता है। रेटिना के अंदर स्थित ब्लड वेसल को डैमेज कर देता है, जिसके कारण ब्लाइंडनेस भी हो सकता है।
मानसिक स्वास्थ्य - डायबिटीज टाइप-2 के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी बुरा प्रभाव डालता है जिसके कारण वो इंसान डिप्रेशन, और एंग्जाइटी का शिकार हो जाता है। मानसिक संतुलन के लिए ज़रूरी है की खून में शुगर लेवल की मात्रा सही हो।
ह्यपरसोमोलर नॉन-केटोटिक - ये स्थिति सामान्य डायबिटीज टाइप-2 के मरीज़ में देखा जाता है। ये पानी के कमी (dehydration) के कारण होता है , इसलिए डायबिटीज में पानी की कमी शरीर में बिलकुल न होने दे, इसके कमी के कारण कई और दूसरी बीमारी को जगह मिल सकती है।
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ये तो हो गया डायबिटीज के लक्षण, जिनको लक्षण आ रहे वो जांच कराएँगे या डॉक्टर से सलाह लगे पर, जिनमे डायबिटीज लक्षण नहीं दीखते वो कैसे जाने। 50 फीसदी लोग है जिनमे कोई लक्षण नहीं दिखता लेकिन अगर वो किसी वजह से जांच कराए तो शुगर पॉजिटिव आता है , कैसे ?
अमेरिकन डायबिटिक एसोसिएशन गाइडलाइन के मुताबिक डायबिटीज का स्क्रीनिंग करना (जाँच) चाहिए उन लोगों को जिनमे कुछ रिस्क फैक्टर है स्वास्थ्य से जुड़ा-
इन लोगों को 25 वर्ष के बाद डायबिटीज का टेस्ट कराना चाहिए, साल में कम से कम एक बार ज़रूर।
और जिस इंसान में ये रिस्क फैक्टर नहीं है या कोई भी रिस्क फैक्टर या लक्षण नहीं दिखता है, उन्हें 40 के बाद साल में एक बार शुगर की जांच ज़रूर कराए।
आखिर बचाव ही सबसे अच्छा इलाज है।
Dr. Rajiv Kovil is a Diabetologist in Andheri West, Mumbai and has an experience of 22 years in this field. Dr. Rajiv Kovil practices at Dr. Kovil's Diabetes Care Centre in Andheri West, Mumbai. Dr. Kovil's Diabetes Care Centre in Andheri West, Mumbai and Nanavati Super Speciality Hospital in Vileparle West, Mumbai. He completed MBBS from Topiwala National Medical College, Mumbai in 1996 and Diploma in Diabetology (Mumbai University) from Topiwala National Medical College, Mumbai in 1999.
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