कोरोना वायरस के शुरु होते ही एक सवाल उठना शुरु हो गया था और वह यह है कि क्या कोरोना से उत्पन्न वायरल फीवर और सामान्य वायरल फीवर में कुछ अंतर है या नहीं ?
इस प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. के.के.अग्रवाल । डॉ. अग्रवाल का कहना है कि - हमेशा से यह कहा गया है कि सामान्य बुखार की अवधि अधिक से अधिक एक हफ्ता होती है और एक हफ्ते बाद उपचार या बगैर उपचार के यह वायरल फीवर ठीक हो जाता है । वहीं अगर बात कोरोना वायरस में होने वाले फीवर की करें तो इसकी अवधि 14 दिन होती है ।
सामान्य वायरल फीवर में हमारे खून के अंदर लिंफोसाइड्स बढ़ते हैं जबकि कोरोना से होने वाले फीवर में यह कम होते हैं । सामान्य लोगों के खून में ईएसआर सामान्य रहेगा लेकिन कोरोना से उत्पन्न फीवर में यह ईएसआर बढ़ता है ।
इसके अलावा सी-रिएक्टिव प्रोटिन भी सामान्य वायरल फीवर में सामान्य स्थिति में रहता है जबकि कोरोना वायरस के मामले में यहां सी-रिएक्टिव बढ़ जाएगा । इसका सीधा मतलब क्या है ?
इसका अर्थ यह है कि कोरोना वायरस एक्यूट इन्फ्लामेशन करता है, यहां तक की बाकि वायरस के मुकाबले यह अधिक इन्फ्लामेशन करता है, जिसके कारण से शरीर में ऑक्सीज़न की कमी होती है और व्यक्ति को अचानक निमोनिया हो जाता है ।
कहने का तात्पर्य यह है कि बाकि वायरस अभी इतने गंभीर नहीं हैं, वह शरीर को प्रभावित अवश्य करेंगे लेकिन सिर्फ एक निश्चित समय अवधि के लिए परंतु कोरोना वायरस का कोविड 19 का वायरस अब सामान्य नहीं है । इसने स्वंय को परिवर्तित कर लिया है और अब इस वजह से लोगों में 3 प्रतिशत अधिक मृत्यु दर बढ़ गया है ।
• उत्तर प्रदेश स्थित हिंद मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग में कार्यरत डॉ. बंसल ने इस विषय पर कहाकि – इन दोनों में बहुत सूक्षम अंतर है और इसे पहचाना मुश्किल है । शुरुआती लक्षण एक-दूसरे से काफी मिलते हैं परंतु यदि निगरानी की जाए तो इसेपहचानना संभव है ।
• हरियाणा स्थित मेडिकल कॉलेज के डॉ. वर्मा ने बताया कि फ्लू या वायरल में जहां सर्दी, ज़ुकाम, खांसी, सिरदर्द, आंखों में जलन होना और आंखों से पानी आना मुख्य लक्षण होते हैं वहींकोविड 19 में सूखी खांसी, सांस लेने में तकलीफ और तेज़ बुखार आना प्रमुख लक्षण हैं । डॉ. वर्मा बताते हैं कि तेज़ बुखार के साथ अगर सांस लेने में तकलीफ होने लगे तो समझ लो कि कोरोना नज़दीक है
• एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर का कहना है कि कोरोना पॉजीटिव व्यक्ति को एक हफ्ते के अंदर-अंदर निमोनिया हो जाता है । रेस्पिरेटरी फेलियर यानि दम घुटना और सेप्टिक शॉक यानि शरीर में जहर फैलना इसकी अलग स्टेज हैं । इसका अर्थ यही निकलता है कि अधिकतर कोरोना पॉजीटिव व्यक्तियों की मौत या तो दम घुटने से होती है या शरीर में वायरस के फैलाव से होती है । उन्होंने यह भी बताया कि सामान्य फ्लू या वायरल में हल्का इनफेक्शन होता है, जिसका उपचारगरम पानी पीने और ऐसे ही घरेलू उपायों से हो जाता है, परंतु कोविड-19 के केस मेंऐसा नहीं होता ।
• हालांकि डॉक्टरों ने यह परामर्श भी दिया है कि यदि गले में खराश या बलगम है, तो यह कोरोना वायरस का लक्षण नहीं हो सकता । पेट साफ न होने से, तली हुई चीजें खाने से या दूषित पानी पीने से भी गले में खराश हो सकती है । ऐसे में आपको परेशान होने की कोई ज़रुरत नहीं है । डॉक्टर से समय-समय पर संपर्क करते रहें । स्वास्थ्य विभाग और सरकार द्वारा जारी निर्देशों का पालन करते रहें ।
Recipient of Padma Shri, Vishwa Hindi Samman, National Science Communication Award and Dr B C Roy National Award, Dr Aggarwal is a physician, cardiologist, spiritual writer and motivational speaker. He was the Past President of the Indian Medical Association and President of Heart Care Foundation of India. He was also the Editor in Chief of the IJCP Group, Medtalks and eMediNexus
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