कोई भी मेडिकल इमरजेंसी होने पर उम्मीद की जाती है कि एम्बुलेंस जल्द से जल्द आए ताकि रोगी को समय पर उचित उपचार मिल सके, लेकिन काफी बार एम्बुलेंस समय पर नहीं आती जिसकी वजह से रोगियों के जान का जोखिम बढ़ता है. हाइवे पर एम्बुलेंस का देर से आना सबसे आम माना जाता है, जिसकी वजह से हाईवे पर दुर्घटनाग्रस्त हुए व्यक्ति को बचा पाना काफी मुश्किल होता है. लेकिन अब अगर ऐसा हुआ तो एम्बुलेंस तैनाती एजेंसियों पर जुर्माना लगेगा.
TOI की एक खबर के अनुसार एम्बुलेंस तैनाती एजेंसियों पर ‘गोल्डन ऑवर’ के भीतर दुर्घटना पीड़ितों को निकटतम अस्पतालों में स्थानांतरित करने के लिए सेवा प्रदान करने में विफलता के लिए जुर्माना लगाया जाएगा. गोल्डन ऑवर’ चोट के तुरंत बाद की अवधि है, इस दौरान अधिकतम संभावना होती है कि तत्काल चिकित्सा और सर्जिकल हस्तक्षेप पीड़ित की मृत्यु को रोक देगा.
भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) ने इस संबंध में बुधवार को घटना प्रबंधन और नियमों को मजबूत करने के लिए इन प्रावधानों को लागू करने का आदेश जारी किया है. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि सिविल ठेकेदार या एजेंसियों द्वारा तैनात एम्बुलेंस को दुर्घटना पीड़ितों को बिना किसी देरी के इलाज के लिए निकटतम चिकित्सा देखभाल केंद्र तक पहुंचाना चाहिए.
सर्कुलर में के अनुसार अगर एम्बुलेंस सेवा प्रदाता अगर पहली बार नियम को तोड़ते पाए गए तो 10,000 रुपये का जुर्माना लगेगा, दूसरी बार 25,000 रुपये और तीसरी बार यह जुर्माना 1 लाख रुपये का लगेगा. भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने कहा कि तीसरी बार नियम तोड़ने को अंतिम चेतावनी के रूप में माना जाएगा. इसके बाद सिविल ठेकेदार या एजेंसियां कार्रवाई के लिए जिम्मेदार होगी. आदेश में कहा गया है कि राजमार्ग प्राधिकरण परियोजना निदेशक या संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी की सिफारिशों के आधार पर कंपनियों के एम्बुलेंस की तैनाती पर छह महीने के लिए रोक लगाया जा सकता है.
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